Why India is Lagging in Mathematics

Why India is Lagging in Mathematics


    1.भारत गणित में फिसड्ड़ी क्यों हैं(Why India is Lagging in Mathematics)- 

    Why India is Lagging in Mathematics

    Why India is Lagging in Mathematics

    इस आर्टिकल में बताया गया है कि भारत गणित के क्षेत्र में कभी सिरमौर था, अब फिसड्डी क्यों होता जा रहा है  शून्य का आविष्कार आर्यभट्ट (प्रथम) ने किया  इसके अतिरिक्त ब्रह्मगुप्त, महावीराचार्य , श्रीधराचार्य, भास्कराचार्य द्वितीय, डाॅ. गणेशप्रसाद, श्री निवास रामानुज का गणित के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान रहा है। वर्तमान समय में भी भारतीय मूल के श्री अक्षय वेंकटेश जो इस समय अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं उनकों अन्तरराष्ट्रीय सम्मान फील्ड्स मेडल प्राप्त हुआ है। 2015 में भारतीय मूल के विद्यार्थी अमेरिका के श्याम नारायण (उम्र 17 साल) और 18 साल के यांग लियू पाटिल ने ओलम्पियाड जीतने वाली छ:सदस्यीय अमेरिका टीम के हिस्सा थे। अंतरराष्ट्रीय मैथ्स ओलम्पियाड-2019 में श्री प्रांजल श्रीवास्तव को पदक मिलना यह दर्शाता है कि भारत में मेधा और प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। फिर भी क्यों विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र गणित में फिसड्डी होता जा रहा है  इसके कई कारण हैं जिनका उल्लेख हम गत कई आर्टिकल्स में कर चुके हैं इसलिए इस आर्टिकल को पढ़ने से पूर्व उन आर्टिकल्स को भी पढ़ना चाहिए। नीचे उनके लिंक दिए गए हैं इन लिंक पर जाकर आप उन आर्टिकल्स को पढ़ सकते हैं ।
    (1.)Fields Medal Which is Nobel of Mathematics Given to Akshay Venkatesh (Born in India)
    (2.)Pranjal Shrivastava , A Student of CBSE Became the Youngest Winner to Win a Gold Medal in the International Maths Olympiad
    यह भारत के लिए गौरव की बात है कि अन्तरराष्ट्रीय नोबल पुरस्कार के समान फील्ड्स पुरस्कार व ओलम्पियाड भारतीय को मिला है। हमारे देश के बुद्धिजीवियों का ध्यान ऐसे समय ही आकर्षित होता है तथा बाद में वही पुराना ढर्रा चालू हो जाता है। शून्य के आविष्कारक देश के लिए यह शुभ संकेत नहीं है क्योंकि भारतीय विद्यार्थियों में गणित की रुचि कम हो रही है जिसमें बदलाव की आवश्यकता है। यह हम नहीं कर रहे हैं बल्कि छ:वर्ष पूर्व टेस्ट में भाग लेने वाले 73 देशों की सूची बनाई गई थी जिसमें भारत के विद्यार्थी 71 वें स्थान पर आए थे। भारतीय विद्यार्थी चीनी बच्चों से जो शीर्ष पर थे 200 अंक पीछे थे। यह संकेत गणित को लेकर देश में बरती जा रही उपेक्षाओं को दर्शाता है

    2.भारत में गणित की वर्तमान स्थिति(Current state of mathematics in India)-

    प्रश्न यह उठता है कि देश में इस प्रकार की मेधा व प्रतिभाएं मौजूद हैं तो ऐसी प्रतिभाएं युवाओं में गणित के प्रति आकर्षण व लगाव पैदा कर पाती हैं या नहीं। यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि गणित का क्षेत्र बढ़ता जा रहा  विज्ञान, कम्प्यूटर साइंस व टैक्नोलोजी में गणित का दायरा बढ़ता जा रहा । वस्तुतः ज्यों-ज्यों तकनीकी तथा मोबाइल का प्रयोग बढ़ता जा रहा, युवावर्ग साधारण जोड़, गुणा, भाग, बाकी भी कैलकुलेटर, मोबाइल फोन व कम्प्यूटर से करते हैं। ऐसी स्थिति में बालकों की बेसिक गणित ही कमजोर रह जाती है इसलिए भारतीय बालक गणित में पिछड़ते जा रहे हैं ।इससे संबंधित तथ्य जाने-माने अंतरराष्ट्रीय टेस्ट पीसा यानी प्रोग्राम फाॅर इंटरनेशनल स्टूडेंट असेसमेंट में भारतीय युवाओं की रैंकिंग से पता चलता है ।

    3.गणित की अहमियत(Importance of Mathematics)-

    यह सर्वविदित है कि गणित के बिना साइंस ही नहीं कम्प्यूटर या फाइनेंस कोई भी क्षेत्र आगे नहीं बढ़ सकता है। इसलिए इस विषय के प्रति विद्यार्थियों की रुचि जाग्रत करने की आवश्यकता है। इसके लिए छोटी उम्र से ही बच्चों की खेल-खेल व संगीत के माध्यम से गणित को सीखाकर रूचि जाग्रत की जा सकती है। खिलौनों के माध्यम से भी गणित को पढ़ाने की आवश्यकता है । दरअसल गणित शिक्षक बच्चों की गणितीय प्रतिभा को पहचानकर उसको निखारने का प्रयास नहीं करते हैं । इसलिए ऐसे गणित शिक्षकों का ही चयन करना चाहिए जो शिक्षा के क्षेत्र में दिलचस्पी रखते हों। जो शिक्षक मजबूरीवश शिक्षा का क्षेत्र अपनाते हैं वे रूचिपूर्वक बालकों को गणित नहीं पढ़ाते हैं, केवल खानापूर्ति करते हैं। अधिकांश प्रतिभाशाली युवाओं का रूझान आईएएस, आईएफएस, आरएएस जैसी प्रतिष्ठित एवं ग्लैमरस सेवाओं की तरफ होता है । उन सेवाओं में चयन न होने पर वे शिक्षा का क्षेत्र मजबूरीवश चुनते हैं। आईएएस , आईएफएस जैसी केन्द्रीय सेवाओं में उच्च वेतनमान के साथ प्रतिष्ठा व अधिकार मिलते हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में नहीं मिलते हैं। इसलिए युवाओं का आकर्षण उन सेवाओं में ही जाने का होता है ।ऐसी स्थिति में जो बालक सैकण्डरी स्तर तक पहुँचते हैं तो उन विद्यार्थियों की रुचि गणित में नहीं रहती है और वे जैसे-तैसे गणित को उत्तीर्ण करके आगे ऐच्छिक विषय के रूप में गणित को पसन्द नहीं करते हैं । इसलिए अध्यापकों को अपना तौर-तरीका बदलना होगा। अव्वल तो यदि उनका शिक्षा के क्षेत्र में रुझान ही न हो तो इसे वे अपनी वृत्ति के रूप में न अपनाएं और यदि अपना ही लिया तो पूर्ण मनोयोग से बालकों को गणित शिक्षा की नींव मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए

    4.विश्व स्तर पर गणित की स्थिति(State of Maths Globally)-

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    गणित का हर क्षेत्र में दायरा बढ़ने के कारण अमेरिका जैसे विकसित देशों में गणितज्ञों की मांग लगातार बढ़ती जा रही है  । इसलिए अमेरिका जैसे विकसित देश हर क्षेत्र में अग्रणी है अध्यात्म को छोड़कर। आज हर सोशल नेटवर्किंग साइट्स जैसे फेसबुक, ट्विटर के संचालन में गणित के गूढ़ नियम काम कर रहे हैं। इन विकसित देशों में गणितज्ञों की मांग की पूर्ति हमारे भारत जैसे देशों से हो रही है, यह हमारे लिए विचारणीय बात है। भारत के शिक्षाशास्त्रीयों की नजर में यह बात है कि भारत में गणित के प्रति रूझान कम होता जा रहा है इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है । यहां पर शिक्षक व विद्यार्थी का अनुपात इस प्रकार का है कि शिक्षक , विद्यार्थियों की व्यक्तिगत गणित की समस्याओं को हल ही नहीं कर पा रहे हैं । परिवार , समाज, एजुकेशन सिस्टम व सरकारों को यह स्थिति विदित हैं लेकिन सब आंख मूंदकर बैठे हुए हैं। यदि भारत को विकसित देशों की श्रेणी में देखना चाहते हैं तो हमें इस व्यवस्था को बदलना ही होगा। तकनीकी, आर्थिक तथा वैज्ञानिक खोजों में अग्रणी होने पर ही कोई देशों की श्रेणी में खड़ा हो सकता है और तकनीकी, आर्थिक तथा विज्ञान का मूल आधार गणित ही है। ऐसी बात नहीं है कि भारत में गणित की नींव पुरानी न हो । गणित की नींव आर्यभट्ट तथा ब्रह्मगुप्त जैसे गणितज्ञों के समय से डाली हुई है जो कि बहुत पुरानी है। अमेरिका में गणितज्ञों का वेतनमान 2013 में न्यूनतम एक लाख डाॅलर रहा है जिसमें 2022 तक 23 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है। इससे जाहिर है कि अमेरिका में गणित तथा गणितज्ञों का कैरियर व प्रतिष्ठा कितनी है ।

    5.निष्कर्ष(Conclusion) -

    हम बार-बार गणित के प्रति रुचि जाग्रत करने के टिप्स, गणित में असफल होने के कारणों पर लगातार आर्टिकल लिख रहे हैं। यदि उन पर अमल किया जाए तो कोई कारण नहीं होगा कि आनेवाले समय में भारत की स्थिति सुदृढ़ व मजबूत न हो । गणित विज्ञान की आत्मा है । गणित का इतना महत्त्व समझते हुए हम सबको मिलकर गणित के प्रति हो रहे भेदभाव व गिरावट को रोकना होगा और यह कार्य कोई ज्यादा मुश्किल व असम्भव नहीं है। संकल्प शक्ति, कड़ी मेहनत के बल पर यह सब अर्जित किया जा सकता है । 
    यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। 

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