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1.मैट परीक्षा की तैयारी के लिए चुनें ये बेस्ट बुक्स(Select these best books for mat exam preparation)-

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मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट (एमएटी) एक मानकीकृत परीक्षा है जो 1988 से बिजनेस स्कूलों (बी-स्कूलों) को एमबीए और संबद्ध कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग की सुविधा के लिए दी जाती है। सरकार। भारत के, HRD मंत्रालय ने 2003 में MAT को राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा के रूप में अनुमोदित किया। कोई भी B- स्कूल - राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय - MAT स्कोर को उम्मीदवारों के लिए जारी किए गए स्कोर कार्ड के आधार पर एक प्रवेश इनपुट के रूप में मान सकता है। देश में अपनी तरह का सबसे बड़ा परीक्षण, एमएटी भारत के 600 से अधिक बी-स्कूलों में आपका पासपोर्ट बना रहेगा।यह परीक्षा ALL INDIA MANAGEMENT ASSOCIATION द्वारा आयोजित कराई जाती है।
इस आर्टिकल में MAT अर्थात् MANAGEMENT APTITUDE TEST के लिए पुस्तकें Suggest की गई हैं। इसमें गणित, सामान्य ज्ञान तथा रीजनिंग (तर्कशक्ति) से सम्बन्धित प्रश्न दिए जाते हैं। उक्त प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु बाजार में वैसे तो ढ़ेरों पुस्तकें उपलब्ध हैं। परन्तु बहुत सी पुस्तकों में व्याकरण, मुद्रण व विषयवस्तु सम्बन्धी त्रुटियाँ पाई जाती हैं। यदि इस प्रकार की पुस्तकों के आधार  पर तैयारी की जाए तो हमारी तैयारी त्रुटि रहित नहीं होगी। इसलिए बाजार से स्तरीय पुस्तकें खरीदनी चाहिए जिनमें त्रुटियों का प्रतिशत नगण्य या बहुत कम हो। स्तरीय पुस्तकें भी ज्यादा नहीं खरीदनी चाहिए क्योंकि इससे भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है। पुस्तकों से तैयारी करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पुस्तकों से हमें मार्गदर्शन तथा दिशा ही मिलती है। यदि हम यह सोचकर तैयारी करते हो कि इन पुस्तकों से ही प्रश्न आ जाएंगे तो यह हमारी भूल है।
पुस्तकों से अभ्यास प्रश्न हल करने से प्रश्न हल करने का कौशल बढ़ता है। पुस्तकों में उदाहरणों के द्वारा प्रश्नों का हल दिया हुआ होता है जिनकों हल करने के बाद हम अभ्यास के प्रश्नों को आसानी से हल कर पाते हैं। माॅडल टेस्ट पेपर भी दिए हुए होते हैं जिनकों हल करके हम हमारी प्रश्नों को हल करने की स्पीड बढ़ा सकते हैं। प्रैक्टिस सेट को जितना हल करते हैं उतना ही हमारी हल करने की स्पीड के साथ शुद्धता Accuracy) बढ़ती है। पुस्तकें सिलेबस के आधार पर लिखी हुई होती है इसलिए अलग-अलग टाॅपिक के लिए विषयवस्तु इकट्ठी करने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता है बल्कि एक ही पुस्तक में हमें पूर्ण सिलेबस पर आधारित प्रश्न मिल जाते हैं। अलग-अलग पुस्तकें पढ़ने और हल करने से हमारी प्रश्नों को हल करने की क्षमता बढ़ती है। प्रत्येक पुस्तक का डिफीकल्टी लेवल अलग-अलग होता है इसलिए डिफीकल्ट सवालों को हल करने से हमारी बौद्धिक क्षमता बढ़ती है। अलग-अलग पुस्तकों में प्रश्नों की विविधता होती है इसलिए हमारी तार्किक, चिंतन शक्ति बढ़ती है और प्रश्नों को रटने के चांस समाप्त हो जाते हैं। लेकिन बहुत ज्यादा पुस्तकों का अम्बार लगाना भी उचित नहीं है।
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 स्तरीय पुस्तकों को ही हल करना चाहिए क्योंकि स्तरीय पुस्तकें लिखनेवाले लेखक विद्वान् तथा अनुभवी होते हैं। लेकिन पुस्तकों का आदि भी नहीं होना चाहिए अन्यथा हमारी बौद्धिक, तार्किक व चिंतन शक्ति नहीं बढ़ सकेगी। इसलिए माॅडल टेस्ट पेपर के आधार पर हमें हमारी परख करते रहना चाहिए कि हमारी बौद्धिक, तार्किक व चिंतन शक्ति का विकास हुआ है या नहीं। यदि नहीं हो रहा हो तो हमें हमारी पढ़ने की शैली को परिवर्तित करना चाहिए। किसी योग्य व विद्वान् से परामर्श लेना चाहिए।अतः केवल पुस्तकों पर ही आश्रित न रहें। इस आर्टिकल में स्तरीय पुस्तकों की सूची दी गई है यदि आपको इनसे भी अधिक अच्छी स्तरीय पुस्तकें पता हो तो आप उनकी भी मदद ले सकते हैं।
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2.AMAT Books: मैट परीक्षा की तैयारी के लिए चुनें ये बेस्ट(AMAT Books:Select these best books for mat exam preparation)-

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MAT Preparation Books: मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट यानी मैट परीक्षा का आयोजन साल में चार बार किया जाता है यह पेपर कंप्यूटर और पेपर दोनो तरह से लिया जाता है। आप किसी एक या दोनो मोड में एग्जाम दे सकते हैं....
13 Sep 2019,
MAT Books For Preparation: मैनेजमेंट एप्टीट्यूड टेस्ट यानी मैट परीक्षा का आयोजन ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन करवाती है। इस परीक्षा की तैयारी के लिए बाजार में कई किताबें उपलब्ध हैं लेकिन सभी किताबें तैयारी के लिए सही नहीं होती है इसलिए यहां हम आपको मैट एग्जाम की तैयारी के लिए कुछ बेस्ट बुक्स की जानकारी दे रहे हैं।
Quantitative Aptitude for Competitive Examinations By RS Aggarwal
यह सबसे ज्यादा बिकने वाली किताबों में से एक है। इस किताब का पहला ऐडिशन 1989 में आया था। क्वांटिटिव एप्टीट्यूड मैट के अलावा कई अन्य मैनेजमेंट एग्जाम का हिस्सा होता है और इसके लिए यह बेस्ट बुक है। इस किताब में 5500 से ज्यादा सवाल और उनके उत्तर दिए गए हैं। किताब में हल किए हुए सवालों के साथ प्रैक्टिस के लिए भी सवाल दिए गए हैं जिनसे अभ्यर्थी अपनी तैयारी कर सकते हैं। इस किताब के लेखक आरएस अग्रवाल हैं।
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Face To Face MAT By B S Sijwaliiइस किताब के लेखक अजय सिंह है और यह मैट की सबसे अच्छी किताबों में से एक है। इस किताब के पुराने ऐडिशन भी जारी हो चुके हैं जो काफी बिके हैं। इस किताब में कठिन कॉन्सेप्ट को भी बेहद आसान तरीके से बताया गया है। इसके साथ ही इसमें पिछले दस सालों के मैट परीक्षा के क्वेश्चन पेपर और उनके सवालों के हल दिए गए हैं। इसके अलावा इसमें एग्जाम पैटर्न के पांचों भाग को शामिल किया गया है।
MAT 23 years Topic-wise Solved Papers By Deepak Agarwal And Shipra Agarwalमैट 23 इयर टॉपिक वाइस सॉल्व पेपर्स के नाम से ही पता चल रहा है कि इसमें पिछले हल किए हुए पेपर शामिल हैं। इस किताब में पिछले 20 साल के हल कि हुए पेपर दिए गए हैं जिनसे आपको अंदाजा हो जाएगा कि अगला पेपर कैसा हो सकता है साथ ही असली प्रश्न पत्र हल करने से आपके अंदर कॉन्फिडेंस भी आएगा।
इस किताब में पांच भाग दिए गए हैं जिन्हें 55 चैप्टर्स में बांटा गया है। मैट के अलावा इस किताब के जरिए अन्य एंट्रेंस जैसे सीमैट, एनमैट, एसएससी आदि की तैयारी भी कर सकते हैं।
Complete Guide for MAT and other MBA Entrance Exams By Disha Experts
इस किताब के अब तक 4 ऐडिशन छप चुके हैं। इसका चौथा ऐडिशन जून 2019 में छपा था। इसके किताब के पुराने ऐडिशन काफी पसंद किए गए हैं। इस किताब का जरिए आप मैट के अलावा अन्य परीक्षा की तैयारी भी आसानी से कर सकते हैं। यह किताब खासतौर से एमबीए एंट्रेंस की तैयारी के लिए बनाई गई है।
पिछले कुछ सालों में पूछे गए सवालों को भी इस किताब में शामिल किया गया है। इस किताब का नया ऐडिशन ही खरीदें क्योंकि इसमें मौजूदा सिलेबस के मुताबिक सवाल और उनके हल दिए गए हैं। इस किताब के लेखक दीपक अग्रवाल और महिमा अग्रवाल हैं। इस किताब की कीमत करीब 599 रुपए है।
Data Interpretation & Data Sufficiency By Ananta Ashisha
यह किताब डेटा इंटरप्रेटेंशन और डेटासफिशिएंसी के ऊपर तैयार की गई है यह किसी भी एमबीए एग्जाम का बेहद अहम हिस्सा होता है और इसी को ध्यान में रखकर इस किताब को तैयार किया गया है इसमें डेटा टेबल, एनालिसिस ऑफ डेटा, लाइन ग्राफ, बार चार्ट, पाई चार्ट या सर्कल ग्राफ, केस स्टडीज, मिक्स ग्राफ आदि की जानकारी दी गई है। इसके अलावा इसमें पिछले साल के क्वेश्चन पेपर भी दिए गए हैं। इस किताब की कीमत केवल 125 रुपए है।


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What are ancient and modern Indian education system in hindi।who started modern education in India


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via https://youtu.be/vqKKAMm6ET4

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Kashreen Baig Prepared Mathematics Lab at Zero Investment

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1.कैशरीन बेग ने शून्य निवेश पर तैयार किया गणित का लैब(Kashreen Baig Prepared Mathematics Lab at Zero Investment)-

Kashreen Baig Prepared Mathematics Lab at Zero Investment

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इस आर्टिकल में एक ऐसी राष्ट्रीय ट्रेनर के बारे में परिचय करा रहे हैं जिन्होंने शून्य निवेश पर गणित की प्रयोगशाला तैयार करके एक नया आईडिया दिया है। इस राष्ट्रीय ट्रेनर का नाम है कैशरीन बेग।जो व्यक्ति यह समझते हैं कि गणित शिक्षा जन्मजात प्रवृत्ति होती है तथा प्रशिक्षण से कोई फर्क नहीं पड़ता है उनके लिए यह उदाहरण है,यही क्या अनेक ऐसे उदाहरण हमने प्रस्तुत किए हैं।जन्मजात प्रवृत्ति को नकारा नहीं जा सकता है परंतु जब तक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया जाता है तब तक जन्मजात प्रवृत्ति सुप्त ही रहती है। दूसरा जिनमें जन्मजात प्रवृत्ति होती है , वे कठोर साधना व तप के बल पर कोई भी विद्या,हुनरऔर कौशल सीख सकते हैं।कैशरीन बेग बच्चों को गणित पढ़ाने के लिए जीविकोपार्जन हेतु कोई न कोई हुनर बच्चों को सिखाती है जिसे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद युवा बेरोजगार होकर दर-दर की ठोकरें खाते हुए इधर-उधर फिरते न रहें। सरकारी या गैर सरकारी नौकरी ना मिलने पर भी ऐसे बच्चे अकर्मण्य नहीं रहते हैं बल्कि अपना जीवनव्यापन आसानी से कर सकते हैं। यदि नौकरी मिल भी जाती है तो भी हाथ का सीखा हुआ हुनर कभी व्यर्थ नहीं जाता है। ऐसे हुनर का उपयोग घर के छोटे-मोटे कार्यों को सुधारने के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को भी सिखाया जा सकता है। गणित शिक्षा के साथ बेसिक नॉलेज होना भी आवश्यक है। केवल सैद्धांतिक ज्ञान अर्जित करने से ही बालक युवा होकर बेरोजगार हो जाते हैं । सैद्धांतिक शिक्षा अर्जित करने से सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि एक तो उसमें इतना धन खर्च कर दिया जाता है कि माता-पिता की कमर टूट जाती है। दूसरा नुकसान यह है कि युवाओं का समय बर्बाद हो जाता है।
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गणित शिक्षक कैशरीन बेग द्वारा बच्चों को गणित शिक्षा के साथ इस प्रकार का कोई न कोई हुनर सीखाना प्रशंसनीय है।इस प्रकार की सोच, कार्यप्रणाली तथा नवाचार से बालकों में गणित शिक्षा तथा शिक्षा के प्रति रुचि व जिज्ञासा जागृत होगी ‌।वे उमंग और उत्साह के साथ शिक्षा अर्जित करेंगे।साथ ही उनके मन में बेरोजगार होने की चिंता नहीं सताएगी ।गणित केवल कल्पना,चिंतन तथा मनन करने का ही विषय नहीं है बल्कि वास्तविक गणित शिक्षा वह है जो बच्चों को जीवन जीना सीखाती है , जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करना सीखाती है। सबसे बढ़िया बात तो यह है कि बिना किसी निवेश के गणित की प्रयोगशाला तैयार करके इस तरह के हुनर सीखाएं जा रहे हैं। वरना एक प्रयोगशाला तैयार करने में ही लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं।श्रीमती केसरी बेग द्वारा इस प्रकार के नवाचार की नींव लगाना समयोचित तो है ही परंतु इनको पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए जिससे ऐसे कार्यों को करने का बढ़ावा मिले। हालांकि ब्लॉक स्तर पर शिक्षक अवार्ड से नवाजा गया है परंतु उनका कार्य ऐसा है जो मील का पत्थर साबित हो सकता है। इस कार्य के लिए उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत किया जाना चाहिए ताकि अन्य गणित शिक्षकों तथा शिक्षकों को भी प्रेरणा मिल सके।
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दरअसल ऐसे कार्य तभी सम्पन्न किए जाते हैं जब शिक्षक समर्पित भाव के साथ साथ कुछ नया करने का विचार रखते हैं। कुछ नया व बेहतर करने की ललक ही ऐसे कार्यों को करने की प्रेरणा देती है।
हम बार-बार गणित शिक्षा के बारे में ऐसे आर्टिकल पोस्ट करते रहते हैं कि गणित शिक्षा केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं है बल्कि गणित का व्यावहारिक रूप से उपयोग किया जा सकता है। व्यावहारिक रूप से , जीवन के साथ संबंध जोड़ने से गणित उपयोगी साबित हो सकती हैं।जो बच्चे गणित के डर से दूर भागते हैं वे रुचि पूर्वक ,लग्न व उत्साह के साथ गणित को पढ़ेंगे ।गणित को प्रयोग करके सीखने पर ही वास्तविक रूप में अधिक फलदाई होगी। साथ ही अधिक से अधिक बच्चों व लोगों तक पहुंच बढ़ानी है तो गणित को प्रयोग करके सीखने पर बल दिया जाना चाहिए।
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2.शून्य निवेश पर तैयार किया गणित का लैब, राष्ट्रीय ट्रेनर दे रहीं फ्री में प्रशिक्षण(Mathematics lab prepared at zero investment, National trainer giving free training)-

(1.)Blod News - जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर शासकीय हाईस्कूल भंडेरा में गणित की शिक्षक कैशरीन बेग (38) बच्चों को नया आइडिया देने...
Dec 22, 2019
Kashreen Baig Prepared Mathematics Lab at Zero Investment

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जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर दूर शासकीय हाईस्कूल भंडेरा में गणित की शिक्षक कैशरीन बेग (38) बच्चों को नया आइडिया देने नवाचार कर रही है। वे राष्ट्रीय ट्रेनर भी हैं। उन्होंने कबाड़ से जुगाड़ यानी व्यर्थ चीजों से शून्य निवेश पर गणित की प्रयोगशाला तैयार की है। जहां कक्षा 9 वीं से 11 वीं तक के 151 बच्चे अभ्यास करते हैं।
गणित विषय के कठिन शब्दों का प्रयोग कर यहां बेहतर ढंग से समझते हैं। यहां 8 साल से पदस्थ शिक्षक बच्चों को गणित विषय पढ़ाने के अलावा हस्तकला, व्यवसायिक शिक्षा का प्रशिक्षण नि:शुल्क दे रही हैं, ताकि आने वाले समय में बच्चों को नौकरी न मिलने की स्थिति में भी लाभ मिल सके। हाथ की कला से ही वे जीविकोपार्जन कर सके। स्कूल में पेपर बैग, कपड़े के बैग, कबाड़ से जुगाड़, मोमबत्ती, गुलदस्ता, पेटिंग, ग्लास, मास्क, लिफाफा, कढ़ाई बनाने के लिए बच्चों को प्रेरित करती है, ताकि कोई बेरोजगार न रहे।
कबाड़ से जुगाड़ कर ऐसे तैयार की गई प्रयोगशाला: खराब डस्टर, कागज, कार्ड बोर्ड, लोहे से लेकर लकड़ी से बनी सामग्री का उपयोग प्रयोगशाला तैयार करने में की। यहां ब्लैक बोर्ड है। जिसका उपयोग सुक्ति, सूत्र लिखने के लिए किया जाता है।
(2.) यह है उद्देश्य:
बच्चों में हस्तकला विकसित करना, व्यर्थ सामानों को उपयोगी बनाकर उसका सदुपयाेग करना, जैसे प्रमेय, वृत्त आदि कठिन अभ्यास को प्रयोगशाला में करने पर आसानी से समझ आता है।
इसका लाभ बच्चों को परीक्षा में मिलता है।
(3.) कल्पना से अच्छा प्रयाेग करके समझें, मेरे साथ बच्चे भी आगे बढ़े:
कैशरीन बेग कहती हैं कि मेरे साथ बच्चे भी आगे बढ़े। इसी उद्देश्य व साेच से नवाचार कर रही हूं। बिना पैसे के ही व्यर्थ चीजों का उपयोग कर बच्चों को नया सिखाने, आइडिया देने के लिए प्रयोगशाला तैयार की हूं। इसका लाभ भी बच्चों को मिल रहा है। आगे भी मिलेगा। ब्लैक बोर्ड का उपयोग कम कर प्रैक्ट्रिकल से ही बच्चों को ज्यादा सिखाने व समझने को मिलता है।
सबसे पहले शिक्षा के अलावा बेसिक नॉलेज भी जरुरी है। जो आगे बच्चों के ही काम आए। कल्पना से अच्छा बच्चे प्रयाेग कर बेहतर ढंग से समझे।
(4.) बच्चों ने कहा- नया सीखने को मिल रहा:
कक्षा 10वीं की लीना यादव, योगेश्वरी, कक्ष 9वीं की मुस्कान, अमिषा ने कहा कि गणित प्रयोगशाला में नया सीखने को मिल रहा है।
हस्तकला की चीजें, गणित में उपयोग होने वाली उपकरण सहित नया आइडिया मिल रहा है। प्रमेय इतना रहते है इसे हम पाठ्यपुस्तक से सिर्फ समझते हैं और कल्पना करते हैं। त्रिभुज है, 90 अंश का कोण बनना है तो कल्पना करने के बजाय प्रयोग ही कर लेते हैं।
(5.)कॅरियर बनाने की पहल:
हस्तकला व व्यवसायिक कोर्स में विद्यार्थी ले रहे रुचि बालोद बच्चों को वृत्त के संबंध में जानकारी देतीं कैशरीन बेग।
उत्कृष्ट शिक्षक का पुरस्कार मिल चुका
नवाचार व बच्चों के प्रति समर्पित भावना से कार्य करने पर इस साल शिक्षक दिवस पर ब्लॉक स्तर पर उत्कृष्ट शिक्षक का अवार्ड मिला। जिला सहित देश के दूसरे राज्यों गुजरात, केरल सहित उत्तर, दक्षिण भारत के राज्यों में प्रशिक्षण देने आमंत्रित की जाती है। राष्ट्रीय स्तर की हस्तकला एवं व्यवसायिक शिक्षा की ट्रेनर हैं। स्काउटिंग के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका रहती है। 8 बच्चों को राज्य पुरस्कार मिल चुका है। रेंजर कोर्स में प्री एएलटी रेंजर लीडर है। जिले की प्रथम प्री एएलटी की उपलब्धि भी प्राप्त है। शासन की योजनाएं पौधरोपण, सोखता निर्माण, डेंगू उन्मूलन कार्यक्रम में भी सहभागिता दे रही है। ताकि छात्र सामाजिक स्तर पर भी अपनी जिम्मेदारी समझ सकें।


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What are the five interesting facts about mathematical sign infinity?

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1.गणितीय चिन्ह अनन्त के पाँच रोचक तथ्य क्या हैं का परिचय (Introduction to What are the five interesting facts about mathematical sign infinity?)-

इसआर्टिकल में अनंत के रोचक तथ्यों का वर्णन किया गया है। रोचक तथ्यों की जानकारी से आपके गणित के ज्ञान में वृद्धि तो होगी ही साथ ही आपकी गणित में रुचि व जिज्ञासा  भी बढ़ेगी ।आपको यह जानकारी रोचक व ज्ञानवर्धक लगे तो अपने मित्रों के साथ इस गणित के आर्टिकल को शेयर करें ।गणित के रोचक तथ्यों के बारे में जानकारी हासिल की जाती है उसमें हमारी मनन व चिंतन शैली का विकास होता है ।गणित विषय अन्य विषयों से हटकर इसीलिए है कि इसे अलग ही प्रकार की बौद्धिक क्षमता का विकास होता है जो अन्य विषयों के अध्ययन से नहीं हो सकता है ।यदि आप इस वेबसाइट पर पहली बार आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन को भी फॉलो करें जिससे नए आर्टिकल का नोटिफिकेशन आपको मिल सके ।इस आर्टिकल में अनंत के रोचक तथ्यों का वर्णन किया गया है ।

यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

2.सबसे पहले अनन्त की परिभाषा जान लेते हैं कि अनंत कहते किसे हैं?(Let us first know the definition of infinite, who is called infinite?)- 

अनंत-
(1.)वह राशि जो अपरिमित हो।
(2.)रेखा,समतल अथवा आकाश का वह प्रदेश जो किसी नियत बिंदु से अनंत दूरी पर हो ।जैसे अनंत पर की रेखा अथवा आकाश।
(3.) Infinity-Becoming large beyond any fixed bound.
साधारण शब्दों में कहें तो जब मनुष्य तथा मनुष्य द्वारा निर्मित तकनीकी उपकरणों द्वारा किसी समस्या का समाधान नहीं निकाला जा सकता हो अर्थात उसकी क्षमता सीमा से बाहर हो तो उसे अनंत की संज्ञा दी जा सकती है।
मनुष्य के ज्ञान की सीमा है उस सीमा के परे जो भी है उसे अनंत कहा जाता है। ज्ञान अनन्त है, अनन्त का केवल कुछ हिस्सा ही हम जान पाते हैं। हमारे द्वारा जितना जाना हुआ है उसके बजाए अज्ञात का हिस्सा अधिक है। हम अज्ञात में से जितना जानते जाते हैं उतना यही जान पाते हैं कि हमने बहुत कम जाना हैं।
यह स्थिति गणित में ही नहीं है बल्कि हर विषय की है वह भौतिक विषय अथवा आध्यात्मिक विषय हो। यह हो सकता है कि गणित में जिसे अनन्त कहते हैं उसे अन्य विषयों में किसी ओर नाम से पुकारते हों। जिसके बारे में हम नहीं जानते हैं या हमारी सीमा के बाहर जो चीज है उसे अपरिभाषित या अनन्त कहा जाता है। ज्यों-ज्यों हम अज्ञात में से जानते जाते हैं वह परिभाषित की सीमा या जाने हुए की सीमा में आ जाता है। जो चीज हमारे मस्तिष्क से परे है वह अपरिभाषित या अनन्त कही जाती है।
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गणित विज्ञान भी है। विज्ञान पदार्थ का विश्लेषण करता है। विज्ञान खण्ड-खण्ड पर विचार करता है तथा दर्शन अखण्ड पर भी विचार करता है। विज्ञान पदार्थ के खण्ड-खण्ड करते हुए अणु, परमाणु, प्रोट्रान, न्यूट्रॉन, पोजीट्रान, इलेक्ट्रान तक पहुँच गया अर्थात् खण्ड-खण्ड का विश्लेषण करने में जुटा हुआ है परन्तु खण्ड-खण्ड में पारस्परिक सम्बन्ध पर उसका ध्यान नहीं गया। इस चक्कर में वह अखण्ड को नहीं जान पाता है। गणित का ध्यान भी शून्य की तरफ है उसका ध्यान पूर्ण की तरफ नहीं है। विज्ञान की दृष्टि स्थूल पर पड़ती है सूक्ष्म पर नहीं।
स्थूल कहते हैं जो हमारी ज्ञानेन्द्रियों के द्वारा जाना जाता है, जाना जा सकता है अर्थात् जो ज्ञानेन्द्रियों की पकड़ में है। जो ज्ञानेन्द्रियों की पकड़ में न आए उसे सूक्ष्म कहते हैं। सूक्ष्म, स्थूल का ही एक हिस्सा है परन्तु जो अभी ज्ञानेन्द्रियों की पकड़ से बाहर है वह सूक्ष्म है। जो किसी भी विधि और उपाय से पकड़ में आ जाए वह स्थूल है। परन्तु जो कभी जाना ही न जा सके उसे अज्ञेय कहते हैं। जो आज अज्ञात है लेकिन कल को जान लिया जाए या जान लिया जा सकता है उसे स्थूल कहते हैं। अज्ञात है उसे हम कभी भी जान सकते हैं परन्तु अज्ञेय है उसे कभी नहीं जान सकते हैं।
इस प्रकार जो हमारी सीमा में नहीं है, अनन्त है, जिसे कभी हम नहीं जान सकते हैं वह अज्ञेय है। जो अज्ञात है तथा किसी भी विधि से जान सकते हैं वह स्थूल है।
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इस आर्टिकल में गणित के ऐसे 5 रोचक व ज्ञानवर्धक तथ्यों का वर्णन किया गया है। इन तथ्यों को जानकर आपको आश्चर्य तो होगा ही साथ ही आपका गणित के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होगा ।जब गणित विषय के प्रति आपका सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा तो आप गणित का अध्ययन कर पाएंगे ।सकारात्मक दृष्टिकोण अर्थात हमारी मानसिकता की भूमिका किसी भी विषय को कठिन व सरल बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाती है ।यदि हम निराशा,बेमन व उथले मन से गणित को पढ़ते हैं तो वास्तव में वह कठिन ही नहीं बल्कि बहुत कठिन हो जाती है। गणित को यदि सकारात्मक दृष्टिकोण,प्रसन्न मन,प्रसन्न चित्त,उत्साह व उमंग के साथ पढ़ेंगे तो गणित हमें सरल ही नहीं बल्कि गणित हमें बहुत सरल लगने लगेगी।

3.5 ऐसे तथ्य जो आप गणितीय चिन्ह अनन्त (∞) के बारे में नहीं जानते हैं(5 facts you don't know about the mathematical symbol infinite (∞))-

गणित में अनन्त को एक संख्या के रूप में माना जाता है और इसे ∞ के रूप में दर्शाया जाता है। यह एक अंतहीन और असीम अवधारणा है, जो किसी ऐसी संख्या या अवधारणा को प्रस्तुत करता है, जो सभी से बड़ा हैl इस लेख में गणितीय चिन्ह अनन्त (∞) के बारे में कुछ ऐसे तथ्य दिए गए हैं जिन्हें आप नहीं जानते हैं l
APR 14, 2017
गणित में अनन्त को एक संख्या के रूप में माना जाता है और इसे ∞ के रूप में दर्शाया जाता है। यह एक अंतहीन और असीम अवधारणा है, जो किसी ऐसी संख्या या अवधारणा को प्रस्तुत करता है, जो सभी से बड़ा हैl कभी-कभी इसे लेमनीसकेट के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि इसके किनारे संख्या 8 के आकार की तरह होते हैं।
जैसे प्राचीन संस्कृतियों के प्रकृति की अनन्तता के बारे में विभिन्न विचार थे, वैसे ही अनन्त (∞) के बारे में विभिन्न सिद्धांत मौजूद थेl लेकिन उन्होंने इसे गणित के प्रतीक के रूप में वर्णित नहीं किया है, बल्कि इसे एक दार्शनिक अवधारणा के रूप में प्रस्तुत किया हैl
(1.) ईशावास्योपनिषद में वर्णित एक कविता भी अनन्त (∞) की अवधारणा को बताती है, जिसे भूमा का सिद्धांत कहते हैंl
इस कथन का सार यह है कि अनन्त अपरिवर्तनीय है और इस मंत्र को कहने का प्रतीकात्मक तरीका यह है कि अनन्त से कुछ भी नहीं निकलता हैl यहां तक कि अनन्त से निकलने वाले कुछ विचार भी अनन्त के अपने आवश्यक चरित्र पर आधारित होते हैंl
What are the five interesting facts about mathematical sign infinity

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(2.) अनन्त के जिस प्रतीक का इस्तेमाल इन दिनों किया जा रहा है, उसका एक लंबा इतिहास है। यह पहली बार सेंट बोनिफेस के क्रॉस में दिखाई दिया था, जो 8वीं शताब्दी में एक मिशनरी के माध्यम से फ्रैंकिश साम्राज्य में ईसाई धर्म को बढ़ावा देते थेl अनन्त का प्रतीक बोनिफेस के क्रॉस में लिपटा हुआ था l
What are the five interesting facts about mathematical sign infinity

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(3.) अतीत में भी अनन्त के प्रतीक का कई लोगों ने बहुत सारे अर्थ बताए हैं। कई स्रोतों के अनुसार,  पूर्णता और द्वैतवाद का प्रतिनिधित्व करने के लिए प्राचीन काल में भारत और तिब्बत में इसका इस्तेमाल किया जाता था। इसे पुरूष और महिला की एकता के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता थाl यहां तक कि जादुई खेल “टैरो” में यह विपरीत ताकतों के बीच संतुलन का प्रतीक हैl ओरेबोरोस (Ouroboros) के प्राचीन प्रतीक में एक अजगर अनन्त (∞) के आकार में अपनी पूंछ खा रहा है। वास्तव में ऑबोबोरोस ही अनन्त का प्रतीक है और इसे 8 के आकार में बनाया गया है।
What are the five interesting facts about mathematical sign infinity

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(4.)17 वीं शताब्दी में अनन्त के प्रतीक को अपना गणितीय अर्थ मिला l 1655 में यह पहली बार जॉन वालिस द्वारा इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उन्होंने कभी नहीं बताया कि उन्होंने क्यों 8 को अनन्त के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया l वास्तव में इससे मिलते जुलते प्रतीक का इस्तेमाल रोमन लोगों द्वारा बड़ी संख्या को व्यक्त करने के लिए किया जाता थाl जैसे- 1000 को CIƆ की तरह लिखा गया था जिसका अर्थ "कई" था lगणित की शाखा “कैलकुलस” में लिबनिज़ ने “अनन्त संख्या” और उसके उपयोग का अनुमान लगाया।
वास्तविक विश्लेषण में भी अनन्त (∞) के प्रतीक का उपयोग एक असीमित सीमा को दर्शाता हैl
यहां तक कि जटिल विश्लेषण में अनन्त (∞) का प्रतीक बिना चिन्ह वाले एक अनन्त सीमा को दर्शाता हैl
(5.) टैरो के खेल में अनन्त (∞) का प्रतीक एक जादुई कार्ड के ऊपर आता हैl पामेला कॉलमैन राइडर वाइट संस्करण में प्रयोग होने वाले इस कार्ड में एक जादूगर होता है जिसके सिर के ऊपर अनन्त (∞) प्रतीक होता है और लेमनीसकेट (lemniscates) को पूरे जोर से घूमा रहा होता हैl जबकि अन्य संस्करण के कार्ड में उसका सिर उसकी टोपी से ढंका होता हैl


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What are the interesting facts of mathematics?

What are the interesting facts of mathematics?

1.गणित के रोचक तथ्य क्या है?(What are the interesting facts of mathematics?)-

गणित को टफ व सबसे कठिन विषयों में गणना की जाती है। इसलिए अधिकांश विद्यार्थी गणित को उत्तीर्ण करके जैसे-तैसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं ।जबकि कुछ विद्यार्थी गणित को एक खेल व आनंददायक विषय समझकर उसके अंकों से नए-नए तथा रोचक तथ्य प्रकट करते हैं ।वे हमेशा गणित के सवालों, सिद्धांतों ,समीकरणों तथा अंकों में से कुछ नई खोज करने का प्रयास करते रहते हैं ।ऐसे विद्यार्थी आगे जाकर महान गणितज्ञों की श्रेणी में खड़े होते हैं । भारत के महान् गणितज्ञ आर्यभट्ट,ब्रह्मगुप्त ,महावीराचार्य, श्रीधराचार्य ,भास्कराचार्य द्वितीय तथा आधुनिक भारत में प्रोफेसर बीएन प्रसाद ,डॉ गणेश प्रसाद ,श्रीनिवास रामानुजन यूं ही महान गणितज्ञ नहीं हुए हैं। पाश्चात्य देशों में पाइथागोरस, यूक्लिड,गाउस जैसे गणितज्ञ हुए हैं।इन्होंने अपने तप व साधना के बल पर गणित को ऐसे स्थान पर पहुंचाया है कि गणित का स्थान सभी भौतिक विषयों में सर्वोपरि तो माना जाता ही है बल्कि इसका दैनिक जीवन, विज्ञान, तकनीकी तथा प्रौद्योगिकी में गणित के बिना काम नहीं चल सकता है यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी बल्कि उचित ही है। गणित का हर विषय व हर क्षेत्र में इतना समावेश हो गया है कि इसके बिना कोई भी विषय पंगु ही है।आधुनिक युग में कोई भी विषय हो चाहे तकनीकी हो, प्रौद्योगिकी हो ,विज्ञान हो ,भूगोल हो तथा अन्य कोई भी विषय हो गणित के बिना आगे विकसित नहीं हो सकते हैं। गणित के समावेश से उनकी गुणवत्ता तथा सौंदर्य में वृद्धि हुई है ।इस आर्टिकल में कुछ ऐसे ही रोचक तथ्य आपके लिए ढूंढ कर लाए हैं। हम इसी प्रकार के आर्टिकल लिखकर गणित को रोचक, सरल तथा जिज्ञासा बढ़ाने का प्रयास करते रहते हैं। आप लोग इन आर्टिकल को पढ़कर अपने गणित ज्ञान में वृद्धि तो कर ही सकेंगे साथ ही आपका मनोरंजन भी होगा ।आपकी गणित विषय में रुचि व जिज्ञासा बढ़ेगी ।इस तरह की उपयोगी सामग्री को पढ़कर आप तो लाभान्वित होंगे ही साथ ही अपने साथियों मित्रों में भी इसको शेयर करें ताकि वह भी लाभान्वित हो सके और उनकी भी गणित में रुचि, जिज्ञासा बढ़ सके। हम आप लोगों के लिए ऐसे ही इंटरेस्टिंग आर्टिकल लाते रहते हैं इसलिए आप पहली बार इस वेबसाइट पर आए हैं तो वेबसाइट को फॉलो करें और ईमेल सब्सक्रिप्शन से फॉलो करें जिससे नए आर्टिकल की जानकारी आपको मिलती रहे।

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(2.)पाई की वैल्यू निकालना तो मुश्किल है लेकिन इसे 3•14 या 22/7 माना जाता है ।कई गणितीय गणनाओं में उपर्युक्त मान का ही प्रयोग किया जाता है ।ऐसा भी कह सकते हैं कि बहुत सी कैलकुलेशन पाई के बगैर संभव नहीं है जैसे-वृत की परिधि व क्षेत्रफल ,बेलन का वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल व आयतन ,शंकु का वक्र पृष्ठ का क्षेत्रफल ,संपूर्ण पृष्ठ क्षेत्रफल तथा आयतन इत्यादि बहुत सी गणनाएं पाई के बिना संभव ही नहीं है ।अगर आप पाई की दो अंको तक वैल्यू यानी 3•14 को आईने में देखेंगे तो आपको पाई ही नजर आएगा। पाई के बारे में एक रोचक तथ्य यह भी है कि पाई की गणना करने में एम हारुका जो कि गूगल की कर्मचारी है ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है ,उन्होंने क्लाउड कंप्यूटिंग की सहायता से पाई की गणना 31 खरब अंकों तक कर डाली है ।
3.सूरजमुखी की स्पाइरल शेपऔर अन्य पैटर्न फिबोनैकी अनुक्रम का पालन करते हैं । फिबोनैकी अनुक्रम मैथस में ऐसे पैटर्न को कहते हैं जिसमें पहले की दो संख्याओं को जोड़ने से अगली संख्या प्राप्त होती है। उदाहरण के लिए  1,1,2,3,5,8 आदि ।अनुक्रम का ओर अधिक स्पष्ट अर्थ इस प्रकार है कि किसी समूह के अवयवों को इस प्रकार के क्रम में रखा जाए कि उसके सदस्यों को प्रथम ,द्वितीय, तृतीय संख्या इत्यादि से पहचान सकते हैं। जैसे विभिन्न समूहों में मानव की जनसंख्या अथवा बैक्टीरिया अनुक्रम की रचना करते हैं। कोई धनराशि बैंक खाते में जमा कर दी जाती है तो विभिन्न वर्षो में एक अनुक्रम का निर्माण करती है। किसी सामान की कम हो रही कीमतें एक अनुक्रम बनाती हैं। मानव क्रियाओं के कई क्षेत्रों में अनुक्रम का बहुत महत्वपूर्ण उपयोग है ‌विशिष्ट पैटर्नों का अनुसरण करने वाले अनुक्रम श्रेणी कहलाते हैं ।
What are the interesting facts of mathematics
What are the interesting facts of mathematics
4.पहले तो पैलिनड्राॅमिक नंबर या उल्टा सीधा एक समान का क्या मतलब है ,यह समझते हैं ।कुछ संख्याएं ऐसी होती है कि उनका पीछे या आगे किसी भी तरफ से पढ़े लिखे तो वहीं संख्या होती है, उसमें कुछ भी बदलाव नहीं होता है जैसे 17371 को अगर हम पीछे की तरफ से लिखें तो भी यह 17371 ही होगी ।अगर हम 1234 को उल्टा लिखें तो यह 4321 हो जाएगी अर्थात यह पैलिनड्राॅमिक नंबर का पालन नहीं करती है‌। इसलिए 17371 को तो पैलिनड्रॉमिक नंबर तो कह सकते हैं लेकिन 1234 को नहीं। खैर हम यह बताना चाहते हैं कि 1 से बनी संख्याएं 111, 1111 ,11111या इस तरह की कोई ओर संख्या हो उनको आपस में गुणा करते हैं तो हमें कोई पैलिनड्राॅमिक संख्या ही प्राप्त होती है।जैसे 1111 × 1111=1234321
5. यह समझ ले कि गूगलप्लेक्स (Googolplex)क्या है?
What are the interesting facts of mathematics
What are the interesting facts of mathematics
दरअसलGoogolplex 10 की पावर 10 की पावर 100 की वैल्यू है ।हमारी कायनात में कोई ऐसा कागज़ या साधन नहीं है जिस पर हम उसे लिख सके या फिर कंप्यूटर में भी आप इसको हल करना चाहेंगे तो कोई जवाब नहीं मिलेगा क्योंकि कंप्यूटर में उतनी मेमोरी नहीं होगी ।
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6.7 का हमारी प्रकृति से बहुत लेना-देना है जैसे दुनिया में सात अजूबे हैं, सात समुंदर ,सात दिन ,इंद्रधनुष में सात रंग होते हैं ,एक ऑनलाइन पोल में भी ज्यादातर लोगों ने 7 को अपना पसंदीदा नंबर बताया है। मारवाड़ी में सात-सात का अर्थ होता है,मिलकर कोई कार्य करना, हिंदी में 7 का अर्थ आनंद व प्रसन्नता होता है। सात-पांच मुहावरा भी है जिसका अर्थ होता है चालाकी, चालबाजी ,बहाना ,तकरार ।
7.6174 को कापरेकर काॅन्सटैंट कहा जाता है। दरअसल 6174 को एक जादुई नंबर भी माना जाता है। चार अंकों की किसी संख्या के कुछ फंक्शन के बाद हमेशा 6174 ही आता है।
8.1 से लेकर 100 तक की सभी संख्याओं को जोड़ा जाए तो 5050 ही आएगा ।इसी प्रकार 9 का कितना ही बड़ा पहाड़ा बना ले और उनके अंको का योग कर ले करें तो अंत में 9 ही आएगा जैसे 999 के अंकों का9+9+9=27, 2+7=9 इत्यादि ।
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9.चीन और जापान में 4 को अशुभ माना जाता है इसका संबंध मौत से जोड़ा जाता है ।इसलिए चीन के कई अस्पतालों में चौथा फ्लोर नहीं होता है। हमारे देश भारत में भी जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो हिंदुओं में अर्थी को चार लोग श्मशान तक उठाकर ले जाते हैं ।सोने की खाट के भी चार पाए होते हैं इसलिए उसे चारपाई कहते हैं।
इस तरह यदि हम संख्याओं का अपने दैनिक जीवन से तालमेल बिठाए तो इस तरह के और मनोरंजक तथ्य उभरकर आते हैं ।इस प्रकार के तथ्यों को ढूंढने से हमारे ज्ञान में वृद्धि तो होती है साथ ही गणित में रुचि व जिज्ञासा के साथ हमारी तार्किक क्षमता ,मनन व  चिंतन करने की क्षमता का विकास होता है ।है न !गणित एक अद्भुत विषय।

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why current indian education is best in hindi||indian education system outdated


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Make math interesting,help of carveNiche Technologies

Make mathematics interesting with the help of carveNiche Technologies

(1.)मैथस को कार्वेनीचे टेक्नोलॉजीज की सहायता से दिलचस्प बनाइए(Make math interesting with the help of carveNiche Technologies)-

Avneet Makkar,Make math interesting,help of carveNiche Technologies

Avneet Makkar,Make math interesting,help of carveNiche Technologies

गणित पढ़ने के लिए तथा गणित में बढ़िया परफॉर्मेंस बनाने के लिए हमें बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। गणित विषय से हम कितना भय खाते हैं यह इस बात से ही प्रमाणित होता है कि सीबीएसई द्वारा बेसिक मैथ व स्टैंडर्ड मैथ के दो पार्ट करने पर सिद्ध हुआ है ।बेसिक मैथ का पेपर ,स्टैंडर्ड मैथ से अपेक्षाकृत सरल है लेकिन बेसिक मैथ का चयन करने वाले विद्यार्थी आगे गणित विषय को ऐच्छिक विषय के रूप में चयन नहीं कर सकते हैं ।सीबीएसई बोर्ड ने इनमें से एक मैथ का पेपर चयन करने का ऑप्शन दिया था, अधिकांश विद्यार्थियों अर्थात लगभग 60 से 70% विद्यार्थियों ने बेसिक मैथ के पेपर का चयन किया है ।गणित को सरल तरीके से पढ़ने तथा अधिक स्कोरिंग मार्क्स प्राप्त करने हेतु हम कई आर्टिकल लिख चुके हैं। इस आर्टिकल में हम एक ऐसी संस्था व शख्सियत के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने कि बच्चों को फन एंड ईजी वे में समझाने का बीड़ा उठाया है ,वह अवनीत मक्कड़ है ।2010 में उन्होंने सबसे पहले अपनी बेटी के लिए गणित को आसान बनाने की पहल ने उन्हें एक नया आईडिया दिया कि क्यों न इसे अन्य विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाए ।

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(2.)गणित की कठिन शाखा(Difficult branch of mathematics)-

गणित की कई शाखाएं हैं परंतु उनमें अलजेब्रा,ज्योमेट्री ऐसी शाखाएं हैं जिनके नाम से ही विद्यार्थियों के पसीने छूटते हैं। बच्चों के तो पसीने छूटते ही हैं यहां तक कि माता-पिता तथा कई टीचर्स भी इस खौफ के शिकार हैं। अवनीत मक्कड़ ने इस बात को ठीक से समझकर इसका समाधान निकाला ।उनकी बेटी में गणित के प्रति बढ़ रहे फोबिया को देखकर उन्हें काफी बुरा लगता था ।अवनीत मक्कड़ मूलतः बैंगलोर की निवासी है। इन्होंने इस कठिनाई का समाधान करने के लिए कार्वेनीचे टेक्नोलॉजीज (carveNiche Technologies)की शुरुआत की जो बच्चों में गणित के प्रति रुचि व जिज्ञासा बढ़ा रहा है।

(3.)गणित की समस्याओं के समाधान का तरीका(How to solve math problems)-

इस स्टार्टअप का तरीका यह है कि पहले बच्चे का टेस्ट लिया जाता है ।इस टेस्ट का नाम है A1 based Test ,इस टेस्ट से पता चलता है कि बच्चा लर्निंग प्रोसेस में कहां पर है तथा कहां अटक रहा है ।इस प्रोडक्ट का नाम है बिगैलीलियो साइंटिफिकली डिजाइनड(beGalileo scientifically designed)है जो यूनिक प्रोडक्ट है और काफी लोकप्रिय है । इसमें सबसे पहले midas Test लिया जाता है ।इसमें बालकों की जरूरतों के अनुसार पर्सनलाइज्ड Al path generate होता है ।बिगैलीलियो(beGalileo) के प्लेटफार्म पर जितने भी बच्चें जिस टाॅपिक्स को हल करने में संघर्ष कर रहे होते हैं तथा जो कठिन लग रहे हैं वहां फोकस करते हुए टॉपिक्स को मजबूत किया जाता है।

(4.)बिगैलीलियो साइंटिफिकली डिजाइनड प्रोडक्ट की खासियत(Characteristics of beGalileo Scientifically Designed Products)-

इस प्रोडक्ट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह केजी(KG) से लेकर 10th क्लास के बच्चे किसी भी स्टेज पर प्रयोग करना प्रारंभ कर सकते हैं ।यानी आप यदि सिक्स्थ क्लास से प्रारंभ करते हैं तो सिक्स क्लास वाले बच्चों को पहली कक्षा से प्रारंभ नहीं किया जाता है ।किसी भी क्लास का बच्चा हो एक बार beGalileo कोर्स को पढ़ने के बाद में भय नहीं खाता है और उसकी रुचि इसमें बढ़ती जाती है ।इस कोर्स को करते-करते जो बच्चे मैंथ से डरते हैं उन्हीं बच्चों के लिए गणित फेवरेट सब्जेक्ट बन जाता है ।
कार्वेनीचे टेक्नोलॉजीज पर्सनलाइज्ड लर्निंग की क्वालिटी को उच्च स्तर की बनाए रखने के लिए B2B पर प्रोडक्ट रिटेल नहीं कर रही है ।इसलिए बिगैलीलियो(beGalileo) सिर्फ b2c रिटेल होता है ।कंपनी ने बिगैलीलियो(beGalileo) का प्रसार तथा अधिकतम बच्चों तक पहुंच बढ़ाने के लिए बिगैलीलियो सेंटर्स (beGalileo Centers) बनाए हैं और उन सेंटर में जो टीचर हैं उनको ट्रेनिंग दी जाती है ।टीचर्स की क्षमता तथा योग्यता को अच्छी तरह जांच परख करके इन सेंटर्स पर नियुक्त किया जाता है।इन सेंटर्स को तभी शुरू किया जाता है जबकि टीचर्स को ट्रेनिंग दे दी जाती है तथा कंपनी टीचर्स की ट्रेनिंग से भली प्रकार आश्वस्त हो जाती है। इन होम बेस्ड सेंटर्स की लागत को कम रखने का प्रयास किया जाता है ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी लाभान्वित हो सके।
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(5.)अन्य विद्यार्थियों के लिए सुविधा(Facilities for other students)-

जो विद्यार्थी इन सेंटरों पर नहीं जा सकते हैं क्योंकि पूरे भारत में 900सेंटर्स की स्थापना की गई है इसलिए सभी कस्बों में व ग्रामों में अभी सेंटर्स नहीं खुले हैं, उनके लिए कंपनी सब्सक्रिप्शन बाॅक्स के जरिए प्रोडक्ट की रिटेलिंग करती है। अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंच बढ़ाने व अधिक से अधिक विद्यार्थियों को लाभान्वित करने हेतु ₹1500 फीस beGalileoके लिए चार्ज की जाती है जिसमें 60% टीचर्स को देती है। अधिक जानकारी के लिए इस कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट पर जानकारी प्राप्त की जा सकती है ।यह कंपनी 20 शहरों में 900 से ज्यादा बिगैलीलियो सेंटर्स (beGalileo Centers)चला रही है।

(6.)कंपनी की आर्थिक स्थिति(Financial position of the company)-

एक करोड़ की पर्सनल सेविंग्स से अपने बिजनेस को शुरू किया ,$1 मिलीयन का निवेश कंपनी जुटा चुकी  है ।गणित के साथ-साथ बच्चों की लॉजिकल,रीजनिंग स्किल्स को विकसित कर रही है।

(7.)गणित के अलावा अन्य स्किल का विकास(Development of skills other than mathematics)-

कंपनी गणित के अलावा तार्किक तथा बौद्धिक क्षमता को विकसित करने का काम भी कर रही है जिससे कंजूमर reach  बढ़ाया जा सके ।इन कोर्सेज पर कंपनी का अत्यधिक फोकस बना हुआ है ।उसके लिए कंपनी इंस्टिट्यूशनल फंड राउंड जुटाने की तैयारी में जुटी हुई है।

(8.) समीक्षा(Review)-

कुछ समय पूर्व गणित व तार्किक क्षमता जैसे कठिन विषयों के लिए बच्चों को काफी परेशानी का अनुभव होता था। परंतु ज्यों-ज्यों तकनीकी का विकास होता जा रहा है त्यों-त्यों बच्चों को घर बैठे ऑनलाइन कोर्सेज सेंटर्स की सुविधा उपलब्ध हो रही है ।फिर भी बालक इन सुविधाओं का लाभ न उठा पाएं तो इसका मतलब यही समझा जाना चाहिए कि विद्यार्थियों में तप व श्रम करने का अभाव है क्योंकि इसी तरह ओर भी कोर्सेज कम कीमत पर उपलब्ध है। इतनी फीस तो जुटाकर आसानी से चुकाई जा सकती है। इसलिए जिन विद्यार्थियों को गणित में कठिनाई महसूस होती है तथा जो इस फीस का भुगतान कर सकते हैं उन्हें इसका फायदा उठाना चाहिए ।हमारा काम इस तरह की वैल्युएबल आर्टिकल आप तक पहुंचाना है फायदा उठाना आपका काम है।

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What is the need for innovation in maths education?

What is the need for innovation in mathematics education?

1.गणित शिक्षा में नवाचार की क्या आवश्यकता है?(What is the need for new innovation in mathematics education?)-

What is the need for innovation in maths education?
What is the need for innovation in maths education?
इस आर्टिकल में बताया गया है कि शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए नवीन तकनीक का प्रयोग किया जाना चाहिए । गणित शिक्षा वही है जो प्रगतिशील एवं परिवर्तनशील हो तथा आधुनिक युग की आवश्यकताओं की पूर्ति करती हो ।आधुनिक युग में तीव्र गति से जनसंख्या बढ़ रही है । अतः सभी को पुराने तरीकों से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना संभव नहीं है ।नवीन तकनीकी के माध्यम से पाश्चात्य देशों ने गणित शिक्षा उपलब्ध कराना बहुत पहले से ही प्रारंभ कर दिया है । जैसे कंप्यूटर, प्रोजेक्टर, ऑनलाइन ,सोशल मीडिया, वीडीओ द्वारा गणित शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है।विद्यार्थी एकमात्र विद्यालय के ऊपर निर्भर नहीं है ।यह आवश्यक भी है कि शिक्षा संस्थानों की मोनोपोली खत्म होती जा रही है ।आज विद्यार्थी द्वारा गणित शिक्षा अर्जित करने के कई प्लेटफार्म है जिनसे वह अपने घर बैठे गणित शिक्षा अर्जित कर सकता है ।

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(1.)आज बाल केंद्रित शिक्षा प्रणाली में बालक की अभिरुचि, शारीरिक एवं मानसिक क्षमता के अनुरूप ही शिक्षण कार्य संपादित करना होता है ।अपारंपरिक शिक्षण साधनों के बढ़ते चरण व लोकप्रियता के फलस्वरूप शिक्षक को अपनी भूमिका बरकरार रखने हेतु गणित शिक्षण की पूर्व तैयारी आवश्यक है ।गणित में जो भी टॉपिक पढ़ाना हो उसकी पूर्व से ही ठीक तरह से तैयारी करके ,विद्यार्थियों को पढ़ाना चाहिए ।
(2.)शिक्षण प्रक्रिया जटिल होती है ।शिक्षण का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थी के व्यवहार में परिवर्तन लाना होता है। यह तभी संभव है जब शिक्षण नियोजन में ऐसी प्रक्रिया का समावेश हो जिससे विद्यार्थी में जिज्ञासा बनी रहे ।प्रक्रिया सोपान में यह निर्णय लेना होता है कि गणित शिक्षण के समय गणित के टॉपिक की विभिन्न अवस्थाओं में किन युक्तियों ,विधियों ,सहायक सामग्री का प्रयोग कब ,कहां ,कैसे किया जाए ,मूल्यांकन का स्वरूप क्या हो? शिक्षण में रोचकता व निरंतरता बनी रहे तथा विद्यार्थियों द्वारा गणित शिक्षा को ग्रहण करने की क्षमता में वृद्धि होती हो।
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(3.) नवाचार स्फूर्त परिवर्तन नहीं है, वरन् यह योजनाबद्ध परिवर्तन है।इसका उद्देश्य गुणात्मक सुधार करना होता है और अपेक्षित उद्देश्य प्राप्त करना होता है।यह विचारित और उद्देश्य को ध्यान में रखकर प्रयास किया जाता है ताकि श्रेष्ठ परिणाम प्राप्त किया जा सके ।
(4.) नवाचार में उन गणित की शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जाता है जो वैज्ञानिक अध्ययन का फल होती है और जिनका उद्देश्य,लक्ष्य तथा साधन के बीच सर्वोत्तम सामंजस्य स्थापित करना तथा यह सुनिश्चित करना होता है कि प्रत्येक प्रयत्न से सर्वाधिक फल मिले।इसी भांति गणित शैक्षिक नवाचार को शैक्षिक परिवर्तन के महत्वपूर्ण घटक के रूप में ,नए तत्व के समावेश के रूप में एक प्रेरक शक्ति एवं स्थापित व परंपरागत रूप से भिन्न व्यावहारिक राय के रूप में परिभाषित किया जाता है ।
(5.) गणित शिक्षा के क्षेत्र में नवाचार मूलतः प्रयोग के बाद प्रयोग एवं गणित शिक्षा प्रणाली का अंग बनने के पहले की स्थिति है ।यदि किसी तत्व, तकनीक,अवस्था का कारक का प्रभाव ज्ञात करने की योजना बनाई जाती है तो यह योजना ही प्रयोग कहलाती है। स्पष्ट है कि प्रयोग का क्षेत्र छोटा होगा।प्रयोग के अनुभव से लाभ उठाकर ही उसका क्षेत्र विस्तृत किया जाएगा ।
(6.) गणित शिक्षक को अपने काम में सुधार की ललक, शिक्षा स्तर उन्नत करने की उनकी अभिलाषा ही नवाचार की ओर प्रेरित करती है।दृढ़ इच्छाशक्ति तथा निश्चय ही नवाचार की रीढ़ है। इस प्रकार शैक्षिक नवाचार शैक्षिक प्रगति का रथ माना जा सकता है। शैक्षिक नवाचार शिक्षक को इस बात में मदद करते हैं कि उनके प्रयत्न व्यर्थ न जाए तथा उनका अधिकाधिक सुफल मिले।
(7.)जिस प्रकार एक शल्य चिकित्सक मरीज का ऑपरेशन करने से पूर्व बीमारी से संबंधित सभी पक्षों पर विचार करता है ,सभी उपकरणों की सफाई करता है और आत्मविश्वास से ऑपरेशन कक्ष में प्रवेश करता है। ठीक उसी प्रकार शिक्षक को भी बालक का व्यवहार परिवर्तन करने हेतु कक्षा में प्रवेश से गणित के टाॅपिक का अध्ययन उसकी प्रस्तुति पर तर्कपूर्ण मनन,विद्यार्थी अधिगम प्रवृत्ति का ज्ञान,अधिगम स्थापना के विभिन्न सोपान की तैयारी करना अपेक्षित है।
(8.) वर्तमान तकनीकी युग में अनेक ऐसे माध्यम हैं जिनसे बालक अच्छी गणित शिक्षा ग्रहण कर अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है ।आज के संदर्भ में अनुभव पर आधारित अथवा अभिनव प्रयोग का अधिक महत्त्व है ।कारण स्पष्ट है कि आज ज्ञानार्जन का क्षेत्र इतना विशिष्ट हो गया है कि परंपरागत गणित शिक्षा, गणित शिक्षण पद्धतियां ज्ञान संप्रेषण का सशक्त माध्यम सिद्ध नहीं हो सकती है। अतः गणित शिक्षण में अभिनव प्रयोगों का अधिक महत्व है।
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(9.)अतः समय की मांग के अनुसार शिक्षक व शिक्षण पद्धतियों को परिवर्तन के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने हेतु अपनी मंद गति को तिलांजलि देकर राॅकेट की-सी गति से चलना होगा। आज का विद्यार्थी अधिक सक्रिय ,अध्ययन एवं चिंतनशील है। अतःजितना संभव हो कक्षा कक्ष में तकनीकी कारणों से गणित शिक्षा देने हेतु कई उपकरणों का प्रयोग करना होगा यथा कंप्यूटर,इंटरनेट,टेलीविजन,टेपरिकॉर्डर आदि आज की शिक्षा के अंग बन रहे हैं। इस परिवर्तनशील गणित शैक्षिक स्वरुप में गणित व  शिक्षण पद्धतियों का जीर्णोद्धार परम आवश्यक है।
दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है तो नवीन तकनीक के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की गति को तीव्र करने की जरूरत है।

2.शिक्षा में नवीन तकनीक के लिए 128 शिक्षकों को दिया गणित, पर्यावरण का प्रशिक्षण(128 teachers given mathematics, environment training for new technology in education)-

Bharatpur News - बयाना. निष्ठा शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में मौजूद संभागी शिक्षक-शिक्षिकाएं। भास्कर संवाददाता|बयाना शिक्षा...
Dec 20, 2019
बयाना. निष्ठा शिक्षक प्रशिक्षण शिविर में मौजूद संभागी शिक्षक-शिक्षिकाएं।
शिक्षा विभाग की ओर से कस्बे के वेयर हाउस रोड स्थित व्यापार मंडल धर्मशाला में गुरुवार से पांच दिवसीय निष्ठा (नेशनल इनिशिएटिव फॉर स्कूल हेड्स एंड टीचर्स होलिस्टिक एडवांसमेंट) शिक्षक प्रशिक्षण गैर आवासीय शिविर की शुरुआत हुई। शिविर के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि सीबीईओ कप्तान सिंह रहे तथा अध्यक्षता प्रधानाचार्य लखनपाल सिंह ने की। विशिष्ट अतिथि एसीबीईओ डॉ. कुंवर सिंह व आरपी दिनेश सिंह तंवर विशिष्ट अतिथि रहे।
शिविर का उद्घाटन करते हुए अतिथियों ने शिविर में भाग ले रहे शिक्षकों से विद्यालयी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए नवाचारों का उपयोग करने को कहा। उन्होंने बताया कि शिविर के तहत प्रारम्भिक शिक्षा के विद्यालय प्रमुखों और शिक्षकों की समग्र प्रगति के लिए राष्ट्रीय पहल एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण के माध्यम से शिक्षा में सुधार के लिए क्षमता व दक्षता का निर्माण करना है। निष्ठा कार्यक्रम के तहत देशभर में 42 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। शिविर में भाषा, गणित एवं सामाजिक विज्ञान, विज्ञान, पर्यावरण अध्ययन तथा लीडरशिप मोड्यूल, शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का मास्टर ट्रेनरों ने प्रशिक्षण दिया। शिविर में 128 शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भाग लिया। इस अवसर पर आरपी सुरेशचंद्र जाटव, श्रीभान सोलंकी, विनोद सोनी, कविता शर्मा, अतरसिंह, संतोष गुप्ता, मोहनलाल रछोईया, मुकेश मीना, रामेश्वर प्रसाद, वीरेश सिंह, प्रहलाद शर्मा, तुलसीराम गुर्जर, सुरेश दीक्षित, हीराशंकर शर्मा, किशन शर्मा, गुलाबसिंह, मोनिका गुप्ता आदि मौजूद रहे।



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How to make India a leading country in mathematics?

How to make India a leading country in mathematics?

1.भारत को गणित में अग्रणी देश कैसे बनाएं(How to make India a leading country in mathematics)-

S.S. Pillai,How to make India a leading country in mathematics?
S.S. Pillai,How to make India a leading country in mathematics?
भारत को गणित में अग्रणी बनाने के लिए हमें प्राथमिक कक्षाओं के बालकों पर ध्यान देना होगा ।जैसे एक माली छोटे से पौधे को लगाता है तो उसको खाद,पानी तो देता ही है परंतु आंधी तूफान से भी सुरक्षा करता है। पशुओं से सुरक्षा करने के लिए बाढ़ लगाता है। इसी प्रकार भारत की प्राथमिक कक्षाओं के बालकों की गणितीय प्रतिभा को पहचान कर उनकी प्रतिभा को विकसित करना होगा ।हमारे देश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। लेकिन केवल रामानुजम की प्रतिभा का ढोल नगाड़ा बजाने से हमारा देश गणित में अग्रणी नहीं हो जाएगा ।इतिहास में भारत में महान गणितज्ञ हुए हैं उनकी जीवनी और चरित्र को बताने से बालकों को प्रेरणा मिलती है ।परंतु उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए और उपाय करने होंगे ।

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2.प्राथमिक कक्षाओं में बालकों की प्रतिभा को पहचानने(Recognizing the talent of children in primary classes)-

प्राथमिक कक्षाओं में बालकों की प्रतिभा को पहचानकर उसे तराशने का कार्य करें। बालक गणित में कोई रुचि व  जिज्ञासा प्रकट करें तो उसे प्रोत्साहित करें और उनकी जिज्ञासा को बढ़ाएं ।वे जो प्रश्न पूछते हैं उनका उचित समाधान करके बालकों की रूचि बढ़ाई जा सकती है और जिज्ञासा जागृत की जा सकती है ।

3.प्राथमिक कक्षाओं में संख्या सिद्धान्त पढ़ाएं(Teach number theory in primary classes)-

प्राथमिक कक्षाओं में बालकों को गिनती,पहाड़े,गुणा,भाग, जोड़,बाकी सीखाएं उनको ठीक तरह से गणित की इन क्रियाओं में पारंगत करें। अक्सर शिक्षक परम्परागत तरीके से बालकों को पढ़ाते हैं और किसी को गिनती, पहाड़े, जोड़,बाकी,गुणा,भाग नहीं आ रहे हैं तो उन पर ध्यान नहीं देते हैं।जब हम यह मान लेते हैं कि बच्चा गणित में नहीं पढ़ सकता है तो बच्चा मायूस हो जाता है और बच्चे की रुचि व जिज्ञासा समाप्त होने लगती है।इसलिए प्राथमिक कक्षाओं में संख्या सिद्धांत पढ़ाना चाहिए ।प्राथमिक कक्षाओं के लिए संख्या सिद्धांत सरल तो है ही दैनिक जीवन में भी जोड़,गुणा,भाग,बाकी इत्यादि का प्रयोग करते हैं।
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4.बच्चों के सामने चुनौती प्रस्तुत करें(Submit challenge in front of children)-

बच्चों को कोई कठिनाई आए तो हम तत्काल उसे उसका हल बता देते हैं जबकि हमें कुछ क्षण बच्चों को सोचने के लिए प्रेरित करना चाहिए।उन्हेंं हम इस तरह से प्रेरित कर सकते हैं" इसे आप हल कर सकते हैं "  "यह सवाल ज्यादा कठिन नहीं है "। इस तरह प्रेरणा सूचक शब्दों से बालकों में उत्साह का संचार होता है।

5.बालक किसी समस्या का समाधान करें तो प्रशंसा करें(If the child resolves a problem, then praise)-

बालक गणित के सवाल हल कर देता हो तो सबके सामने उसकी प्रशंसा करनी चाहिए। अन्य बालकों को भी प्रेरित करना चाहिए कि इस बालक की तरह आप भी इसे हल कर सकते हैं ,बस थोड़ा प्रयास करने व ध्यान देने की जरूरत है।शिक्षक की विद्यार्थियों पर पैनी नजर रहनी चाहिए। उसकी लापरवाही से बच्चे गणित में पिछड़ सकते हैं और शिक्षक सजग ,सतर्क व चौकस हों तो बच्चे बहुत आगे बढ़ सकते हैं।

6.बालक को मनोरंजन के तरीके से पढ़ाएं(Teach the child in a fun way)-

बालकों को पहेली,गानों के माध्यम से सिखाएं तो ओर बढ़िया है। पहेली से बालकों की मानसिक क्षमता बढ़ती है तथा गानों के जरिए पढ़ाने से बालकों को आनंद का अनुभव होता है ।बालक बोर नहीं होते हैं। गणित में जिज्ञासा जागृत होती है ।वे भी गणित में आगे बढ़ने की सोचते हैं ।मनोरंजन व संगीत में गणित में बालकों की स्वाभाविक वृत्ति होती है ।इसलिए मनोरंजन व गानों की सहायता से जल्दी सीखते हैं और लंबे समय तक गणित की पहेलियों व गानों द्वारा सीखी हुई बातें याद रहती है।

7.बालकों को खेल के माध्यम से सिखाएं(Teach children through sports)-

छोटे बालकों को खिलौनों व खेल के माध्यम से सिखाएं। प्राथमिक कक्षा के बालकों की खिलौनों से खेलने की स्वाभाविक वृत्ति होती है ।इसलिए खिलौनों के माध्यम से उनकी प्रतिभा को निखारें तथा तराशें। याद रखें गणित की प्रतिभा तथा शिक्षा में पारंगत करना साधना का कार्य है। इसलिए इस कार्य को जितनी गंभीरता तथा उत्सुकता से करेंगे बालक उतना ही आगे बढ़ेंगे।
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8.बालकों कोँ  कहानियों के जरिए सिखाएं(Teach through stories to children)-

बालकों को गणित को कहानियों के जरिए सिखाएं। छोटे-छोटे बालक कहानी,कथाओं में रुचि लेते हैं।इसलिए गणित की समस्याओं तथा जोड़,बाकी,गुणा,भाग को बालकों के सामने कहानियों के रूप में प्रस्तुत करें ।कहानियों को बालक रुचि पूर्वक सुनते हैं तथा जो बालक गंभीरता से ध्यान लगाकर किसी बात को सुनता है उसे जल्दी तो सीखता है ही साथ ही ऐसा सीखा हुआ स्थायी भी होता है ।

9.बालकों को गणितज्ञों की जीवनियां सुनाएं(Narrate biographies of mathematicians to children)-

भारत के महान गणितज्ञों को सरलतम रूप से प्रस्तुत करके सुनाएं।उनके वे पहलू अवश्य सुनाएं जिनके कारण उनका नाम दुनिया में रोशन हुआ व जिन कठिनाइयों और समस्याओं को उन्होंने हल किया।ऐसी विशिष्ट गणित की खोज को सुनाकर उन्हें प्रेरित करें ।महान गणितज्ञों की जीवनी से प्रेरणा मिलती है।

10.बालकों को जिड़कें नहीं बल्कि प्रेम करें(Do not seduce children but love)-

बालकों को बात-बात पर डांट-डपट से काम न लेकर प्रेम पूर्वक समझाएं । शैतानी भी करते हैं तो उन्हें प्रेम पूर्वक समझाएं ।शैतानी करने से होने वाली हानियों के बारे में बताएं ‌।कुछ बच्चे प्रेम पूर्वक नहीं मानते हैं ,शैतानी करते हैं, ऐसा वे अपने चंचल स्वभाव के कारण करते हैं। उनकी चंचलता को गणित की समस्याओं को हल करने की तरफ़ मोड़ें। फिर भी बहुत ज्यादा शैतानी करने वाला कोई-कोई बच्चा ही होता हैं ।ऐसे बच्चों को सबके सामने न डांटकर, अकेले में डांटे।सबके सामने डांटने से वे अपमानित महसूस करते हैं।

11.भारत गणित के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश(India's leading country in the field of mathematics)-

Publish Date:Sun, 15 Dec 2019
How to make India a leading country in mathematics?
How to make India a leading country in mathematics?
गणित के प्रति बच्चों में रुचि पैदा करने के लिए उन्हें पांचवी-छठी कक्षा से ही संख्या सिद्धांत पढ़ाने की जरूरत है।
भागलपुर। गणित के प्रति बच्चों में रुचि पैदा करने के लिए उन्हें पांचवी-छठी कक्षा से ही संख्या सिद्धांत पढ़ाने की जरूरत है।
आइआइटी दिल्ली के गणित विभाग के पूर्व प्राध्यापक बी चौधरी ने ये बातें शनिवार को तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के गणित विभाग में 'शुद्ध और व्यावहारिक गणित में हाल के रूझानों' विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि स्कूल स्तर पर देश के महान गणितज्ञ रामानुजम का जन्म दिवस 22 दिसंबर को मनाया जाए। इस दिन बच्चों को गणित की शिक्षा के लिए जागरूक करें। बच्चों को रामानुजम के बारे में भी बताएं। वे एकमात्र शख्स थे, जिन्होंने पूरी दुनिया में यह दिखा दिया कि भारत गणित के क्षेत्र में सबसे अग्रणी देश है। अमेरिका में रामानुजम दिवस मनाया जाता है। यदि बच्चे गणित में अच्छा करते हैं तो वह हर क्षेत्र में अच्छा कर सकते हैं। उन्होंने बिहार की शिक्षा-व्यवस्था में सुधार पर बल दिया। सभी विज्ञानों की रानी है गणित।
प्रतिकुलपति प्रो.रामयतन प्रसाद ने कहा कि महान गणितज्ञ गाउस ने कहा था कि गणित सभी विज्ञानों की रानी है। गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी का एक महत्वपूर्ण उपकरण (टूल) है। भौतिकी, रसायन विज्ञान, खगौल विज्ञान आदि गणित के बिना नहीं समझे जा सकते। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो वास्तव में गणित की अनेक शाखाओं का विकास ही इसलिए किया गया कि प्राकृतिक विज्ञान में इसकी आवश्यकता आ पड़ी थी। दैनिक जीवन में हम करते हैं गणित का इस्तेमाल
विभागाध्यक्ष प्रो. बिजेंद्र कुमार ने कहा की हम अपने दैनिक जीवन में गणित का इस्तेमाल करते हैं। उस वक्त जब समय जानने के लिए हम घड़ी देखते हैं, सामान खरीदने के बाद हिसाब जोड़ते हैं। या फिर फुटबॉल, टेनिस या क्रिकेट खेलते समय स्कोर का लेखा-जोखा रखते हैं। हर जगह गणित की जरूरत है। इससे पहले सेमिनार का उद्घाटन प्रो. बी चौधरी, प्रतिकुलपति प्रो. रामयतन प्रसाद, विधान पार्षद डॉ.एनके यादव, बिहार मैथमेटिक्स सोसाइटी के सदस्य प्रो. विजय कुमार, रायगढ़ विवि के प्रो.केसी तिवारी और डॉ कमला पारी ने संयुक्त रूप से किया। विभाग की छात्र- छात्राओं के द्वारा स्वागत गान व कुलगीत की प्रस्तुति दी गई। विभागाध्यक्ष ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। मंच संचालन डॉ बज्रभूषण तिवारी ने किया।
इस मौके पर मारवाड़ी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गुरुदेव पोद्दार, मुरारका कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अमरकात मंडल, डॉ दयानंद राय, डॉ अर्जुन प्रसाद सहित अन्य उपस्थित थे।


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Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December?

Why is National Mathematics Day celebrated only on 22 December?

1.राष्ट्रीय गणित दिवस 22 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?(Why is National Mathematics Day celebrated only on 22 December?)-

Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December
Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December
इस आर्टिकल में बताया गया है की 22 दिसंबर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है? गणित में जागरूकता, राष्ट्रीय चेतना ,समझ तथा रुचि बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाने की आवश्यकता महसूस हुई। गणित के प्रति विद्यार्थियों तथा लोगों की सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए पहल करने की आवश्यकता महसूस हुई ।इसके अतिरिक्त आधुनिक युग में हर क्षेत्र में विशेष ज्ञान, विज्ञान, तकनीकी व प्रौद्योगिकी तथा इंजीनियरिंग में गणित के बिना काम नहीं चलाया जा सकता है और नहीं विकास किया जा सकता है। इसलिए इन सभी दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाने का संकल्प लिया गया ।श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस से अच्छा और कोई दिवस नहीं हो सकता था।

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2.श्रीनिवास रामानुजन का परिचय(Introduction to Srinivasa Ramanujan)-

Srinivasa Ramanujan,Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December
Srinivasa Ramanujan,Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म तमिलनाडु प्रांत के इरोद नामक ग्राम में एक निर्धन परिवार में 22 दिसंबर,1887 को हुआ था ।इनके पिता कुंभकोणम ग्राम के निवासी थे और वहीं पर एक कपड़े वाले के यहां मुनिमी करते थे ।रामानुजन के जन्म के बारे में एक किवदंती प्रचलित है। कहा जाता है कि विवाह होने के कई वर्ष बाद तक उनकी माता के कोई संतान नहीं हुई। इससे वे सदैव चिंतित रहती थी ।अपनी पुत्री को चिंताकुल देखकर रामानुजन के नाना ने नामकल गांव में जाकर वहां की नामगिरि देवी की आराधना की, उसी के फलस्वरूप श्रीनिवास रामानुजन का जन्म हुआ। 5 वर्ष की आयु में रामानुजन को स्कूल भेजा गया। वहां पर दो वर्ष पढ़ने के बाद वह कुंभकोणम हाईस्कूल में पढ़ने भेजे गए । उन्हें गणितशास्त्र में बड़ी दिलचस्पी थी। अपने साथियों और अध्यापकों से कभी वह नक्षत्रों के बारे में कुछ पूछ बैठते थे तो कभी परिधि के बारे में।जब वह तीसरे दर्जे में पढ़ते थे तो एक दिन अध्यापक समझा रहे थे कि किसी संख्या को उसी संख्या से भाग देने पर भागफल एक होता है ।रामानुजन ने फौरन पूछा ,"क्या यह नियम शून्य के लिए भी लागू होता है?" इसी दर्जे में बीजगणित की तीनों श्रेणियां- समांतर श्रेणी, गुणोत्तर श्रेणी ,हरात्मक श्रेणी जो कि आजकल इंटरमीडिएट कक्षाओं में पढ़ाई जाती है- पढ़ लिया था, चौथे दर्जे में त्रिकोणमिति तथा पांचवें दर्जे में ज्या और कोज्या का विस्तार समाप्त कर लिया था। 17 वर्ष की आयु में रामानुजन ने हाईस्कूल परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की जिससे उन्हें सरकारी छात्रवृत्ति प्रदान की गई ।परंतु कॉलेज की प्रथम साल तक पहुंचते-पहुंचते गणित शास्त्र में इतने लवलीन हो गए कि गणित के सिवा और किसी काम के न रहे और परिणाम यह हुआ कि यह फेल हो गए। इससे इनकी छात्रवृत्ति रोक दी गई । अतःआर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण इनको अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा खत्म करनी पड़ी। उन दिनों रामानुजन को आर्थिक कठिनाइयों ने परेशान कर दिया ।इसी समय इनका विवाह कर दिया गया। विवाह हो जाने पर कठिनाइयां दोगुनी हो गई और वह शीघ्र नौकरी ढूंढने के लिए मजबूर हो गए।
बड़ी कठिनाइयों के बाद इनको मद्रास ट्रस्ट में ₹30 मासिक की नौकरी मिल गई। इसी बीच डॉक्टर वाकर गणित में उनकी दिलचस्पी से बहुत प्रभावित हुए।उनके प्रयत्न से रामानुजन को मद्रास विश्वविद्यालय से दो वर्ष के लिए ₹75 मासिक छात्रवृत्ति मिल गई तथा इनको क्लर्की से छुटकारा मिल गया और आर्थिक चिंताओं से मुक्त होकर उन्हें अपना सारा समय गणित में लगाने का शुभ अवसर प्राप्त हो गया। जब आपने अपने कुछ लेख ट्रिनिटी कालेज के गणित के फेलो डॉक्टर हार्डी के पास भेजे तो इन लोगों को देखकर डाॅ.हार्डी तथा दूसरे अंग्रेज गणितज्ञ बड़े प्रभावित हुए। अतः ये लोग रामानुजन को केम्ब्रिज बुलाने का प्रयत्न करने लगे।
सन 1941 में जब ट्रिनिटी कॉलेज के फैलो डॉक्टर नोविल भारत आए तो डॉक्टर हार्डी ने उनसे रामानुजन से मिलने तथा उनको कैंब्रिज लाने का अनुरोध कर दिया था ।भारत आने पर प्रोफेसर नोविल ने रामानुजन से भेंट की ।उन्होंने नोविल महोदय की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। इस पर नोविल साहब ने उनको 250पौण्ड की छात्रवृत्ति देने के अतिरिक्त व्यय तथा यात्रा व्यय देना भी स्वीकार कर लिया। इससे 60रुपये प्रतिमाह अपनी माता को देने का प्रबन्ध करके 17 मार्च ,1847ई. को मि.नोविल के साथ रवाना हो गए।20 फरवरी ,1918को आप रॉयल सोसाइटी के फैलो बन गए।यह सम्मान प्राप्त करने वाले आप पहले भारतीय थे। 27 फरवरी, 1919 को आप लन्दन से भारत के लिए रवाना हुए और 27 मार्च को आप बम्बई पहुंचे। विदेश में रहने और जलवायु अनुकूल न होने से आप बहुत कमजोर हो गए।
स्वास्थ्य खराब होने से इनको कावेरी कोटू मण्डी ले जाया गया। वहां से वे कुम्भ कोनम् ले जाए गए।इनका स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन बिगड़ता गया लेकिन मस्तिष्क का प्रकाश अन्त तक बंद नहीं हुआ। मृत्यु तक वह काम में लगे रहे। Mock Theta Functions पर उनका सब काम मृत्यु शैय्या पर हुआ। 26 अप्रैल,1920 को मद्रास के पास चेतपुर ग्राम में इस विश्वविख्यात गणितज्ञ का स्वर्गवास हो गया।
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3.राष्ट्रीय गणित दिवस 22 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?(Why is National Mathematics Day celebrated only on 22 December?)-

राष्ट्रीय गणित दिवस (National Mathematics Day) 22 दिसंबर को हर साल महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की याद में मनाया जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि राष्ट्रिय गणित दिवस सबसे पहले कब मनाया गया था, इसके पीछे का इतिहास और श्रीनिवास अयंगर रामानुजन कौन थे?
DEC 20, 2019
National Mathematics Day in hindi
राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में गणित के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि देश की युवा पीढ़ी के बीच गणित सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रेरित करने, उत्साहित करने और विकसित करने के लिए कई पहल की जाती रही हैं. इसलिए, इस दिन गणित के शिक्षकों और छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है, विभिन्न जगहों पर कैम्प का आयोजन किया जाता है ताकि गणित से संबंधित क्षेत्रों में टीचिंग-लर्निंग मैटेरियल्स (TLM) के विकास, उत्पादन और प्रसार पर प्रकाश डाला जा सके.

4.राष्ट्रीय गणित दिवस का इतिहास(. History of National Mathematics Day)-

22 दिसंबर 2012 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की 125वीं वर्षगाठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में श्रीनिवास रामानुजन को श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2012 को राष्ट्रिय गणित वर्ष और साथ ही उनके जन्मदिन को यानी 22 दिसंबर को राष्ट्रिय गणित दिवस घोषित किया. इस प्रकार 22 दिसंबर 2012 को पहली बार देश भर में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया गया.
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को मद्रास से लगभग 400 किलोमीटर दूर ईरोड नगर में हुआ था. बचपन से ही इनको गणित में रूचि थी. इनकी गिनती उन महान वैज्ञानिकों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नए ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की.

5.राष्ट्रीय गणित दिवस कैसे मनाया जाता है?(How is National Mathematics Day celebrated?)-

राष्ट्रिय गणित दिवस भारत के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में मनाया जाता है. यहां तक कि इंटरनेशनल सोसाइटी यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) और भारत ने गणित सीखने और समझ को फैलाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की थी. साथ ही छात्रों को गणित में शिक्षित करने के लिए विभिन्न कदम उठाये और दुनिया भर में छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए ज्ञान का प्रसार किया.

6.NASI (The National Academy of Sciences India) 

इलाहाबाद में स्थित सबसे पुराना विज्ञान अकादमी है. राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने के लिए, NASI गणित और रामानुजन के अनुप्रयोगों में कार्यशाला का आयोजन करती है. कार्यशाला में राष्ट्र भर से गणित के क्षेत्र में लोकप्रिय व्याख्याताओं और विशेषज्ञ भाग लेते हैं. देश और विश्व स्तर पर स्पीकर्स श्रीनिवास रामानुजन के गणित में योगदान के बारे में बताते हैं.
भारत के सभी राज्य अलग-अलग तरीकों से राष्ट्रीय गणित दिवस मनाते हैं. विभिन्न प्रतियोगिताओं और गणितीय प्रश्नोत्तरी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित की जाती हैं. गणित के प्रतिभा और भारत भर के छात्र इन कार्यक्रमों में भाग लेते हैं इत्यादि.

6.अब श्रीनिवास रामानुजन के बारे में देखते हैं(Now lets see about Srinivasa Ramanujan.)-.

श्रीनिवास रामानुजन महानतम गणितज्ञों में से एक हैं जिनके सहायक और योगदान ने गणित को पूरी तरह से नया अर्थ दिया है. इसलिए उन्हें "गणितज्ञों का गणितज्ञ" भी कहा जाता है. रामानुजन ने 12 साल की उम्र में त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और बिना किसी की सहायता के खुद से कई प्रमेय (Theorems) भी विकसित किए.
उनकी आरंभिक शिक्षा कुम्भकोणम के प्राइमरी स्कूल में हुई और फिर 1898 में टाउन हाई स्कूल में एडमिशन लिया और सभी विषय में अच्छे अंक प्राप्त किए. यहीं पर उनको जी.एस. कार की लिखी हुई गणित विषय में पुस्तक पढ़ने का अवसर मिला और इससे प्रभावित होकर उनकी रूचि गणित में बढ़ने लगी. साथ ही उन्होंने गणित विषय में काम करना प्रारंभ कर दिया. 
उनका बचपन काफी कठिनाइयो में बीता. वे अधिकतर विद्यालय में दोस्तों से किताबें उधार लेकर पढ़ा करते थे. युवा होने पर घर की आर्थिक आवश्यकताओं की अपूर्ति के लिए उन्होंने क्लर्क की नौकरी कर ली और खाली होने पर वे गणित के प्रश्न हल किया करते थे और कई प्रकार की theorems पर वर्क करते थे. एक बार एक अंग्रेज़ कि नजर उन पन्नों पर पड़ गई और उसने निजी रूची लेकर श्रीनिवास रामानुजन को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रो. हार्डी के पास भेजने का प्रबंध कर दिया. प्रो. हार्डी ने उनमें छिपी प्रतिभा को पहचाना जिसके बाद उनकी ख्याति विश्व भर में फैल गई.
रामानुजन ने बिना किसी सहायता के हजारों रिजल्ट्स, ज्यादातर identities और equations के रूप में संकलित किए. कई रिजल्ट्स पूरी तरह से original थे जैसे कि रामानुजन प्राइम, रामानुजन थीटा फ़ंक्शन, विभाजन सूत्र और mock थीटा फ़ंक्शन. इन रिजल्ट्स और identities ने पूरी तरह से काम के नए क्षेत्र खोल दिए और आगे रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने divergent series पर अपने सिद्धांत को बनाया. इसके अलावा, उन्होंने रीमैन श्रृंखला (Riemann series), the elliptic integrals, हाइपरजोमेट्रिक श्रृंखला (hypergeometric series) और जेटा फ़ंक्शन के कार्यात्मक समीकरणों पर काम किया. 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन (Hardy-Ramanujan) नंबर के रूप में भी प्रसिद्ध है.
काफी परिश्रम के कारण रामानुजन बीमार रहने लगे थे और मात्र 32 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद उनकी कई प्रमेयों (Theorems) को छपवाया गया और इनमें से कई ऐसी Theorems भी हैं जिनकों कई दशक तक सुलझाया भी नहीं जा सका.
इसमें कोई संदेह नहीं है की रामानुजन द्वारा कि गई गणित के क्षेत्र में खोज आधुनिक गणित और विज्ञान कि आधारशिला बनी. यहां तक की उनका संख्या-सिद्धान्त पर किया गया कार्य के कारण ही उन्हें 'संख्याओं का जादूगर' माना जाता है.


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College students get benefits of pursuing BSc course

College students get these benefits of pursuing BSc course

1.कॉलेज स्टूडेंट्स को मिलते हैं BSc कोर्स करने के ये फायदे (Introduction to College students get these benefits of pursuing BSc course)

College students get benefits of pursuing BSc course
College students get benefits of pursuing BSc course
तकनीकी का जितनी तीव्र गति से विकास होता जा रहा है त्यों-त्यों अन्य विषय विशेषकर गणित विषय से बीएससी करने वाली विद्यार्थियों के दिमाग में यह प्रश्न उठता है कि गणित से बीएससी करने के स्काॅप खत्म होते जा रहे हैं ।जब बीटेक ,एमटेक तथा आईआईटी वालों की पूंछ खत्म होती जा रही है तो बीएससी कहां लगती है अर्थात इनका स्थान तकनीकी ने ले लिया है परंतु वस्तुत ऐसी बात नहीं है बल्कि बीएससी तथा अन्य गणित के कोर्सेज की डिमांड ज्यादा बढ़ती जा रही है ।क्योंकि गणित ने सभी विषय में अपने पैर पसार लिए हैं ।आज तकनीकी के क्षेत्र में कोडिंग भी गणित की जानकारीवाला ही ठीक तरह से कर सकता है। इसलिए मोबाइल,लैपटॉप,कंप्यूटर ,टेबलेट आदि के सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर के लिए तकनीशियन के साथ-साथ अर्थात् कंप्यूटर साइंस के साथ-साथ उसे गणित की जानकारी होनी चाहिए । इसलिए मोबाइल, लैपटॉप इत्यादि कंपनियों में इंजीनियर्स व गणित से कोर्सेज किए हुए की भारी मांग है । जरूरत है तो टैलेंट की अर्थात् आपमें यदि गणित का टैलेंट है तो आप कहीं भी जाॅब पा सकते हैं। टैलेंट के साथ अनुभव की ज्यादा डिमांड है। एक बार आप जैसे तैसे भी अपनी रूचि के क्षेत्र में सर्विस प्राप्त कर लें और अपने वेतन पर ज्यादा फोकस न करें बल्कि कम वेतन में भी शुरुआत में भी समझौता कर लें । ज्यों-ज्यों आपका अनुभव बढ़ता जाएगा तथा आप अपनी प्रतिभा को तराशेंगे तो खुद ब खुद कंपनियां आपके लिए द्वार खोल देंगी ।इसके बाद आप अपने मन मुताबिक तथा अपनी योग्यता के अनुसार वेतन प्राप्त कर सकते हैं ।इसलिए शुरुआत में अनुभव अर्जित करने पर फोकस करें ।याद रखें यदि आप वेतन पर अपना टारगेट फोकस करेंगे तो बमुश्किल ही सफल हो पाएंगे ।अपने काम पर फोकस रखेंगे तो वेतन तथा धन तो उसका बायो प्रोडक्ट है ,आपका लक्ष्य नहीं है। हालांकि इस आधुनिक युग में सबकी नज़र धन पर ही टिकी हुई है,ऐसे में आप ज्यादा सफल नहीं हो सकते हैं ।लेकिन जिनकी नजर अपने टैलेंट पर टिकी हुई है,वे विपरीत परिस्थितियों को भी पार कर जाते हैं । ओर एक बार यदि आपने अनुभव हासिल कर लिया है तो आपके लिए डिमांड की कतार लग जाएगी। लेकिन हमेशा याद रखें कि लोभ नहीं रखना है ।यदि आपके पास नौकरियों की कतार लग जाए और आपमें अंहकार आ गया तो फिर निश्चित रूप से एक दिन पतन हो जाएगा। इसलिए लोभीवृत्ति रखकर यदि आप एक कंपनी से छोड़कर दूसरी कंपनी ज्वाइन करते जाएंगे तो आपके लिए द्वार बंद होते जाएंगे ।कंपनियां आपके टैलेंट का वेतन देती है ,इसका मतलब यह नहीं है कि आप लोभवृत्ति रखकर चाहे जो डिमांड करेंगे तो वे मान लेंगी ।याद रखें दुनियां में एक से बढ़कर एक  मौजूद है ।यदि आपने अपनी योग्यता से अधिक डिमांड कर दी तो कंपनियों के लिए आपसे बेहतर ओर कोई मिल जाएगा।
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आर्टिकल में हम यही कहना चाहते हैं कि बीएससी करने वालों के लिए जाॅब के द्वार बंद नहीं हुए है ।इस आर्टिकल में आप बीएससी करने के बाद क्या-क्या कर सकते हैं इसका वर्णन किया गया है ।आप अपनी योग्यता और रुचि के अनुसार क्षेत्र चुनकर उस क्षेत्र में जाने का प्रयास करें ।लेकिन अपना टारगेट फ्लेक्सिबल रखें। ऐसा न रखें कि मुझे तो वहीं क्षेत्र मिलेगा तो ही नौकरी करूंगा ।हम जो चाहते हैं जरूरी नहीं है वह मिल ही जाएगा। यदि मिल जाए तो वैल एण्ड गुड, नहीं मिले तो उसके समकक्ष दूसरा क्षेत्र चुने। आत्मविश्वास रखें परंतु अति आत्मविश्वास न रखें ।बीएससी करने वालों के पास ढेरों आॅप्शन है। जाॅब के लिए गणित से बीएससी वालों के लिए नए नए द्वार खुल रहे हैं।

यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।

2.कॉलेज स्टूडेंट्स को मिलते हैं BSc कोर्स करने के ये फायदे(College students get these benefits of pursuing BSc course)-

BSc साइंस ग्रेजुएट स्टूडेंट्स को करियर ग्रोथ के अनेक अवसर मिलते हैं और आजकल तो साइंस और टेक्नोलॉजी के सतत विकास के साथ-साथ अब साइंस की फील्ड में कई अन्य खास करियर ऑप्शन्स उभर रहे हैं. इस आर्टिकल में BSc ग्रेजुएट्स के लिए कुछ खास करियर ऑप्शन्स और BSc कोर्स करने के फायदों पर चर्चा की जा रही है.
NOV 25, 2019
College students get benefits of pursuing BSc course
College students get benefits of pursuing BSc course
Why should you join B.Sc Course for graduation?
स्टूडेंट्स अक्सर किसी टॉप कॉलेज से अपना मनचाहा एजुकेशनल कोर्स करना चाहते हैं. लेकिन स्ट्रीम्स तो 3 ही हैं ना....साइंस, कॉमर्स और आर्ट्स. ऐसे में, अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि, ‘क्या BSc (बैचलर ऑफ़ साइंस) कोर्स ने अब अपनी लोकप्रियता खो दी है?’ ऐसी बात नहीं है. आज भी अधिकतर स्टूडेंट्स किसी साधारण कॉलेज से इंजीनियरिंग या एमबीबीएस कोर्स करने के बजाय किसी अच्छी यूनिवर्सिटी से BSc कोर्स करना पसंद करते हैं क्योंकि BSc कोर्स करने के अपने फायदे हैं. इसी तरह, आज जब पूरी दुनिया में विज्ञान और तकनीकी में अभूतपूर्व तरक्की हो रही है, तो ऐसे में देश-दुनिया में BSc स्टूडेंट्स के लिए अनेक खास करियर ऑप्शन्स और करियर ग्रोथ के काफी आशाजनक अवसर मौजूद हैं. इस आर्टिकल में हम BSc स्टूडेंट्स के लिए भारत में उपलब्ध खास करियर/ जॉब ऑप्शन्स की चर्चा करने के साथ ही स्टूडेंट्स को BSc ग्रेजुएशन से मिलने वाले फायदों के बारे में जानकारी दे रहे हैं. आइये आगे पढ़ें:
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अंडरग्रेजुएट लेवल पर BSc कोर्स क्या है?
असल में, BSc साइंस से संबद्ध विभिन्न विषयों के लिए एक ग्रेजुएट लेवल कोर्स है. BSc के तहत छात्र BSc (सामान्य) और BSc (ऑनर्स) कोर्सेज में से अपने लिए उपयुक्त कोर्स चुन सकते हैं. जो छात्र कंप्यूटर्स एंड इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इंटरेस्टेड होते हैं, वे छात्र BSc (कंप्यूटर साइंस/ आईटी) कोर्स चुन सकते हैं.
भारत में B.Tech. ग्रेजुएट्स के लिए उपलब्ध हैं ये खास ऑप्शन्स
ट्रेडिशनल BSc कोर्स बनाम प्रोफेशनल BSc कोर्स
ट्रेडिशनल BSc कोर्स: इसमें पीसीएम, फिजिक्स, मैथमेटिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, जूलॉजी, स्टेटिस्टिक्स और होम साइंस सहित कुछ अन्य विषय शामिल होते हैं.
प्रोफेशनल BSc कोर्स: इसके तहत विशेष रूप से जॉब ओरिएंटेड विषय जैसेकि, एग्रीकल्चर, एनीमेशन, एक्वाकल्चर, बायोकेमिस्ट्री, बायोइन्फरमेटिक्स, जेनेटिक्स, कंप्यूटर साइंस, फैशन टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स, मल्टीमीडिया, फिजियोथेरेपी, साइकोलॉजी और अन्य संबद्ध कोर्स शामिल हैं.
अब हम कॉलेज में BSc कोर्स करने के फायदों की चर्चा करेंगे.
कॉलेज स्टूडेंट्स को BSc कोर्स करने से होते हैं ये फायदे
अट्रेक्टिव स्कॉलरशिप्स
सरकार के फंड से BSc कोर्सेज करने वाले मेधावी छात्रों को स्कॉलरशिप्स दी जा रही हैं. इन स्कॉलरशिप्स के तहत कई आकर्षक ऑफर्स दिये जाते हैं जैसे कोर्स करने का सारा खर्च स्कॉलरशिप के तहत शामिल है. अगर छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहें तो उन्हें यह अच्छी तरह पता होना चाहिए कि इनमें से कुछ स्कॉलरशिप्स में एमएससी से संबद्ध खर्चे भी शामिल हैं.
रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में जॉब/ करियर ऑफर्स
BSc में डिग्री करने का सबसे ज्यादा लाभ तो यह होता है कि इन ग्रेजुएट्स के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट के क्षेत्र में रोज़गार के काफी अवसर मौजूद हैं. भारत में आर एंड डी सेक्टर (रिसर्च और डेवलपमेंट क्षेत्र) को मजबूत बनाने के लिए ही वास्तव में भारत सरकार BSc ग्रेजुएट्स को इतनी आकर्षक स्कॉलरशिप्स ऑफर करती है. अब, क्योंकि भारत सरकार भी आर एंड डी सेक्टर के विकास में काफी रूचि ले रही है तो स्टूडेंट्स निश्चिंत रहें कि साइंस से संबद्ध विभिन्न क्षेत्रों में स्टूडेंट्स के लिए बहुत ही बढ़िया और फायदेमंद करियर ऑप्शन्स मौजूद हैं.
पोलिटिकल साइंस में ग्रेजुएट छात्रों के पास हैं कौन से करियर ऑप्शन्स ?
अन्य महत्त्वपूर्ण फ़ील्ड्स में भी मिल सकते हैं करियर के अवसर
किसी भी अन्य एकेडेमिक कोर्स के स्टूडेंट्स की तरह ही BSc ग्रेजुएट्स को भी रोज़गार के काफी बढ़िया अवसर मिलते हैं. BSc स्टूडेंट्स केवल साइंस से संबद्ध फ़ील्ड्स में ही जॉब करने तक सीमित नहीं होते हैं बल्कि वे मैनेजमेंट, इंजीनियरिंग, लॉ आदि क्षेत्रों में भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं या फिर, जॉब तलाश सकते हैं.
BSc ग्रेजुएट्स के लिए उपलब्ध होते हैं ये खास जॉब ऑफर्स
BSc ग्रेजुएट्स के लिए रोज़गार के कुछ लोकप्रिय क्षेत्र निम्नलिखित हैं:
शैक्षणिक संस्थान
अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान
अस्पताल
हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स
फार्मास्युटिकल्स और जैव प्रौद्योगिकी उद्योग
रासायनिक उद्योग
पर्यावरण प्रबंधन और संरक्षण
फोरेंसिक अपराध अनुसंधान
रिसर्च फर्में
टेस्टिंग लैबोरेट्रीज
भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग
वेस्टवाटर प्लांट
एक्वैरियम
वन सेवाएं
तेल उद्योग
ये हैं BSc ग्रेजुएट्स के लिए विशेष जॉब प्रोफाइल्स
BSc ग्रेजुएट्स के लिए उपलब्ध कुछ खास जॉब प्रोफाइल्स निम्नलिखित हैं:
वैज्ञानिक
वैज्ञानिक सहायक
रिसर्च एनालिस्ट्स
शिक्षक
तकनीकी लेखक / एडिटर्स
लेक्चरर्स
केमिस्ट
एन्युमेरेटर्स
रिसर्चर्स
बायोस्टैटिस्टिशियन
क्लिनिकल रिसर्च मैनेजर
सलाहकार
अगर आप हैं हिस्ट्री में ग्रेजुएट तो आपके पास हैं ये ऑप्शन्स !
यद्यपि BSc कोर्स करने के ढेरों फायदे होते हैं. लेकिन अधिकांश छात्रों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं होता है. अब, यह पेरेंट्स और टीचर्स का फर्ज है कि छात्रों को कॉलेज में करवाये जाने वाले सभी कोर्सेज से संबद्ध संभावित लाभों के बारे में समझाएं. अगर छात्र साइंटिफिक रिसर्च फ़ील्ड्स में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो कोई संबद्ध BSc कोर्स उनके लिए बहुत बढ़िया रहेगा. इसके अलावा. भारत में BSc कोर्स की पढ़ाई 3 वर्षों में पूरी करवाई जाती है और इस तरह, अन्य प्रोफेशनल कोर्सेज की तुलना में छात्रों का 1 या 2 वर्ष बच जाते हैं.
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