Pranjal Srivastava became gold medalist in International Math Olympiad

Pranjal Srivastava, a student of CBSE, became the youngest winner to win a gold medal in the International Maths Olympiad

1.सीबीएसई के छात्र प्रांजल श्रीवास्तव इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के विजेता बन गए का परिचय (Introduction to Pranjal Srivastava, a student of CBSE, became the youngest winner to win a gold medal in the International Maths Olympiad)-.

इस आर्टिकल में बताया गया है कि भारत के CBSE बोर्ड के विद्यार्थी प्रांजल श्रीवास्तव ने वर्ष 2019 का अन्तर्राष्ट्रीय मैथेमेटिक्स ओलम्पियाड में स्वर्ण पदक जीता है । इससे पूर्व 2015 में भारतीय मूल के विद्यार्थी अमेरिका के श्याम नारायण (उम्र 17 साल) और 18 साल के यांग लियू पाटिल ने ओलम्पियाड जीतने वाली छ:सदस्यीय अमेरिका टीम के हिस्सा थे। प्रतियोगिता में भारत का 37 वां स्थान था। 
अन्तर्राष्ट्रीय खेलों में सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश का पदक जीतने का हिस्सा बढ़ता जा रहा है। चाहे वह ओलम्पिक खेल हो, एशियाई खेल, क्रिकेट, लाॅनटेनिस, टेबिल टेनिस यानि कोई सा भी क्षेत्र हो भारत अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। अंतरिक्ष स्पेश में इसरो का योगदान भी कम नहीं आँका जा सकता है। अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारत की गिनती चार-पाँच विकसित देशों के साथ होने लगी है। परन्तु कुल मिलाकर स्थिति संतोषजनक नहीं कही जा सकती है, आखिर क्या कारण है कि सबसे बड़े लोलोकतंत्र तथा विश्व की दूसरे नम्बर की आबादी वाला देश पदक तालिका में बहुत पीछे रह जाता है जबकि भारत से बहुत छोटे-छोटे देश जो भारत के किसी एक छोटे से राज्य के बराबर हैं पदक तालिका में भारत से बहुत आगे है। दरअसल इसके पीछे बहुत कठोर परिश्रम, जिजीविषा, संकल्प शक्ति और प्रतिभाओं को तराशने की आवश्यकता होती है। 
अन्तर्राष्ट्रीय मैथेमेटिक्स ओलम्पियाड में श्रीवास्तव (भारत) को स्वर्ण पदक मिलना भारत के लिए गौरव की बात है। हमने इंडियन मैथेमेटिक्स ओलम्पियाड तथा अन्तरराष्ट्रीय ओलम्पियाड के बारे में विस्तृत आर्टिकल लिखा है यदि आप जानना चाहते हैं तो निम्न लिंक पर click करके इनके बारे में जान सकते हैं। 
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अन्तर्राष्ट्रीय मैथेमेटिक्स ओलम्पियाड में स्वर्ण पदक जीतने के बाद विद्यार्थी के समक्ष कई अवसर उपलब्ध हो जाते हैं। यदि विद्यार्थी आगे अध्ययन करना चाहता है तो उसे छात्रवृत्ति मिलती है तथा कोई कोर्सेज करना चाहे या जाॅब करना चाहे तो वे अवसर भी उपलब्ध कराए जाते हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण बात है भारत के लिए CBSE बोर्ड के विद्यार्थी द्वारा स्वर्ण पदक मिलना। यह इस बात का प्रतीक है कि भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। यदि भारत सरकार तथा राज्य सरकारें, गैरसरकारी व सरकारी संगठन जो सक्षम हो तो ऐसी प्रतिभाओं को आर्थिक व अनार्थिक मदद देकर उनकी प्रतिभा को निखारने में योगदान दे तो ऐसी प्रतिभाएं भारत का गौरव बढ़ाने के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना योगदान दे सकेंगी। विकसित देशों की श्रेणी में आने के लिए भारत की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होने के साथ - साथ विज्ञान, तकनीकी, गणित, प्रौद्योगिकी, संचार के क्षेत्र में भी अग्रणी होना होगा। 
वर्तमान में कई संस्थाएं गणित की प्रतिभाओं को निखारने के लिए परीक्षा आयोजित करती हैं और उनमें जो श्रेष्ठ प्रतिभा होती हैं उनको आर्थिक मदद पुरस्कार के रूप में देकर उनको प्रशस्ति पत्र या पदक देकर सम्मानित भी करते हैं। जैसे गणितज्ञ संन्यासी महान महाराज के पास धन के नाम पर कुछ भी नहीं था परन्तु गणित में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उनको 65 लाख रूपये तथा प्रशस्ति पत्र (इन्फोसिस पुरस्कार) देकर सम्मानित किया गया है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति तो सुदृढ़ हुई है साथ ही गणित के क्षेत्र में ओर अच्छा करने के लिए उनका मनोबल बढ़ा है। अब वे गणित के लिए ओर अधिक समर्पण से कार्य कर रहे हैं। प्रोफेसर महान महाराज के बारे में ओर अधिक जानना चाहते हैं तो निम्न लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं। 
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गणित में या अन्य विषयों में प्रतिभाओं को निखारने के लिए गाँव-गाँव, शहर-शहर में अलख जगाने की आवश्यकता है। स्वयंसेवी संस्थाओं, सरकारों को ढूँढकर उनको आगे बढ़ाना होगा, उनके लिए कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना होगा, यदि विश्व पटल पर हम भारत की स्थिति को सुदृढ़ देखना चाहते हैं तो निर्धन, असहाय, वंचितों में छुपी हुई प्रतिभाओं का पता लगाकर उनको आगे बढ़ाना होगा, उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करनी होगी, लोकतान्त्रिक राज्य की वास्तविक अवधारणा भी यही है। 
वस्तुतः कई बार विचित्र स्थिति अर्थात् विरोधाभास देखने और सुनने को मिल जाता है। किसी क्षेत्र में कोई महान् प्रतिभा वृद्धावस्था में सड़ती हुई पाई जाती है। कई प्रतिभाओं को पद्मविभूषण, पद्मभूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके होते हैं परन्तु वृद्धावस्था में या उम्र ढलने पर दयनीय स्थिति से गुजर रहे होते हैं। भारत देश से इसीलिए प्रतिभाओं का पलायन होता है। दूसरा प्रतिभा पलायन का कारण है कि उनको विश्व स्तरीय प्रयोग, परीक्षण करने के लिए सुविधाएँ नहीं मिलती है और न उपलब्ध करायी जाती है। यदि किन्हीं युवाओं और प्रतिभाओं में राष्ट्र प्रेम की भावना होती है और वे देश के लिए कुछ योगदान करना चाहते हैं, जो भी सुविधाएं उनको उपलब्ध है तो ऐसी प्रतिभाएं जीवन के अंतिम पड़ाव में दयनीय स्थिति में पड़े हुए मिलते हैं। देश के नीति निर्धारकों, प्रबुद्ध विद्वानों, समृद्ध एवं सक्षम लोगों के लिए यह विचारणीय प्रश्न है। उन्हें सोचना चाहिए कि जिस अवस्था से वे गुजर रहे हैं कल को उनको भी गुजरना पड़ सकता है। इस बात पर विचार-विमर्श व मनन तथा ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है। यदि हमें जरा सी भी अपनी आत्मा की आवाज़ सुनाई देती है और हममें से वे लोग जो सत्ता में बड़े-बड़े पदो पर पदासीन है, इस तरफ ध्यान देकर प्रभावी तथा परिणामजनक कदम उठाएं तो कुछ ही समय में देश की दिशा और दशा दोनों बदल सकती है। 
फिलहाल तो देश की ऐसी स्थिति है कि देश की अधिकांश प्रतिभाएं गुमनामी के अँधेरे में पड़ी रहती है, उनको सम्हालने वाला कोई नजर नहीं आता है। एक तरफ हम इक्कीसवीं सदी में पहुँचने के लिए ढोल-नगाड़े बजा रहे हैं। दूसरी तरफ देश की तस्वीर देखकर तथा ऐसा देखकर अन्तरात्मा कचोटती है। 
भारत सच्चे अर्थों में इक्कीसवीं सदी में तभी पहुँचने का हकदार होगा जबकि ऐसा विरोधाभास देखने को नहीं मिलेगा। कुछ लोग मलाईदार पदो पर बैठकर सत्ता का सुख भोग रहे हैं, उन्हें इस प्रकार की बातों से कोई लेना-देना नहीं है। देश, देश की प्रगति, देश का विकास ,प्रतिभाएं, प्रतिभाओं का सम्मान, प्रतिभाओं को निखारना जाए भाड़ में, उन्हें अपना और अपनों का स्वार्थ सिद्ध करने से मतलब है। अपना तथा अपनों का घर चमकाने से मतलब है। जब देश की नस-नस में भ्रष्टाचार समाया हुआ हो तो देश व देश की प्रतिभाओं का क्या हाल होगा यह अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। 
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2.सीबीएसई के छात्र प्रांजल श्रीवास्तव इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे कम उम्र के विजेता बन गए(Pranjal Srivastava, a student of CBSE, became the youngest winner to win a gold medal in the International Maths Olympiad)-.

Pranjal Srivastava became gold medalist in International Math Olympiad

Pranjal Srivastava became gold medalist in International Math Olympiad

शिक्षाUpdated अक्टूबर 13, 2019 
सीबीएसई नेशनल पब्लिक स्कूल-कोरमंगला के छात्र प्रांजल श्रीवास्तव ने इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड 2019 में स्वर्ण पदक जीता।
प्रांजल श्रीवास्तव ने IMO में स्वर्ण पदक जीता
प्रांजल श्रीवास्तव ने IMO में स्वर्ण पदक जीता
सीबीएसई नेशनल पब्लिक स्कूल-कोरमंगला के छात्र प्रांजल श्रीवास्तव ने इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड 2019 में स्वर्ण पदक जीता। प्रांजल ने इस साल मैथ्स ओलंपियाड में 18 वां रैंक हासिल किया। इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड में यह उनका दूसरा प्रयास था। इस वर्ष मैथ्स ओलंपियाड यूनाइटेड किंगडम में आयोजित किया गया था।
2018 में भी प्रांजल मैथ्स ओलंपियाड के लिए दिखाई दिए, जिसे दुनिया भर में प्रतियोगिताओं का सबसे बड़ा और कठिन खेल माना जाता है और रजत पदक जीता। पिछले साल उनकी रैंक 87 थी। इस साल, वह स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के सबसे कम उम्र के छात्र बन गए। इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड में 210 देशों के 600 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
# Cbsefortalent प्रांजल, नेशनल पब्लिक स्कूल-कोरमंगला के छात्र, ने यूनाइटेड किंगडम में अंतर्राष्ट्रीय मैथ्स ओलंपियाड -2019 में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया ।IMO को दुनिया भर में सबसे बड़ी और कठिन प्रतियोगिताओं के रूप में माना जाता है। 
13 अक्टूबर, 2019
इंटरनेशनल मैथ्स ओलंपियाड के बारे में
अंतर्राष्ट्रीय गणितीय ओलंपियाड, IMO हाई स्कूल के छात्रों के लिए विश्व चैम्पियनशिप गणित प्रतियोगिता है और इसे एक अलग देश में प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। पहला IMO 1959 में रोमानिया में आयोजित किया गया था, जिसमें 7 देशों ने भाग लिया था। 5 महाद्वीपों से धीरे-धीरे इसका विस्तार 100 से अधिक देशों तक हो गया है। IMO बोर्ड यह सुनिश्चित करता है कि प्रतियोगिता प्रत्येक वर्ष होती है और प्रत्येक मेजबान देश IMO के नियमों और परंपराओं का पालन करता है।

3.भारतीय मूल के छात्रों की मदद से अमेरिका ने 21 साल बाद जीता गणित ओलंपियाड(America wins math Olympiad after 21 years with the help of students of Indian origin)-

Pranjal Srivastava became gold medalist in International Math Olympiad

Winner of 2017-18,Pranjal Srivastava became gold medalist in International Math Olympiad

भारतीय मूल के छात्रों की मदद से अमेरिका ने 21 साल बाद जीता गणित ओलंपियाड
Updated: 18 जुलाई,2015
भारतीय मूल के छात्रों की मदद से अमेरिका ने 21 साल बाद जीता गणित ओलंपियाड
वाशिंगटन: 
भारतीय मूल के दो छात्रों की मदद से अमेरिका ने दो दशक से अधिक समय बाद प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड जीता है। 17 साल के श्याम नारायणन और 18 साल के यांग लियू पाटिल ओलंपियाड जीतने वाली छह सदस्यीय अमेरिकी टीम का हिस्सा थे जिसने 21 साल बाद अमेरिका के लिए यह खिताब जीता। प्रतियोगिता में भारत 37वें स्थान पर रहा।
व्हाइट हाउस ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के बधाई संदेश वाले पत्र की एक तस्वीर डालते हुए ट्विटर पर लिखा, ‘शाबाश अमेरिकी टीम। 1994 के बाद से अमेरिका ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में पहला स्थान प्राप्त किया।’ यांग लियू पाटिल की मां चीनी हैं और पिता भारतीय।
पाटिल और नारायणन के साथ अमेरिकी टीम के तीन दूसरे सदस्यों ने स्वर्ण पदक जीते जिनमें रायन अल्विस, एलेन लियू और डेविड स्टोनर शामिल हैं।
छठे सदस्य माइकल कूरल एक अंक से स्वर्ण पदक जीतने से वंचित रह गए और उन्हें रजत से संतोष करना पड़ा।
थाईलैंड के चांग मेई में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड (आईएमओ) में अमेरिका ने चीन को चार अंकों 185-181 से मात दी जबकि दक्षिण कोरिया तीसरे स्थान पर रहा। चीन ने सबसे ज्यादा 19 बार गणित ओलंपियाड जीता है।
पहला आईएमओ 1959 में रोमानिया में आयोजित हुआ था जिसमें सात देशों ने हिस्सा लिया था। वर्तमान में पांच महाद्वीपों के 100 से अधिक देश प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं।

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