Inverse Circular Function
October 30, 2019
By
satyam coaching centre
12th math.
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Inverse Circular Function
Inverse Circular Function |
1.Introduction to Inverse Circular Function-
यदि sin𝜽=xहो तो हम x को 𝜽का ज्या(sine) कहते हैं और 𝜽संख्या xका ज्या प्रतिलोम (sine inverse) कहलाता है.इस कथन को गणितीय संकेतन में निम्न प्रकार से लिखा जाता है:
𝜽=sin-1x या 𝜽=arcsinx
sin-1xको हम ज्या व्युत्क्रम(sine inverse) पढते हैं.
2.प्रतिलोम वृत्तीय फलन(Inverse circular Function):
हम जानते हैं किsin𝜽,cos𝜽,tan𝜽 इत्यादि त्रिकोणमितीयवृत्तीय फलन(Inverse Circular Function) कहलाते है.,जिनमे से प्रत्येक,𝜽के प्रत्येक मान के लिए एक निश्चित संख्या के बराबर होता है.यदि sin𝜽=xतो 𝜽=sin-1x होगा.
कोण 𝜽कोx के रूप में व्यक्त करनेवाला व्यंजक sin-1x प्रतिलोम वृत्तीय फलन(Inverse Circular Function) है.इसी प्रकार कोण𝜽को,,एक संख्या xके रूप में व्यक्त करने वाले अन्य प्रतिलोम वृत्तीय फलन है.
Cos-1x,tan-1x,cos-1xतथा cot-1x
टिप्पणी:
1.sin-1x,cos-1x फलनों में -1 घात नहीं है,इसे केवल प्रतिलोम फलन के संकेत के रूप में प्रयोग किया गया है क्योंकि (sinx)-1=1/sinx अत: sin-1x not equal to (sinx)-1
2.sin-1x एक कोण को व्यक्त करता है.जबकि sin𝜽 एक संख्या को,जहां 𝜽 एक कोण है.
प्रतिलोम वृत्तीय फलन: हम जानते है कि किसी फलन f का प्रतिलोम फलन f-1 ज्ञात करने के लिए फलन f ज्ञात करने के लिए फलन f का एकैकी-आच्छादक होना आवश्यक है.
वृतीय फलनों के अध्ययन से स्पष्ट है है कि ये फलन अपने स्वाभाविक (सामान्य)प्रांत और परिसर में एकैकी तथा आच्छादक नहीं होते हैं.अत:इनके प्रतिलोम सामान्य स्थितियों में ज्ञात करना संभव नहीं होता है,परंतु इन फलनों के प्रांत को परिसीमित (प्रतिबंधित) करने पर ये फलन एकैकी आच्छादक हो जाते है तथा इन स्थितियों में इनके प्रतिलोम फलन ज्ञात किये जा सकते है.
3.इन प्रतिबंधित स्थितियों के प्राप्त प्रतिलोम वृत्तीय फलनों के प्रांत एंव परिसर निम्न सारणी में दर्शाये गये है.साथ ही प्रत्येक परिसर खण्ड के लिए हमें प्रतिलोम फलन की एक शाखा प्राप्त होती है.इन शाखाओं में से ही एक मुख्य शाखा होती है .
Function y= | Range | Principal vaue |
Sin-1x | X=[-1,1] | [-𝜋/2,𝜋/2] |
Cos-1x | x𝜖[-1,1] | [0,𝜋] |
Tan-1x | X𝜖R | (-𝜋/2,𝜋/2) |
.cot-1x | x𝜖R | (0,𝜋) |
.sec-1x | x𝜖R-(-1,1) | (0,𝜋]-𝜋/2 |
.cosec-1x | x𝜖R-(-1,1) | [-𝜋/2,𝜋/2] |
टिप्पणी-
.y=f(x)जैसे व्युत्क्रमणीय फलन का प्रतिलोम फलन x=f-1(y) प्राप्त होता है.अर्थात मूल फलन के आलेख में Xतथा Y-अक्षों का परस्पर विनिमय करके प्रतिलोम फलन का आलेख प्राप्त होता है.यही नियम प्रतिलोम वृत्तीय फलनों के आलेख प्राप्त करने में लागू होता है.
(1.)जब कभी प्रतिलोम वृत्तीय फलनों की किसी शाखा विशेष का उल्लेख न हो तो हमारा तात्पर्य उस फलन की मुख्य शाखा से होता है.
(2.)किसी प्रतिलोम वृत्तीय फलन का वह मान जो उसकी मुख्य शाखा में स्थित होता है प्रतिलोम वृत्तीय फलन का मुख्य्मान(PrincipalValue) कहलाता है.
4.व्यापक मान (General Value):
हम जानते हैं कि sin𝜽=sin{n𝜋+(-1)-1𝜽}जहांn𝜖Z पूर्णांक संख्याओं का समुच्चय है.अब यदि
sin-1x=𝜽 हो तो sin-1x का व्यापक मान n𝜋+(-1)nsin-1x होता है तथा इसे Sin-1x से निरूपित किया जाता है.अत: Sin-1x=n𝜋+(-1)n sin-1x, n𝜖Z
इसी प्रकार Cos-1x=2n𝜋+cos-1x, n𝜖Z ,Tan-1x=n𝜋+tan-1x
जहां Cos-1x,Tan-1x से हमारा तात्पर्य cos-1x,tan-1x के व्यापक मान से है.इसी प्रकार
Sec-1x,Cosec-1x,Cot-1x से हमारा तात्पर्य sec-1x,cosec-1x,cot-1x के व्यापक मान से होगा.
5.मुख्य मान (Principal Value):
प्रतिलोम वृत्तीय फलन(Inverse Circular Value) का मुख्य्मान 𝜽का वह छोटे से छोटा धनात्मक या ऋणात्मक मान है जो समीकरण sin𝜽=x,cos𝜽=xइत्यादि को संतुष्ट करता है
टिप्पणी-
(1.)यदि x>0है तब सभी प्रतिलोम वृत्तीय फललों के मुख्य्मान प्रथम चतुर्थांश [0,𝜋/2] में स्थित है.
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