Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December?
December 24, 2019
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Why is National Mathematics Day celebrated only on 22 December?
1.राष्ट्रीय गणित दिवस 22 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?(Why is National Mathematics Day celebrated only on 22 December?)-
Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December |
इस आर्टिकल में बताया गया है की 22 दिसंबर राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में क्यों मनाया जाता है? गणित में जागरूकता, राष्ट्रीय चेतना ,समझ तथा रुचि बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाने की आवश्यकता महसूस हुई। गणित के प्रति विद्यार्थियों तथा लोगों की सकारात्मक दृष्टिकोण को विकसित करने के लिए पहल करने की आवश्यकता महसूस हुई ।इसके अतिरिक्त आधुनिक युग में हर क्षेत्र में विशेष ज्ञान, विज्ञान, तकनीकी व प्रौद्योगिकी तथा इंजीनियरिंग में गणित के बिना काम नहीं चलाया जा सकता है और नहीं विकास किया जा सकता है। इसलिए इन सभी दृष्टिकोणों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाने का संकल्प लिया गया ।श्रीनिवास रामानुजन के जन्मदिवस से अच्छा और कोई दिवस नहीं हो सकता था।
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2.श्रीनिवास रामानुजन का परिचय(Introduction to Srinivasa Ramanujan)-
Srinivasa Ramanujan,Why is National Mathematics Day celebrated on 22 December |
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म तमिलनाडु प्रांत के इरोद नामक ग्राम में एक निर्धन परिवार में 22 दिसंबर,1887 को हुआ था ।इनके पिता कुंभकोणम ग्राम के निवासी थे और वहीं पर एक कपड़े वाले के यहां मुनिमी करते थे ।रामानुजन के जन्म के बारे में एक किवदंती प्रचलित है। कहा जाता है कि विवाह होने के कई वर्ष बाद तक उनकी माता के कोई संतान नहीं हुई। इससे वे सदैव चिंतित रहती थी ।अपनी पुत्री को चिंताकुल देखकर रामानुजन के नाना ने नामकल गांव में जाकर वहां की नामगिरि देवी की आराधना की, उसी के फलस्वरूप श्रीनिवास रामानुजन का जन्म हुआ। 5 वर्ष की आयु में रामानुजन को स्कूल भेजा गया। वहां पर दो वर्ष पढ़ने के बाद वह कुंभकोणम हाईस्कूल में पढ़ने भेजे गए । उन्हें गणितशास्त्र में बड़ी दिलचस्पी थी। अपने साथियों और अध्यापकों से कभी वह नक्षत्रों के बारे में कुछ पूछ बैठते थे तो कभी परिधि के बारे में।जब वह तीसरे दर्जे में पढ़ते थे तो एक दिन अध्यापक समझा रहे थे कि किसी संख्या को उसी संख्या से भाग देने पर भागफल एक होता है ।रामानुजन ने फौरन पूछा ,"क्या यह नियम शून्य के लिए भी लागू होता है?" इसी दर्जे में बीजगणित की तीनों श्रेणियां- समांतर श्रेणी, गुणोत्तर श्रेणी ,हरात्मक श्रेणी जो कि आजकल इंटरमीडिएट कक्षाओं में पढ़ाई जाती है- पढ़ लिया था, चौथे दर्जे में त्रिकोणमिति तथा पांचवें दर्जे में ज्या और कोज्या का विस्तार समाप्त कर लिया था। 17 वर्ष की आयु में रामानुजन ने हाईस्कूल परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की जिससे उन्हें सरकारी छात्रवृत्ति प्रदान की गई ।परंतु कॉलेज की प्रथम साल तक पहुंचते-पहुंचते गणित शास्त्र में इतने लवलीन हो गए कि गणित के सिवा और किसी काम के न रहे और परिणाम यह हुआ कि यह फेल हो गए। इससे इनकी छात्रवृत्ति रोक दी गई । अतःआर्थिक स्थिति के खराब होने के कारण इनको अपनी विश्वविद्यालय की शिक्षा खत्म करनी पड़ी। उन दिनों रामानुजन को आर्थिक कठिनाइयों ने परेशान कर दिया ।इसी समय इनका विवाह कर दिया गया। विवाह हो जाने पर कठिनाइयां दोगुनी हो गई और वह शीघ्र नौकरी ढूंढने के लिए मजबूर हो गए।
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बड़ी कठिनाइयों के बाद इनको मद्रास ट्रस्ट में ₹30 मासिक की नौकरी मिल गई। इसी बीच डॉक्टर वाकर गणित में उनकी दिलचस्पी से बहुत प्रभावित हुए।उनके प्रयत्न से रामानुजन को मद्रास विश्वविद्यालय से दो वर्ष के लिए ₹75 मासिक छात्रवृत्ति मिल गई तथा इनको क्लर्की से छुटकारा मिल गया और आर्थिक चिंताओं से मुक्त होकर उन्हें अपना सारा समय गणित में लगाने का शुभ अवसर प्राप्त हो गया। जब आपने अपने कुछ लेख ट्रिनिटी कालेज के गणित के फेलो डॉक्टर हार्डी के पास भेजे तो इन लोगों को देखकर डाॅ.हार्डी तथा दूसरे अंग्रेज गणितज्ञ बड़े प्रभावित हुए। अतः ये लोग रामानुजन को केम्ब्रिज बुलाने का प्रयत्न करने लगे।सन 1941 में जब ट्रिनिटी कॉलेज के फैलो डॉक्टर नोविल भारत आए तो डॉक्टर हार्डी ने उनसे रामानुजन से मिलने तथा उनको कैंब्रिज लाने का अनुरोध कर दिया था ।भारत आने पर प्रोफेसर नोविल ने रामानुजन से भेंट की ।उन्होंने नोविल महोदय की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। इस पर नोविल साहब ने उनको 250पौण्ड की छात्रवृत्ति देने के अतिरिक्त व्यय तथा यात्रा व्यय देना भी स्वीकार कर लिया। इससे 60रुपये प्रतिमाह अपनी माता को देने का प्रबन्ध करके 17 मार्च ,1847ई. को मि.नोविल के साथ रवाना हो गए।20 फरवरी ,1918को आप रॉयल सोसाइटी के फैलो बन गए।यह सम्मान प्राप्त करने वाले आप पहले भारतीय थे। 27 फरवरी, 1919 को आप लन्दन से भारत के लिए रवाना हुए और 27 मार्च को आप बम्बई पहुंचे। विदेश में रहने और जलवायु अनुकूल न होने से आप बहुत कमजोर हो गए।
स्वास्थ्य खराब होने से इनको कावेरी कोटू मण्डी ले जाया गया। वहां से वे कुम्भ कोनम् ले जाए गए।इनका स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन बिगड़ता गया लेकिन मस्तिष्क का प्रकाश अन्त तक बंद नहीं हुआ। मृत्यु तक वह काम में लगे रहे। Mock Theta Functions पर उनका सब काम मृत्यु शैय्या पर हुआ। 26 अप्रैल,1920 को मद्रास के पास चेतपुर ग्राम में इस विश्वविख्यात गणितज्ञ का स्वर्गवास हो गया।
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3.राष्ट्रीय गणित दिवस 22 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?(Why is National Mathematics Day celebrated only on 22 December?)-
DEC 20, 2019
National Mathematics Day in hindi
राष्ट्रीय गणित दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में गणित के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं कि देश की युवा पीढ़ी के बीच गणित सीखने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण को प्रेरित करने, उत्साहित करने और विकसित करने के लिए कई पहल की जाती रही हैं. इसलिए, इस दिन गणित के शिक्षकों और छात्रों को ट्रेनिंग दी जाती है, विभिन्न जगहों पर कैम्प का आयोजन किया जाता है ताकि गणित से संबंधित क्षेत्रों में टीचिंग-लर्निंग मैटेरियल्स (TLM) के विकास, उत्पादन और प्रसार पर प्रकाश डाला जा सके.
4.राष्ट्रीय गणित दिवस का इतिहास(. History of National Mathematics Day)-
22 दिसंबर 2012 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में महान गणितज्ञ श्रीनिवास अयंगर रामानुजन की 125वीं वर्षगाठ के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में श्रीनिवास रामानुजन को श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2012 को राष्ट्रिय गणित वर्ष और साथ ही उनके जन्मदिन को यानी 22 दिसंबर को राष्ट्रिय गणित दिवस घोषित किया. इस प्रकार 22 दिसंबर 2012 को पहली बार देश भर में राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया गया.श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को मद्रास से लगभग 400 किलोमीटर दूर ईरोड नगर में हुआ था. बचपन से ही इनको गणित में रूचि थी. इनकी गिनती उन महान वैज्ञानिकों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नए ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की.
5.राष्ट्रीय गणित दिवस कैसे मनाया जाता है?(How is National Mathematics Day celebrated?)-
राष्ट्रिय गणित दिवस भारत के विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक संस्थानों में मनाया जाता है. यहां तक कि इंटरनेशनल सोसाइटी यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) और भारत ने गणित सीखने और समझ को फैलाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की थी. साथ ही छात्रों को गणित में शिक्षित करने के लिए विभिन्न कदम उठाये और दुनिया भर में छात्रों और शिक्षार्थियों के लिए ज्ञान का प्रसार किया.6.NASI (The National Academy of Sciences India)
इलाहाबाद में स्थित सबसे पुराना विज्ञान अकादमी है. राष्ट्रीय गणित दिवस मनाने के लिए, NASI गणित और रामानुजन के अनुप्रयोगों में कार्यशाला का आयोजन करती है. कार्यशाला में राष्ट्र भर से गणित के क्षेत्र में लोकप्रिय व्याख्याताओं और विशेषज्ञ भाग लेते हैं. देश और विश्व स्तर पर स्पीकर्स श्रीनिवास रामानुजन के गणित में योगदान के बारे में बताते हैं.भारत के सभी राज्य अलग-अलग तरीकों से राष्ट्रीय गणित दिवस मनाते हैं. विभिन्न प्रतियोगिताओं और गणितीय प्रश्नोत्तरी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय स्तर पर आयोजित की जाती हैं. गणित के प्रतिभा और भारत भर के छात्र इन कार्यक्रमों में भाग लेते हैं इत्यादि.
6.अब श्रीनिवास रामानुजन के बारे में देखते हैं(Now lets see about Srinivasa Ramanujan.)-.
श्रीनिवास रामानुजन महानतम गणितज्ञों में से एक हैं जिनके सहायक और योगदान ने गणित को पूरी तरह से नया अर्थ दिया है. इसलिए उन्हें "गणितज्ञों का गणितज्ञ" भी कहा जाता है. रामानुजन ने 12 साल की उम्र में त्रिकोणमिति में महारत हासिल कर ली थी और बिना किसी की सहायता के खुद से कई प्रमेय (Theorems) भी विकसित किए.उनकी आरंभिक शिक्षा कुम्भकोणम के प्राइमरी स्कूल में हुई और फिर 1898 में टाउन हाई स्कूल में एडमिशन लिया और सभी विषय में अच्छे अंक प्राप्त किए. यहीं पर उनको जी.एस. कार की लिखी हुई गणित विषय में पुस्तक पढ़ने का अवसर मिला और इससे प्रभावित होकर उनकी रूचि गणित में बढ़ने लगी. साथ ही उन्होंने गणित विषय में काम करना प्रारंभ कर दिया.
उनका बचपन काफी कठिनाइयो में बीता. वे अधिकतर विद्यालय में दोस्तों से किताबें उधार लेकर पढ़ा करते थे. युवा होने पर घर की आर्थिक आवश्यकताओं की अपूर्ति के लिए उन्होंने क्लर्क की नौकरी कर ली और खाली होने पर वे गणित के प्रश्न हल किया करते थे और कई प्रकार की theorems पर वर्क करते थे. एक बार एक अंग्रेज़ कि नजर उन पन्नों पर पड़ गई और उसने निजी रूची लेकर श्रीनिवास रामानुजन को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रो. हार्डी के पास भेजने का प्रबंध कर दिया. प्रो. हार्डी ने उनमें छिपी प्रतिभा को पहचाना जिसके बाद उनकी ख्याति विश्व भर में फैल गई.
रामानुजन ने बिना किसी सहायता के हजारों रिजल्ट्स, ज्यादातर identities और equations के रूप में संकलित किए. कई रिजल्ट्स पूरी तरह से original थे जैसे कि रामानुजन प्राइम, रामानुजन थीटा फ़ंक्शन, विभाजन सूत्र और mock थीटा फ़ंक्शन. इन रिजल्ट्स और identities ने पूरी तरह से काम के नए क्षेत्र खोल दिए और आगे रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने divergent series पर अपने सिद्धांत को बनाया. इसके अलावा, उन्होंने रीमैन श्रृंखला (Riemann series), the elliptic integrals, हाइपरजोमेट्रिक श्रृंखला (hypergeometric series) और जेटा फ़ंक्शन के कार्यात्मक समीकरणों पर काम किया. 1729 नंबर हार्डी-रामानुजन (Hardy-Ramanujan) नंबर के रूप में भी प्रसिद्ध है.
काफी परिश्रम के कारण रामानुजन बीमार रहने लगे थे और मात्र 32 साल की उम्र में उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद उनकी कई प्रमेयों (Theorems) को छपवाया गया और इनमें से कई ऐसी Theorems भी हैं जिनकों कई दशक तक सुलझाया भी नहीं जा सका.
इसमें कोई संदेह नहीं है की रामानुजन द्वारा कि गई गणित के क्षेत्र में खोज आधुनिक गणित और विज्ञान कि आधारशिला बनी. यहां तक की उनका संख्या-सिद्धान्त पर किया गया कार्य के कारण ही उन्हें 'संख्याओं का जादूगर' माना जाता है.
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