Why India is Lagging in Mathematics

Why India is Lagging in Mathematics


    1.भारत गणित में फिसड्ड़ी क्यों हैं(Why India is Lagging in Mathematics)- 

    Why India is Lagging in Mathematics

    Why India is Lagging in Mathematics

    इस आर्टिकल में बताया गया है कि भारत गणित के क्षेत्र में कभी सिरमौर था, अब फिसड्डी क्यों होता जा रहा है  शून्य का आविष्कार आर्यभट्ट (प्रथम) ने किया  इसके अतिरिक्त ब्रह्मगुप्त, महावीराचार्य , श्रीधराचार्य, भास्कराचार्य द्वितीय, डाॅ. गणेशप्रसाद, श्री निवास रामानुज का गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। वर्तमान समय में भी भारतीय मूल के श्री अक्षय वेंकटेश जो इस समय अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं उनकों अन्तरराष्ट्रीय सम्मान फील्ड्स मेडल प्राप्त हुआ है। 2015 में भारतीय मूल के विद्यार्थी अमेरिका के श्याम नारायण (उम्र 17 साल) और 18 साल के यांग लियू पाटिल ने ओलम्पियाड जीतने वाली छ:सदस्यीय अमेरिका टीम के हिस्सा थे। अंतरराष्ट्रीय मैथ्स ओलम्पियाड-2019 में श्री प्रांजल श्रीवास्तव को पदक मिलना यह दर्शाता है कि भारत में मेधा और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। फिर भी क्यों विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र गणित में फिसड्डी होता जा रहा है  इसके कई कारण हैं जिनका उल्लेख हम गत कई आर्टिकल्स में कर चुके हैं इसलिए इस आर्टिकल को पढ़ने से पूर्व उन आर्टिकल्स को भी पढ़ना चाहिए। नीचे उनके लिंक दिए गए हैं इन लिंक पर जाकर आप उन आर्टिकल्स को पढ़ सकते हैं ।
    (1.)Fields Medal Which is Nobel of Mathematics Given to Akshay Venkatesh (Born in India)
    (2.)Pranjal Shrivastava , A Student of CBSE Became the Youngest Winner to Win a Gold Medal in the International Maths Olympiad
    यह भारत के लिए गौरव की बात है कि अन्तरराष्ट्रीय नोबल पुरस्कार के समान फील्ड्स पुरस्कार व ओलम्पियाड भारतीय को मिला है। हमारे देश के बुद्धिजीवियों का ध्यान ऐसे समय ही आकर्षित होता है तथा बाद में वही पुराना ढर्रा चालू हो जाता है। शून्य के आविष्कारक देश के लिए यह शुभ संकेत नहीं है क्योंकि भारतीय विद्यार्थियों में गणित की रुचि कम हो रही है जिसमें बदलाव की आवश्यकता है। यह हम नहीं कर रहे हैं बल्कि छ:वर्ष पूर्व टेस्ट में भाग लेने वाले 73 देशों की सूची बनाई गई थी जिसमें भारत के विद्यार्थी 71 वें स्थान पर आए थे। भारतीय विद्यार्थी चीनी बच्चों से जो शीर्ष पर थे 200 अंक पीछे थे। यह संकेत गणित को लेकर देश में बरती जा रही उपेक्षाओं को दर्शाता है

    2.भारत में गणित की वर्तमान स्थिति(Current state of mathematics in India)-

    प्रश्न यह उठता है कि देश में इस प्रकार की मेधा व प्रतिभाएं मौजूद हैं तो ऐसी प्रतिभाएं युवाओं में गणित के प्रति आकर्षण व लगाव पैदा कर पाती हैं या नहीं। यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि गणित का क्षेत्र बढ़ता जा रहा  विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस व टैक्नोलोजी में गणित का दायरा बढ़ता जा रहा । वस्तुतः ज्यों-ज्यों तकनीकी तथा मोबाइल का प्रयोग बढ़ता जा रहा, युवावर्ग साधारण जोड़, गुणा, भाग, बाकी भी कैलकुलेटर, मोबाइल फोन व कम्प्यूटर से करते हैं। ऐसी स्थिति में बालकों की बेसिक गणित ही कमजोर रह जाती है इसलिए भारतीय बालक गणित में पिछड़ते जा रहे हैं ।इससे संबंधित तथ्य जाने-माने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट पीसा यानी प्रोग्राम फाॅर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट में भारतीय युवाओं की रैंकिंग से पता चलता है ।

    3.गणित की अहमियत(Importance of Mathematics)-

    यह सर्वविदित है कि गणित के बिना साइंस ही नहीं कम्प्यूटर या फाइनेंस कोई भी क्षेत्र आगे नहीं बढ़ सकता है। इसलिए इस विषय के प्रति विद्यार्थियों की रुचि जाग्रत करने की आवश्यकता है। इसके लिए छोटी उम्र से ही बच्चों की खेल-खेल व संगीत के माध्यम से गणित को सीखाकर रूचि जाग्रत की जा सकती है। खिलौनों के माध्यम से भी गणित को पढ़ाने की आवश्यकता है । दरअसल गणित शिक्षक बच्चों की गणितीय प्रतिभा को पहचानकर उसको निखारने का प्रयास नहीं करते हैं । इसलिए ऐसे गणित शिक्षकों का ही चयन करना चाहिए जो शिक्षा के क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हों। जो शिक्षक मजबूरीवश शिक्षा का क्षेत्र अपनाते हैं वे रूचिपूर्वक बालकों को गणित नहीं पढ़ाते हैं, केवल खानापूर्ति करते हैं। अधिकांश प्रतिभाशाली युवाओं का रूझान आईएएस, आईएफएस, आरएएस जैसी प्रतिष्ठित एवं ग्लैमरस सेवाओं की तरफ होता है । उन सेवाओं में चयन न होने पर वे शिक्षा का क्षेत्र मजबूरीवश चुनते हैं। आईएएस , आईएफएस जैसी केन्द्रीय सेवाओं में उच्च वेतनमान के साथ प्रतिष्ठा व अधिकार मिलते हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में नहीं मिलते हैं। इसलिए युवाओं का आकर्षण उन सेवाओं में ही जाने का होता है ।ऐसी स्थिति में जो बालक सैकण्डरी स्तर तक पहुँचते हैं तो उन विद्यार्थियों की रुचि गणित में नहीं रहती है और वे जैसे-तैसे गणित को उत्तीर्ण करके आगे ऐच्छिक विषय के रूप में गणित को पसन्द नहीं करते हैं । इसलिए अध्यापकों को अपना तौर-तरीका बदलना होगा। अव्वल तो यदि उनका शिक्षा के क्षेत्र में रुझान ही न हो तो इसे वे अपनी वृत्ति के रूप में न अपनाएं और यदि अपना ही लिया तो पूर्ण मनोयोग से बालकों को गणित शिक्षा की नींव मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए

    4.विश्व स्तर पर गणित की स्थिति(State of Maths Globally)-

    Why India is Lagging in Mathematics

    Why India is Lagging in Mathematics

    No. Social Media Url
    1. Facebook click here
    2. you tube click here
    3. Twitter click here
    4. Instagram click here
    5. Linkedin click here
    गणित का हर क्षेत्र में दायरा बढ़ने के कारण अमेरिका जैसे विकसित देशों में गणितज्ञों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है  । इसलिए अमेरिका जैसे विकसित देश हर क्षेत्र में अग्रणी है अध्यात्म को छोड़कर। आज हर सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे फेसबुक, ट्विटर के संचालन में गणित के गूढ़ नियम काम कर रहे हैं। इन विकसित देशों में गणितज्ञों की मांग की पूर्ति हमारे भारत जैसे देशों से हो रही है, यह हमारे लिए विचारणीय बात है। भारत के शिक्षाशास्त्रीयों की नजर में यह बात है कि भारत में गणित के प्रति रूझान कम होता जा रहा है इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है । यहां पर शिक्षक व विद्यार्थी का अनुपात इस प्रकार का है कि शिक्षक , विद्यार्थियों की व्यक्तिगत गणित की समस्याओं को हल ही नहीं कर पा रहे हैं । परिवार , समाज, एजुकेशन सिस्टम व सरकारों को यह स्थिति विदित हैं लेकिन सब आंख मूंदकर बैठे हुए हैं। यदि भारत को विकसित देशों की श्रेणी में देखना चाहते हैं तो हमें इस व्यवस्था को बदलना ही होगा। तकनीकी, आर्थिक तथा वैज्ञानिक खोजों में अग्रणी होने पर ही कोई देशों की श्रेणी में खड़ा हो सकता है और तकनीकी, आर्थिक तथा विज्ञान का मूल आधार गणित ही है। ऐसी बात नहीं है कि भारत में गणित की नींव पुरानी न हो । गणित की नींव आर्यभट्ट तथा ब्रह्मगुप्त जैसे गणितज्ञों के समय से डाली हुई है जो कि बहुत पुरानी है। अमेरिका में गणितज्ञों का वेतनमान 2013 में न्यूनतम एक लाख डाॅलर रहा है जिसमें 2022 तक 23 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है। इससे जाहिर है कि अमेरिका में गणित तथा गणितज्ञों का कैरियर व प्रतिष्ठा कितनी है ।

    5.निष्कर्ष(Conclusion) -

    हम बार-बार गणित के प्रति रुचि जाग्रत करने के टिप्स, गणित में असफल होने के कारणों पर लगातार आर्टिकल लिख रहे हैं। यदि उन पर अमल किया जाए तो कोई कारण नहीं होगा कि आनेवाले समय में भारत की स्थिति सुदृढ़ व मजबूत न हो । गणित विज्ञान की आत्मा है । गणित का इतना महत्त्व समझते हुए हम सबको मिलकर गणित के प्रति हो रहे भेदभाव व गिरावट को रोकना होगा और यह कार्य कोई ज्यादा मुश्किल व असम्भव नहीं है। संकल्प शक्ति, कड़ी मेहनत के बल पर यह सब अर्जित किया जा सकता है । 
    यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

    0 Comments:

    Inverse Circular Function

    Inverse Circular Function

    Inverse Circular Function

    Inverse Circular Function


      1.Introduction to Inverse Circular Function-

      यदि sin𝜽=xहो तो हम x को 𝜽का ज्या(sine) कहते हैं और 𝜽संख्या xका ज्या प्रतिलोम (sine inverse) कहलाता है.इस कथन को गणितीय संकेतन में निम्न प्रकार से लिखा जाता है: 
      𝜽=sin-1x या  𝜽=arcsinx
      sin-1xको हम ज्या व्युत्क्रम(sine inverse) पढते हैं.

      2.प्रतिलोम वृत्तीय फलन(Inverse circular Function):

      हम जानते हैं किsin𝜽,cos𝜽,tan𝜽 इत्यादि त्रिकोणमितीयवृत्तीय फलन(Inverse Circular Function) कहलाते है.,जिनमे से प्रत्येक,𝜽के प्रत्येक मान के लिए एक निश्चित संख्या के बराबर होता है.यदि sin𝜽=xतो 𝜽=sin-1x  होगा.
      कोण 𝜽कोx के रूप में व्यक्त करनेवाला व्यंजक sin-1x  प्रतिलोम वृत्तीय फलन(Inverse Circular Function) है.इसी प्रकार कोण𝜽को,,एक संख्या xके रूप में व्यक्त करने वाले अन्य प्रतिलोम वृत्तीय फलन है.
      Cos-1x,tan-1x,cos-1xतथा cot-1x
      टिप्पणी: 
      1.sin-1x,cos-1x  फलनों में -1 घात नहीं है,इसे केवल प्रतिलोम फलन के संकेत के रूप में प्रयोग किया गया है क्योंकि (sinx)-1=1/sinx अत: sin-1x not equal to (sinx)-1
      2.sin-1x एक कोण को व्यक्त करता है.जबकि sin𝜽 एक संख्या को,जहां  𝜽 एक कोण है.
      प्रतिलोम वृत्तीय फलन: हम जानते है कि किसी फलन f का प्रतिलोम फलन f-1 ज्ञात करने के लिए फलन f ज्ञात करने के लिए  फलन f का एकैकी-आच्छादक होना आवश्यक है.
      वृतीय फलनों के अध्ययन से स्पष्ट है है कि ये फलन अपने स्वाभाविक (सामान्य)प्रांत और परिसर में एकैकी तथा आच्छादक नहीं होते हैं.अत:इनके प्रतिलोम सामान्य स्थितियों में ज्ञात करना संभव नहीं होता है,परंतु इन फलनों के प्रांत को परिसीमित (प्रतिबंधित) करने पर ये फलन एकैकी आच्छादक हो जाते है तथा इन स्थितियों में इनके प्रतिलोम फलन ज्ञात किये जा सकते है.
      3.इन प्रतिबंधित स्थितियों के प्राप्त प्रतिलोम वृत्तीय फलनों के प्रांत एंव परिसर निम्न सारणी में दर्शाये गये है.साथ ही प्रत्येक परिसर खण्ड के लिए हमें प्रतिलोम फलन की एक शाखा प्राप्त होती है.इन शाखाओं में से ही एक मुख्य शाखा होती है .
      Function y=
      Range
      Principal vaue
      Sin-1x
      X=[-1,1]
      [-𝜋/2,𝜋/2]
      Cos-1x
       x𝜖[-1,1]
      [0,𝜋]
      Tan-1x
       X𝜖R     
      (-𝜋/2,𝜋/2)
      .cot-1x
      x𝜖R
      (0,𝜋)
      .sec-1x
      x𝜖R-(-1,1)
      (0,𝜋]-𝜋/2
      .cosec-1x
      x𝜖R-(-1,1)
      [-𝜋/2,𝜋/2]

      टिप्पणी-
      .y=f(x)जैसे व्युत्क्रमणीय फलन का प्रतिलोम फलन x=f-1(y) प्राप्त होता है.अर्थात मूल फलन के आलेख में  Xतथा Y-अक्षों का परस्पर विनिमय करके प्रतिलोम फलन का आलेख प्राप्त होता है.यही नियम प्रतिलोम वृत्तीय फलनों के आलेख प्राप्त करने में लागू होता है.
      (1.)जब कभी प्रतिलोम वृत्तीय फलनों की किसी शाखा विशेष का उल्लेख न हो तो हमारा तात्पर्य उस फलन की मुख्य शाखा से होता है.
      (2.)किसी प्रतिलोम वृत्तीय फलन का वह मान जो उसकी मुख्य शाखा में स्थित होता है प्रतिलोम वृत्तीय फलन का मुख्य्मान(PrincipalValue) कहलाता है.

      4.व्यापक मान (General Value):

      हम जानते हैं कि sin𝜽=sin{n𝜋+(-1)-1𝜽}जहांn𝜖Z पूर्णांक संख्याओं का समुच्चय है.अब यदि 
      sin-1x=𝜽  हो तो sin-1x का व्यापक मान n𝜋+(-1)nsin-1x होता है तथा इसे Sin-1x से निरूपित किया जाता है.अत: Sin-1x=n𝜋+(-1)n sin-1x, n𝜖Z
      इसी प्रकार Cos-1x=2n𝜋+cos-1x, n𝜖Z  ,Tan-1x=n𝜋+tan-1x
      जहां Cos-1x,Tan-1x से हमारा तात्पर्य cos-1x,tan-1x के व्यापक मान से है.इसी प्रकार 
      Sec-1x,Cosec-1x,Cot-1x  से हमारा तात्पर्य sec-1x,cosec-1x,cot-1x के व्यापक मान से होगा.

      5.मुख्य मान (Principal Value):

      प्रतिलोम वृत्तीय फलन(Inverse Circular Value) का मुख्य्मान 𝜽का वह छोटे से छोटा धनात्मक या ऋणात्मक मान है जो समीकरण sin𝜽=x,cos𝜽=xइत्यादि को संतुष्ट करता है
      टिप्पणी-
      (1.)यदि x>0है तब सभी प्रतिलोम वृत्तीय फललों के मुख्य्मान प्रथम चतुर्थांश [0,𝜋/2] में स्थित है.
      No. Social Media Url
      1. Facebook click here
      2. you tube click here
      3. Twitter click here
      4. Instagram click here
      5. Linkedin click here
      (2.)यदि x<0है तब तथा के मुख्यमान चतुर्थ चतुर्थांश[-𝜋/2,0] में स्थित है,जबकि के मुख्यमान द्धितीय चतुर्थांश[𝜋/2,𝜋] में स्थित होते हैं.



      0 Comments:

      How to Prepare Common Law Admission Test

      How to Prepare Common Law Admission Test


        1.कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी क्लैट का परिचय (Introduction to Common Law Admission Test)-

        इस आर्टिकल में परीक्षा तैयारी करने के टिप्स बताएं गए हैं जिनका पालन करने पर परीक्षा प्रश्न पत्र को हल करने में मदद मिल सकती है। ये टिप्स क्लैट की तैयारी हेतु बताए गए हैं परन्तु अन्य अभ्यर्थियों के लिए भी लाभदायक है। 
        यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

        2.गणित में तैयारी के टिप्स (Mathematics preparation tips)

        हायर सेकंडरी व डिग्री क्लासेज में जो विद्यार्थी गणित की तैयारी ठीक से नहीं करते हैं उनको गणित की अहमियत प्रतियोगिता परीक्षाओं (Competition Examination) में मालूम होता है। इसलिए गणित के नाम से भय लगने लगता है। प्रतियोगिता परीक्षाओं में अंकगणित से सम्बंधित सवाल पूछे जाते हैं जो सामान्य गणित है इसलिए घबराने की आवश्यकता नहीं है बल्कि सामान्य गणित की तैयारी करते समय आपके बैकग्राउंड की जो कमजोरी रही है जैसे जोड़, गुणा, भाग, बाकी तथा भिन्नों के जोड़, गुणा, भाग, बाकी भी सिलेबस के साथ करते रहें। यदि आपको इसमें महारत हासिल है तो सिलेबस की तैयारी करें। सिलेबस से संबंधित गणित के प्रश्नों को बार-बार हल करके अभ्यास करते रहें। चूंकि आपमें परिपक्वता है इसलिए बालकों को जितना समय सीखने में लगता है उतना समय आपको नहीं लगेगा तथा आप थोड़े समय में ही गणित पर पकड़ बना लेगें। इसलिए बार-बार अभ्यास करें, सूत्रों को समझकर याद करें। धीरे-धीरे आपका आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा। वैदिक गणित के कुछ सूत्रों द्वारा गुणा व भाग आसानी से हल किए जा सकते हैं। समय-समय पर हल किए गए एक्सरसाइज की पुनरावृत्ति करते रहें। 

        3.लाॅजिकल रिजनिंग(Logical Reasoning)-

        लाॅजिकल रिजनिंग के लिए आपमें अतिरिक्त तार्किक क्षमता व दक्षता की आवश्यकता होती है। यह विषय हमारी विद्यालयी व डिग्री क्लासेज में नहीं होता है। इसलिए इसको नए सिरे से तैयार करना होता है। परन्तु स्तरीय एक दो पुस्तकों की मदद से एक्सरसाइज हल करने से आपको यह ज्ञात हो जाएगा किस तरह के प्रश्न आते हैं और उनको किस तरह हल किया जाता है। इसकी तैयारी आप अपने मित्र के साथ वार्ता करके भी तैयार कर सकते हैं। इस प्रकार के प्रश्नों को हल करने के लिए अपने आपको मानसिक रूप से तैयार करके, रोज नई-नई एक्सरसाइज को हल करने का प्रयास करें। बार-बार अभ्यास व पुनरावृत्ति करने से लाॅजिकल रिजनिंग के प्रश्नों पर पकड़ मजबूत कर सकते हैं। 

        4.करेन्ट अफेयर्स (Current Affairs)

        सामान्य ज्ञान गतिशील तथा बहुत विस्तृत क्षेत्र लिए हुए होता है। इसकी तैयारी के लिए राष्ट्रीय व क्षेत्रीय अखबार का गहराई से अध्ययन करें। टीवी भी देखें तो नोलेजेबल एंगल से देखें केवल मनोरंजन के दृष्टिकोण से ही न देखें। आनलाईन माॅकटेस्ट से तैयारी करते रहें। सामान्य ज्ञान रोज परिवर्तित होता रहता है। इसलिए रोजाना मुख्य-मुख्य घटनाओं, व्यक्तियों, संस्थाओं तथा देश से सम्बंधित न्यूज को नोटबुक में लिखते रहें और उनको याद करते रहें। जो टाॅपिक इतिहास, राजनीति शास्त्र, संविधान, विज्ञान, भूगोल इत्यादि से सम्बंधित है उनको एनसीईआरटी की पुस्तकों, प्रतियोगिता दर्पण के विशेषांकों से तैयार करते रहें। मुख्य-मुख्य बिन्दुओं को अन्डरलाईन करके नोटबुक में लिख लें और उनको बार-बार पढ़ें तथा स्मरण करते रहें। याद रहे इस परीक्षा में ऋणात्मक मूल्यांकन किया जाता है इसलिए गलत प्रश्नों को हल करने से बचें। सभी टाॅपिक को अपटुडेट करके उनकी सटीक तैयारी करें तथा उनको स्मरण करते व दोहराते रहें। टाॅपिक को समझकर याद करें क्योंकि समझकर याद किया हुआ टाॅपिक अधिक स्थायी होता है उसे हम जल्दी से भूलते नहीं है। 

        5.समय का सदुपयोग करें (Use the time)

        अपने समय का पूरा ध्यान रखें। समय बहुत मूल्यवान है, इसको फालतू के कार्यों में बर्बाद न करें। समय का एक एक क्षण कीमती होता है। संसार में सबसे ताकतवर और अमूल्य है समय है समय यानी जो कभी रूकता नहीं, किसी की प्रतीक्षा नहीं करता और न कभी वापिस लौटता है। जिसने इसे ठीक से पहचाना और इसके एक-एक क्षण का सदुपयोग किया उसी का जीवन सफल हो गया। समय को बर्बाद करने का मतलब है अपने जीवन के क्षण मनुष्य यों ही आलस्य में खो देता है, वे क्षण फिर कभी वापिस लौटकर नहीं आते हैं। जीवन का हर क्षण एक उज्जवल भविष्य की सम्भावना लेकर आता है। हर घड़ी एक महान् मोड़ का समय हो सकती है। न मालूम कौनसे क्षण से हमारा भाग्योदय हो जाए यह कोई भी नहीं जानता है। इसलिए हर क्षण को अमूल्य समझकर इसका सदुपयोग करना चाहिए। मनुष्य यह निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता कि जिस समय, जिस क्षण को हम व्यर्थ समझकर बर्बाद कर रहे हैं वही हमारे लिए सौभाग्य अर्थात् सफलता ला सकता है। जीवन में कुछ हटकर और अच्छा करने वाले को चाहिए कि अपने किसी भी क्षण का दुरुपयोग न करें। वे अपने किसी भी कर्त्तव्य को भूलकर व्यर्थ के कामों में अपने आपको न लगाए। 

        6.परीक्षा प्रश्नपत्र के हल का तरीका (Method of solving exam paper)

        परीक्षा प्रश्नपत्र 200 अंकों का तथा 2घंटें में हल करना होता है। इसमें लाॅजिकल एप्टीट्यूड तथा अंग्रेजी के प्रश्न अधिक तथा गणित व सामान्य ज्ञान के प्रश्न कम होते हैं। इसलिए प्रश्नों के अनुसार समय को निर्धारित करें। लाॅजिकल एप्टीट्यूड तथा अंग्रेजी को लगभग 25-25 मिनट का समय व गणित तथा सामान्य ज्ञान को 20 व 15 मिनट का समय दिया जा सकता है। समय का आंवटन करने के पश्चात समय का पूर्वाभ्यास करने के लिए इस समय के अनुसार ही माॅडल टैस्ट पेपर व आनलाईन माॅक टेस्ट का अभ्यास करना चाहिए क्योंकि इनको समय के अनुसार हल का अभ्यास नहीं होता है तो परीक्षा में हड़बड़ी में प्रश्नपत्र गलत होने या कुछ प्रश्न छूटने के chances हो जाते हैं ।
        To Know More About Preparation Tips Of Examination Please Click Here

        7.कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी क्लैट(Common Law Admission Test)-

        How to Prepare Common Law Admission Test

        How to Prepare Common Law Admission Test

        कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट यानी क्लैट 26 मई को है। इसमें उत्तर गलत होने पर 0.25 (एक चौथाई) अंक कट जाएंगे। ऐसे में परीक्षार्थियों को अपनी तैयारी बेहतर तरीके से करनी चाहिए। सवालों का जवाब भी सोच-समझकर देना चाहिए। सीएनएलयू के चाइल्ड राइट सेंटर की को-आर्डिनेटर व नालसार हैदराबाद से एलएलएम बताया कि परीक्षार्थियों को गणित को लेकर घबराना नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएं परीक्षा के अंतिम समय में लॉजिकल रिजनिंग और एलिमेंट्री मैथेमेक्टिक्स में ज्यादा घबराते हैं। उन्होंने बताया कि गणित में पहले से पढ़े गए टॉपिक को रिवाइज करें। फॉर्मूले का अभ्यास करें। इससे प्रश्नों को हल करने में मदद मिलेगी। प्रतिशत और संख्या प्रणाली जैसे विषय महत्वपूर्ण हैं। अंग्रेजी में व्याकरण और पढ़ने की समझ से संबंधित प्रश्नों को अच्छी तरह समझ लें। रिविजन करने से सवालों को हल करने में आसानी होगी। 
        How to Prepare Common Law Admission Test

        How to Prepare Common Law Admission Test

        क्लैट में करंट अफेयर्स हमेशा गतिशील होता है। इस खंड में पूछे गए प्रश्नों के बारे में पहले से कोई कुछ नहीं बता सकता। इसलिए परीक्षार्थी अपनी तैयारी को लेकर आश्वस्त रहें। 
        हरेक विषय के लिए बांट लें समय
        No. Social Media Url
        1. Facebook click here
        2. you tube click here
        3. Twitter click here
        4. Instagram click here
        5. Linkedin click here
        सवाल हल करते समय आपको समय पर नियंत्रण रखना चाहिए। सवाल 200 अंक के आते हैं। दो घंटे में इसका जवाब देना होता है। हरेक विषय का जवाब देने के लिए इसी अनुसार समय तय कर लें। अंग्रेजी के लिए 25 मिनट, गणित के लिए 15 मिनट, जीके के लिए 15 मिनट, लीगल एप्टीट्यूट के लिए 30 मिनट और रिजनिंग के लिए 25 मिनट तय कर सकते हैं। 
        बिहार में सीएनएलयू में प्रवेश
        क्लैट के अंतर्गत राज्य में सिर्फ चाणक्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में नामांकन होता है। यहां बीए एलएलबी और बीबीए एलएलबी की पढ़ाई होती है। दोनों संकायों में 140 सीटें हैं। 
        कुल सवाल 200 
        जनरल नॉलेज एंड कंरट अफेयर्स  : 50 अंक
        लीगल एप्टीट्यूट : 50 अंक
        लॉजिकल रिजनिंग : 40 अंक
        इंग्लिश प्लस कंप्रिहेंसिव 40 अंक
        एलिमेंट्री मैथेमेक्टिस 20 अंक
        प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 0.25 अंक कट जाएंगे 
        हिन्दुस्तान टेली काउंसिलिंग
        आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने क्लैट की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञों से बातचीत की। अगर फिर भी आप कोई और जानकारी चाहते हैं तो मंगलवार को सीएनएलयू के एसोसिएट प्रोफेसर फादर पीटर लैडिस से सवाल पूछ सकते हैं।
        समय : 12 से एक बजे तक
        फोन नंबर 0612-2220274 

        8.CLAT 2020 Exam Date: परीक्षा 10 मई को, सवालों के फॉर्मेट में यह चेंज

        Updated: 22 Nov 2019
        कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट' (सीएलएटी) का आयोजन अगले साल 10 मई को किया जाएगा। इस बाबत अधिसूचना इस साल दिसंबर के अंतिम हफ्ते में जारी की जाएगी।
        नई दिल्ली
        'कॉमन लॉ ऐडमिशन टेस्ट' (सीएलएटी) का आयोजन अगले साल 10 मई को किया जाएगा। इस बाबत अधिसूचना इस साल दिसंबर के अंतिम हफ्ते में जारी की जाएगी।
        'कन्सोर्टियम ऑफ नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी' की ओर से बृहस्पतिवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि सीएलएटी, 2020 की परीक्षा 10 मई 2020 को रविवार के दिन आयोजित की जाएगी। एक जनवरी से ऑनलाइन फॉर्म उपलब्ध होंगे। विज्ञप्ति में बताया गया है कि कन्सोर्टियम ऑफ नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष और हैदराबाद के नलसार विधि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. फैजान मुस्तफा की अध्यक्षता में बेंगलुरु में 'कन्सोर्टियम ऑफ एन एल यू' की बैठक में इस बाबत निर्णय किया गया है। इसमें बताया गया है कि दिसंबर के अंतिम हफ्ते में परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी।
        सीएलएटी 2020 में प्रश्नों की संख्या को 200 से घटाकर 120-150 कर दिया गया है। प्रो मुस्तफा ने कहा कि 120 मिनट में छात्र से 200 सवाल करना सही नहीं है। इससे छात्रों पर काफी मानसिक दबाव पड़ता है।

        विज्ञप्ति के मुताबिक इस बैठक में, भोपाल स्थित एनएलआईयू के कुलपति प्रो वी विजयकुमार को कन्सोर्टियम ऑफ नैशनल लॉ यूनिवर्सिटी का नया अध्यक्ष निर्वाचित किया गया है, जबकि पंजाब के आरजीएनयूएल के कुलपति प्रो परमजीत एस जायसवाल इसका उपाध्यक्ष चुना गया है। वहीं, सीएलएटी 2020 का संयोजक जबलपुर स्थित धर्मशाला राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बलराज चौहान को चुना गया है।

        0 Comments:

        Students of Mathematics Will be Able to Study Through Digital Board

        Students of Mathematics Will be Able to Study Through Digital Board

        1.साइंस और गणित के विद्यार्थी अब डिजिटल बोर्ड के माध्यम से कर सकेंगे पढ़ाई(Students of science and mathematics will now be able to study through digital board)-


          आज बढ़ते हुए वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रभाव ने मानव के दृष्टिकोण को बिल्कुल परिवर्तित कर दिया है। समाज ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान व तकनीकी का प्रयोग प्रारम्भ कर दिया है। इस बढ़ते हुए तकनीकी का ही प्रभाव है शिक्षा में भी तकनीकी का प्रयोग हो गया है जिसे शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।
          शिक्षा के क्षेत्र में आज आधुनिकतम शिक्षण मशीनों, रेडियो, दूरदर्शन, टेपरिकार्डर, ग्रामोफोन, कम्प्यूटर, प्रयोगशाला, उपग्रहों द्वारा शिक्षण आदि के प्रयोग ने शिक्षा प्रक्रिया का मशीनीकरण कर दिया है। इनके प्रयोग से एक प्रभावशाली शिक्षक विद्यार्थियों के बड़े से बड़े समूह को अपने ज्ञान और कौशल से लाभान्वित करा सकता है। इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी एक विज्ञान है जिसके आधार पर शिक्षा के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तकनीकी विधियों का निर्माण किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है शिक्षा तथा तकनीकी। शैक्षिक तकनीकी को समझने से पूर्व शिक्षा और तकनीकी को अलग-अलग समझना आवश्यक है।

          2.शिक्षा का स्वरूप(Nature of Education) -

          शिक्षा मानव जीवन को सभ्य और सुसंस्कृत बनाती है। शिक्षा मानव जीवन का आभूषण है, शिक्षा ही गति है, शिक्षा ही विकास है, शिक्षा ही जीवन शक्ति है। यह समाज के विभिन्न वर्गों के लिए, विभिन्न आयु के लोगों के लिए एक विशेष सहारा प्रदान करती है। शिक्षा युवकों के लिए एक शानदार सन्तुलन है, वृद्धों के लिए बड़ी संतोषप्रद है, निर्धनों का धन है और धनवानों का आभूषण है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है - आगे बढ़ाना अथवा विकास करना। इस प्रकार शिक्षा का अर्थ है बालक की जन्मजात शक्तियों को अन्दर से बाहर की ओर विकसित करना। शिक्षा चेतन अथवा अचेतन रूप से विद्यार्थी की व्यक्तिगत रूचियों, आदतों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा सामाजिक आदर्शों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार भौतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बना लेता है।

          3.तकनीकी का अर्थ(Meaning of Technology)-

          तकनीकी विज्ञान का कला में प्रयोग है। इस प्रकार तकनीकी का आधार विज्ञान है तथा इसका कार्य प्रयोगात्मक कला का विकास करना है। विज्ञान उस विशिष्ट ज्ञान को कहते हैं जो किसी वस्तु का क्रमबद्ध ज्ञान इस प्रकार करवाता है जिसे मानव स्वयं परीक्षण तथा अनुभव द्वारा प्राप्त करता है। विज्ञान ने रचनात्मकता तथा निर्माण को जितना अधिक बढ़ावा दिया है, वह सब तकनीकी के माध्यम से ही सम्भव हुआ है। विज्ञान तथा तकनीकी एक दूसरे से सम्बद्ध है। विज्ञान हमें यह बताता है कि किसी वस्तु को क्यों जानना चाहिए तथा तकनीकी इस बात को स्पष्ट करती है कि उस वस्तु तथा सिद्धांत को कैसे जाना जाए? दूसरे शब्दों में विज्ञान सैद्धान्तिक पक्ष पर बल देता है जबकि तकनीकी व्यावहारिक पक्ष पर बल देती है। इसलिए विज्ञान के साथ तकनीकी ज्ञान देना अत्यन्त आवश्यक है।
          शैक्षिक तकनीकी ने शिक्षण की क्रियाओं का यान्त्रिकीकरण करना आरम्भ कर दिया है जैसे-जैसे वैज्ञानिक युग में मशीनों का आविष्कार हुआ है वैसे-वैसे उनका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाने लगा है। इन मशीनों का शिक्षा में उपयोग मुख्यतः तीन रूपों में देखने को मिलता है -

          (1.)ज्ञान से संचित करना(Accumulate with knowledge)-

          वैज्ञानिक युग में छपाई मशीनों का आविष्कार हुआ, इससे पूर्व प्रत्येक विषय की सामग्री को संचित कर सुरक्षित रूप से रखना कठिन था। अधिकांश ज्ञान कंठस्थ ही करवाया जाता था परन्तु मशीनों के प्रयोग से ज्ञान को पुस्तक का रूप प्रदान किया गया तथा पुस्तकालयों में सुरक्षित रखा जाने लगाए। टेपरिकार्डर, वीडियो, फिल्मस के माध्यम से हावभाव सहित शिक्षक की भाषा शैली व विषयवस्तु को संचित किया जाने लगा जिसका उपयोग आवश्यकतानुसार किया जा सकता है।

          (2.)ज्ञान का प्रसार करना(Spread knowledge) -

          शिक्षण मशीनों, रेडियो, दूरदर्शन, पत्राचार-पाठ्यक्रमों के माध्यम से आज खुले विश्वविद्यालयों व विद्यालयों के सहयोग से जन-जन तक दूर-दराज के क्षेत्रों में भी प्रसार किया जा रहा है। शिक्षा तकनीकी ने भाषा प्रयोगशाला, कम्प्यूटर पर आधारित शिक्षण मशीनों के प्रयोग से सभी विद्यार्थियों को अपने ढंग से सीखने का अवसर प्रदान किया है।

          (3.)ज्ञान का विकास करना(Developing knowledge) -

          आधुनिक युग में वैज्ञानिक शोध कार्यों को अधिक महत्त्व दिया जा रहा है। शोध कार्यों में आँकड़ों का संकलन तथा उनका विश्लेषण करना मुख्य कार्य है। इसके लिए कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर तथा बिजली की मशीनों का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार फोटोस्टेट की मशीनों के आविष्कार से शोधकर्ता को विभिन्न पुस्तकों से विषय एकत्रित करने में सुविधा होती है।

          4.डिजीटल बोर्ड द्वारा गणित शिक्षा(Mathematics Education by Digital Board)-

          अभी तक रेडियो, टेपरिकार्डर, ग्रामोफोन, टेलीविजन, प्रोजेक्टर, स्लाइड्स, कम्प्यूटर, बन्द सर्किट टेलीविजन, इलेक्ट्रॉनिक विडियो टेप आदि शिक्षण मशीनों का प्रयोग किया जाता रहा है। इनका अधिकाधिक उपयोग मुक्त विद्यालयों (Open Schools), मुक्त विश्वविद्यालयों (Open Universities), पत्राचार पाठ्यक्रमों (Correspondence Courses) के द्वारा तीव्रगति से किया जाता रहा है। परन्तु गणित शिक्षा के लिए अब डिजीटल बोर्ड का प्रयोग करके शिक्षण तकनीकी को नई दिशा दी जा रही है। दरअसल शिक्षा प्रगतिशील, शिक्षा के नवाचार एवं नवीन प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने पर ही आधुनिक युग की जरूरतों को पूरा कर सकती है। डिजिटल बोर्ड पर कम्प्यूटर के द्वारा शिक्षण दर्शाया जाएगा तथा इसके द्वारा एक बड़े समूह को गणित शिक्षण कराया जा सकता है। पाठ्यक्रम भी डिजिटल होगा जो विडियो व वाईस के स्वरूप का होगा। दरअसल शिक्षा का स्वरूप गतिशील तथा नवीनता लिए हुए होता है तो वह शिक्षा जीवन्त होती है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यह परिवर्तन केवल प्रकृति तक ही सीमित नहीं है परन्तु समाज में भी परिवर्तन हो रहा है। पुरानी मान्यताओं का स्थान नवीन मान्यताएं ले रही है। पुरातन विचार जा रहे हैं और नए-नए विचार व प्रयोग आ रहे हैं। पुराने मूल्यों के स्थान पर नए मूल्य ग्रहण किए जा रहे हैं। जल स्थिर रहेगा तो सड़ेगा ही। जल का प्रवाह जारी रहेगा अर्थात् पुराने जल का स्थान नया जल लेता रहेगा तो जल शुद्ध बना रहेगा। इसी प्रकार जो समाज स्थिर, यथावत स्थिति में बना रहना चाहता है, नवीन विचारों को ग्रहण नहीं करता, वह जीवित नहीं रह सकता है। नए-नए विचारों को ग्रहण करने से समाज को नया जीवन प्राप्त होता है। उसमें नयी स्फूर्ति आती है और वह सदा अग्रणी स्थान प्राप्त करता है।


          Students of Mathematics Will be Able to Study Through Digital Board

          Students of Mathematics Will be Able to Study Through Digital Board

          यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

          5.प्रदेश के 10 जिलों के साइंस और गणित के विद्यार्थी अब डिजिटल बोर्ड के माध्यम से कर सकेंगे पढ़ाई का परिचय (Introduction to Students of science and mathematics will now be able to study through digital board)-

          Students of Mathematics Will be Able to Study Through Digital Board

          Students of Mathematics Will be Able to Study Through Digital Board

          No. Social Media Url
          1. Facebook click here
          2. you tube click here
          3. Twitter click here
          4. Instagram click here
          5. Linkedin click here
          जींद. प्रदेश के 150 सरकारी स्कूलों के नौवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चे अब डिजिटल तरीके से पढ़ेंगे। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा पहले फेज में प्रदेश के उन सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड लगवाए जाएंगे, जहां पर साइंस व गणित इंग्लिश मीडियम में पढ़ाया जा रहा है। इसका पाठ्यक्रम भी डिजिटल होगा। पूरा पाठ्यक्रम वीडियो व वाइस के जरिये डिजिटल बोर्ड पर चलेगा। इसमें आसानी से बच्चे देख सकेंगे।
          शिक्षा विभाग द्वारा डिजिटल बोर्ड लगाने के लिए एजेंसी को टेंडर जारी कर दिया है। जल्द ही इन 150 सरकारी स्कूलों में बोर्ड लगाने का काम पूरा होगा। डिजिटल बोर्ड से पढ़ाने के लिए विभाग द्वारा जरूरी पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहे हैं। यह पाठ्यक्रम वीडियो के स्वरूप में होगा। इससे जिले के सरकारी स्कूलों के छात्रों को संबंधित विषयों को समझने में सहायता होगी। जींद जिले के भी 14 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें यह डिजिटल बोर्ड लगाए जाएंगे। यह डिजिटल बोर्ड सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं कक्षा के साइंस व गणित के विद्यार्थियों के लिए लगाए जाएंगे।
          विभाग ने जारी किया टेंडर
          चयनित सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड लगाने के लिए विभाग ने टेंडर जारी किया हुआ है। जींद जिले में 14 स्कूलों में यह बोर्ड लगेंगे जबकि पूरे प्रदेश के 10 जिलों के 150 सरकारी स्कूलों में यह लगाए जाएंगे। इससे साइंस व गणित के विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
          -रणधीर लोहान, जिला विज्ञान विशेषज्ञ, जींद
          जींद जिले के इन स्कूलों में लगाए जाएंगे डिजिटल बोर्ड
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल निडानी
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल दालमवाला
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल डिफेंस काॅलोनी जींद
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल मालवी
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल बडऩपुर
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल जींद
          राजकीय हाई स्कूल बाल आश्रम
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल नरवाना
          राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल नरवाना
          राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल उचाना मंडी
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल जुलाना
          राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल सफीदों
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल पिल्लूखेड़ा
          राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल सफीदों

          0 Comments:

          Mathematics, a Subject That Teaches Life, Teaches to be Logical

          Mathematics, a Subject That Teaches Life, Teaches to be Logical: Anand Kumar


            1.मैथेमैटिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट जो जीवन की सीख देता है, लॉजिकल होना सिखाता है: आनंद कुमार  का परिचय (Introduction to Mathematics, a subject that teaches life, teaches to be logical: Anand Kumar)-

            Mathematics, a Subject That Teaches Life, Teaches to be Logical,Hrithik Roshan with Anand kumar super 30

            Hrithik Roshan with Anand kumar super 30

            इस आर्टिकल में विख्यात सुपर-30 के निदेशक श्री आनन्द कुमार का साक्षात्कार प्रस्तुत किया गया है। श्री आनन्द कुमार अब एक अपरिचित नाम नहीं है बल्कि प्रसिद्धि का कीर्तिमान स्थापित करने के रूप में जाना जाता है। सुपर-30 से आईआईटी के लिए प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाता है। सुपर-30 के लिए उन्होंने कड़ा संघर्ष, कठिन परिश्रम किया है जिससे सुपर-30 में प्रशिक्षण प्राप्त 90%बच्चे आईआईटी में चुने जाते हैं जो कि किसी संस्था के लिए एक रिकाॅर्ड है। उनका मुख्य रूझान गणित विषय में है। 
            अमीर घरानों के बच्चों को बहुत ही प्रोफेशनल कोचिंग सेंटर में प्रशिक्षण उपलब्ध हो जाता है जिससे वे आईआईटी की अधिकांश सीटों पर कब्जा कर लेते हैं। परन्तु विद्यार्थियों को अच्छे कोचिंग सेंटर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं और स्कूली शिक्षा के आधार पर इस कड़ी प्रतिस्पर्धा के युग में चयन होना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में श्री आनन्द ने देश में एक मिशाल और कीर्तिमान स्थापित किया है कि निर्धन बालकों में भी प्रतिभा होती है यदि उनको सही दिशा मिले और उनकी प्रतिभा को निखारा व तराशा जाए तो वे भी आईआईटी जैसे उच्च प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में अपना स्थान बना सकते हैं। 

            2.गणित में प्रखर बुद्धि बालकों के लिए उपचारात्मक कार्य (Remedial work for children with intelligent intelligence in mathematics)-

            प्रखर बुद्धि बालकों का निर्धनता व अमीरी से कोई सम्बन्ध नहीं है। प्रखर बुद्धि बालकों को कक्षा में पर्याप्त मात्रा में ज्ञान नहीं मिलने से वे बैचेन रहते हैं तथा उनका मन इधर-उधर भटकने लगता है तो वे असामाजिक कार्यों में भाग लेने लगते हैं तथा कक्षा-कार्य उनको फीका लगने लगता है। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों की मानसिक एवं शारीरिक शक्ति के सदुपयोग के लिए प्रभावी एवं आकर्षक अध्यापन विधियाँ आवश्यक है जिससे कि उनको उपयोगी कार्यों में व्यस्त रखा जा सके। गणित के अध्यापकों को मेधावी विद्यार्थियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें पाठ्यपुस्तकों के बाहर की समस्याओं को भी हल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों की सहायता कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों को मदद करने में ली जा सकती है। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों के समक्ष कक्षा में समस्याओं को चुनौतियों के रूप में प्रस्तुत करने से वे अपनी क्षमता का अधिकाधिक प्रयोग करते हैं तथा क्रियाशील बने रहते हैं। सुनियोजित कार्यक्रम के द्वारा उन्हें व्यवस्थित ढंग से कार्यरत रखा जा सकता है। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों को गणित का इतिहास, गणित का विकास, गणित का सामाजिक महत्त्व, गणित का विज्ञान में महत्त्व आदि विषयों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उन्हें इनसे सम्बन्धित साहित्य उपलब्ध कराना चाहिए। प्रखर बुद्धि विद्यार्थी गणित की खोजों में अत्यधिक रुचि लेते हैं तथा उन्हें गणित की नवीन बातों को सीखने और जानने के पर्याप्त अवसर देने चाहिए। 

            3.निष्कर्ष (conclusion)- 

            प्रखर बुद्धि बालकों को पहचानकर उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए श्री आनन्द कुमार ने समाज व देश के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उन्होंने एक मिसाल पेश की है कि यदि मनुष्य में दृढ़ संकल्प, समर्पण और जुनून हो तो कोई  भी कार्य असम्भव नहीं है। श्री आनन्द कुमार ने एक प्रशंसनीय कार्य किया है इसके लिए उनको साधुवाद। उन्होंने गणित की प्रतिभाओं को निखारने के लिए जो संघर्ष किया है तथा उसमें सफलता अर्जित की है उसी का परिणाम है कि उनके जीवन पर श्री ऋतिक रोशन अभिनीत फिल्म सुपर-30 का निर्माण हुआ है। फिल्म को अच्छा रिस्पांस भी मिला है। इससे अनेक लोगों को प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलेगा।
            गणित का नाम सुनते ही बहुत से विद्यार्थियों को डर लगने लगता है तथा उनको डर लगने लगता है तथा मैथ फोबिया हो जाता है। दरअसल गणित पढ़ाने के लिए योग्य अध्यापकों की आवश्यकता है। यदि शिक्षा संस्थानों में योग्य अध्यापकों का चयन किया जाए तो कोई कारण नहीं है कि गणित प्रतिभाएं खिलने से पहले ही मुरझा जाए। परन्तु होता ऐसा है कि हर जगह कुकुरमुत्ते की तरह प्राइवेट स्कूल खुल गए हैं जिनमें योग्य गणित शिक्षकों की कमी है। उनका उद्देश्य व्यावसायिक है। हालांकि कुछ शिक्षा-संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है परन्तु उनकी फीस इतनी है कि सामान्य व्यक्ति उसको अफोर्ड नहीं कर सकता है। सरकारी स्कूलों की स्थिति ऐसी है कि एक बार अध्यापक के पद पर चयन हो जाने के बाद उनकी नौकरी पक्की हो जाती है। उनको नौकरी से निकाले जाने का न तो डर है और न ही उन पर कोई जिम्मेदारी है इसलिए विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने में वे कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं। ऐसी स्थिति में श्री आनन्द कुमार ने जो बीड़ा उठाया है उसके लिए उनको प्रोत्साहन, प्रेरणा तथा यथायोग्य सहयोग दिया जाना चाहिए। 
            यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

            2.मैथेमैटिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट जो जीवन की सीख देता है, लॉजिकल होना सिखाता है: आनंद कुमार(Mathematics teaches us how to be logical in life, says Super 30's real hero Anand Kumar)-

            Mathematics, a Subject That Teaches Life, Teaches to be Logical, Anand kumar super 30

            Hrithik Roshan with Anand kumar super 30

            हाल ही में रिलीज हुई फिल्म सुपर 30 के रियल हीरो आनंद कुमार शुक्रवार को पीयू चंडीगढ़ पहुंचे
            बोले शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए सरकारों से ज्यादा समाजिक स्तर पर काम करने की जरूरत, हर शिक्षक को ईमानदारी से काम करने की जरूरत है। 
            Aug 02, 2019[दैनिक भास्कर से साभार ]
            चंडीगढ़ (आरती एम अग्निहोत्री). हाल ही में रिलीज हुई ऋतिक रोशन की फिल्म सुपर 30 चर्चा में है। बॉक्स ऑफिस पर अच्छा काम कर रही है। अधिक-से-अधिक बच्चे इस फिल्म को देखें। इसलिए 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसे टैक्सफ्री कर दिया है। यह फिल्म बिहार के आनंद कुमार के जीवन पर बनी है। आनंद सुपर 30  संस्थान के संस्थपाक हैं जो अंडरप्रिविलिज बच्चों को साल 2002 से मुफ्त में शिक्षा दे रहा है।
            सुपर 30 के अंतर्गत आनंद ने 510 बच्चों को कोचिंग दी, जिसमें से 440 आईआईटी तक पहुंचे। इस फिल्म में ऋतिक रोशन ने काम किया है। आनंद के रूप में ढलने के लिए ऋतिक ने इनका 150 घंटे का वीडियो बनाया जिसे उन्होंने दिन रात देखा। एक साल तक बिहार की भाषा को सीखा, अपने मसल कम किए। इसके बाद वो इस किरदार में फिट हुए। शुक्रवार को आनंद पीयू पहुंचे। यहीं उनसे बातचीत हुई।
            सवाल: फिल्म के बाद जीवन में क्या बदलाव आए? 
            जवाब: इसमें कोई दो राय नहीं कि पेरेंट्स वीकेंड्स पर बच्चों को यह फिल्म दिखा रहे हैं ताकि उनमें पढ़ाई करने का जज्बा बढ़े। इसके अलावा भी लोगों की मुझसे उम्मीदें बढ़ गई हैं। 5वीं या 6वीं में पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स भी आकर कहने लगे हैं कि हमारे बच्चे को अपने पास रख लो। किसी के पति पर कोई अत्याचार करे तो पत्नी मुझसे मदद की उम्मीद करने लगी है। अमीर लोग अपने बच्चों को पढ़ाने की बात करते हैं। मैं मना करता हूं तो कहते हैं कि हमने अमीर होकर क्या गलती कर दी?
            सवाल: फिल्म से मिली पॉपुलेरिटी से खुद को क्या फायदा लेना चाहोगे? क्या राजनीति में आने का विचार है?
            जवाब: राजनीति के लिए लंबा अनुभव चाहिए और मेरा अनुभव पढ़ाने का है। मैं अब चाहूंगा कि ज्यादा-से-ज्यादा बच्चों को फायदा दे सकूं। फिल्म का चाव तो अगस्त तक रहेगा। अब 6वीं से 12वीं क्लास तक का एक बड़ा स्कूल खोलना चाहता हूं। जिसमें देशभर से डेडिकेटेड बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा होगा। जरूरी नहीं ये बच्चे आईआईटी करना चाहते हों। ये बच्चे डॉक्टर, टीचर, पत्रकार जो भी बनना चाहते होंगे, उसमें इन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।
            सवाल: फिल्म के बाद कई प्राइवेट कंपनियों ने आपको फंड्स की मदद के लिए कहा पर आपने इंकार कर दिया? क्यों? कहां से फंड्स मैनेज करते हैं?
            जवाब: 10 साल पहले मुझे देश के तत्कालीन मंत्री मनमोहन सिंह ने मदद देने की बात की। मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मदद के लिए ऑफर किया। बिहार के तत्कालीन सीएम नितीश कुमार और मुकेश अंबानी ने भी मदद की बात की थी। पर मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं सेल्फ ससटेनेबल होना चाहता हूं। कोई एक बार फंड देने के बाद दोबारा फंड न दे तो फंड्स के लिए उसे कब तक फॉलो करूंगा? मेरी पत्नी आईआईटियन हैं, मैथेमेटिशियन हैं। हम ट्यूशंस करके जो कमाते हैं उन्हीं से परिवार और अपने स्टूडेंट्स का खर्च चलाता हूं।
            सवाल: जिस स्तर का काम आप कर रहे हैं, क्या हमारी सरकारें इस स्तर का काम नहीं कर सकतीं?
            जवाब: देश के सरकारी स्कूलों के हालात अच्चे नहीं हैं। हमारे देश की शिक्षा दो स्तर पर काम कर रही है। एक वो जहां अमीरों के बच्चे 5 स्टार होटल्स जैसे स्कूल्स में पढ़ते हैं। वहीं गरीब बच्चों के लिए स्कूलों में कंप्यूटर तक नहीं हैं। मुझे लगता है कि सरकारों को अपने सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है। शिक्षकों के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है। इससे भी ज्यादा मुझे लगता है कि ये काम सरकार से ज्यादा समाजिक स्तर पर होना चाहिए। शिक्षक अपना काम ईमानदारी से करें। दूसरा हर पेरेंट्स चाहते हैं कि मेरे बच्चों को बेस्ट टीचर मिलें पर कोई नहीं चाहता कि उनका बच्चा टीचर बने। हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है। इस फिल्म के बाद कई पेरेंट्स ने ट्वीट करके कहा है कि हम अपने बच्चे को टीचर बनाएंगे।
            सवाल: मैथेमैटिक्स ही आपका फेवरिट सब्जेक्ट क्यों? इसे लेकर खुद पर कितना काम किया? मैथेमैटिक्स में क्या जरूरी है?
            जवाब: इस विषय में सबसे जरूरी है कैसे और क्यों? इसी सिद्धांत पर हमारा जीवन भी चलता है। मैंने मैथेमैटिक्स को लेकर, उसके सॉल्युशंस निकालने को लेकर काफी काम किया है। यह सब्जेक्ट मेरा फेवरिट इसलिए है क्योंकि यह हमें सभी समस्याओं को अनलॉक करना सिखाता है। हम लॉजिकल हो जाते हैं, हममें पेशेंस आ जाती है। जज्बा, जुनून, संघर्ष सब सिखाता है। समाज में कैसे आगे बढ़ना है, कैसे लड़ना है वो सब लॉजिक सिखाता है।
            सवाल: आप अलग-अलग इंस्टीट्यूशंस में लेक्चर के लिए जाते हैं। स्टूडेंट्स के क्या कॉमन सवाल होते हैं और उनका जवाब क्या होता है?
            जवाब: अलग-अलग स्तर पर अलग सवाल होते हैं। 12वीं क्लास या उससे कम में पढ़ने वाले बच्चे हमेशा पूछते हैं  कि पढ़ाई का बोझ कम कैसे करें? स्कूल से आते हैं कोचिंग पर चले जाते हैं। खुद पढ़ने का वक्त ही नहीं होता। इसपर मेरा जवाब सही होता है कि अगर आप डेप्थ से पढ़ोगे और पढा़ई को प्रैक्टिकल लाइफ से जोड़ोगे तो आपको कोचिंग जाने की जरूरत नहीं। वहीं आईआईटी के स्टूडेंट्स स्टार्टअप्स को लेकर चैलेंजेस और उन्हें कैसे फेस करें इस पर सवाल करते हैं। एमआईटी और यूबीसी जैसे संस्थानों में मेरी टीचिंग टेक्नीक्स पर सवाल किए जाते हैं।
            No. Social Media Url
            1. Facebook click here
            2. you tube click here
            3. Twitter click here
            4. Instagram click here
            सवाल: आपके पढ़ाए अंडप्रिविलिज बच्चे जब आईआईटी जैसे संस्थानों में जाते हैं तो दूसरे स्टूडेंट्स से कैसे कोपअप करते हैं‌?
            जवाब: मेरे पढ़ाए बच्चों को उन स्टूडेंट्स के साथ कोपअप करना होता है जो 5 स्टार होटल जैसे स्कूलों में पढ़कर आते हैं। पर मेरे पास कोचिंग करते-करते उनका कॉन्फिडेंस लेवल काफी बढा दिया  जाता है। इसलिए कोपअप करने में दिक्कत नहीं आती।

            0 Comments: