Mathematics, a Subject That Teaches Life, Teaches to be Logical
October 27, 2019
By
satyam coaching centre
Math Education,
Mathematics News,
Trending Math.
0
Comments
Mathematics, a Subject That Teaches Life, Teaches to be Logical: Anand Kumar
1.मैथेमैटिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट जो जीवन की सीख देता है, लॉजिकल होना सिखाता है: आनंद कुमार का परिचय (Introduction to Mathematics, a subject that teaches life, teaches to be logical: Anand Kumar)-
Hrithik Roshan with Anand kumar super 30 |
अमीर घरानों के बच्चों को बहुत ही प्रोफेशनल कोचिंग सेंटर में प्रशिक्षण उपलब्ध हो जाता है जिससे वे आईआईटी की अधिकांश सीटों पर कब्जा कर लेते हैं। परन्तु विद्यार्थियों को अच्छे कोचिंग सेंटर उपलब्ध नहीं हो पाते हैं और स्कूली शिक्षा के आधार पर इस कड़ी प्रतिस्पर्धा के युग में चयन होना बहुत मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में श्री आनन्द ने देश में एक मिशाल और कीर्तिमान स्थापित किया है कि निर्धन बालकों में भी प्रतिभा होती है यदि उनको सही दिशा मिले और उनकी प्रतिभा को निखारा व तराशा जाए तो वे भी आईआईटी जैसे उच्च प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में अपना स्थान बना सकते हैं।
2.गणित में प्रखर बुद्धि बालकों के लिए उपचारात्मक कार्य (Remedial work for children with intelligent intelligence in mathematics)-
प्रखर बुद्धि बालकों का निर्धनता व अमीरी से कोई सम्बन्ध नहीं है। प्रखर बुद्धि बालकों को कक्षा में पर्याप्त मात्रा में ज्ञान नहीं मिलने से वे बैचेन रहते हैं तथा उनका मन इधर-उधर भटकने लगता है तो वे असामाजिक कार्यों में भाग लेने लगते हैं तथा कक्षा-कार्य उनको फीका लगने लगता है। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों की मानसिक एवं शारीरिक शक्ति के सदुपयोग के लिए प्रभावी एवं आकर्षक अध्यापन विधियाँ आवश्यक है जिससे कि उनको उपयोगी कार्यों में व्यस्त रखा जा सके। गणित के अध्यापकों को मेधावी विद्यार्थियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा उन्हें पाठ्यपुस्तकों के बाहर की समस्याओं को भी हल करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों की सहायता कक्षा के कमजोर विद्यार्थियों को मदद करने में ली जा सकती है। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों के समक्ष कक्षा में समस्याओं को चुनौतियों के रूप में प्रस्तुत करने से वे अपनी क्षमता का अधिकाधिक प्रयोग करते हैं तथा क्रियाशील बने रहते हैं। सुनियोजित कार्यक्रम के द्वारा उन्हें व्यवस्थित ढंग से कार्यरत रखा जा सकता है। प्रखर बुद्धि विद्यार्थियों को गणित का इतिहास, गणित का विकास, गणित का सामाजिक महत्त्व, गणित का विज्ञान में महत्त्व आदि विषयों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा उन्हें इनसे सम्बन्धित साहित्य उपलब्ध कराना चाहिए। प्रखर बुद्धि विद्यार्थी गणित की खोजों में अत्यधिक रुचि लेते हैं तथा उन्हें गणित की नवीन बातों को सीखने और जानने के पर्याप्त अवसर देने चाहिए।3.निष्कर्ष (conclusion)-
प्रखर बुद्धि बालकों को पहचानकर उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए श्री आनन्द कुमार ने समाज व देश के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया है। उन्होंने एक मिसाल पेश की है कि यदि मनुष्य में दृढ़ संकल्प, समर्पण और जुनून हो तो कोई भी कार्य असम्भव नहीं है। श्री आनन्द कुमार ने एक प्रशंसनीय कार्य किया है इसके लिए उनको साधुवाद। उन्होंने गणित की प्रतिभाओं को निखारने के लिए जो संघर्ष किया है तथा उसमें सफलता अर्जित की है उसी का परिणाम है कि उनके जीवन पर श्री ऋतिक रोशन अभिनीत फिल्म सुपर-30 का निर्माण हुआ है। फिल्म को अच्छा रिस्पांस भी मिला है। इससे अनेक लोगों को प्रेरणा और प्रोत्साहन मिलेगा।गणित का नाम सुनते ही बहुत से विद्यार्थियों को डर लगने लगता है तथा उनको डर लगने लगता है तथा मैथ फोबिया हो जाता है। दरअसल गणित पढ़ाने के लिए योग्य अध्यापकों की आवश्यकता है। यदि शिक्षा संस्थानों में योग्य अध्यापकों का चयन किया जाए तो कोई कारण नहीं है कि गणित प्रतिभाएं खिलने से पहले ही मुरझा जाए। परन्तु होता ऐसा है कि हर जगह कुकुरमुत्ते की तरह प्राइवेट स्कूल खुल गए हैं जिनमें योग्य गणित शिक्षकों की कमी है। उनका उद्देश्य व्यावसायिक है। हालांकि कुछ शिक्षा-संस्थानों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है परन्तु उनकी फीस इतनी है कि सामान्य व्यक्ति उसको अफोर्ड नहीं कर सकता है। सरकारी स्कूलों की स्थिति ऐसी है कि एक बार अध्यापक के पद पर चयन हो जाने के बाद उनकी नौकरी पक्की हो जाती है। उनको नौकरी से निकाले जाने का न तो डर है और न ही उन पर कोई जिम्मेदारी है इसलिए विद्यार्थियों की प्रतिभा को निखारने में वे कोई दिलचस्पी नहीं लेते हैं। ऐसी स्थिति में श्री आनन्द कुमार ने जो बीड़ा उठाया है उसके लिए उनको प्रोत्साहन, प्रेरणा तथा यथायोग्य सहयोग दिया जाना चाहिए।
यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
2.मैथेमैटिक्स एक ऐसा सब्जेक्ट जो जीवन की सीख देता है, लॉजिकल होना सिखाता है: आनंद कुमार(Mathematics teaches us how to be logical in life, says Super 30's real hero Anand Kumar)-
Hrithik Roshan with Anand kumar super 30 |
बोले शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए सरकारों से ज्यादा समाजिक स्तर पर काम करने की जरूरत, हर शिक्षक को ईमानदारी से काम करने की जरूरत है।
Aug 02, 2019[दैनिक भास्कर से साभार ]
चंडीगढ़ (आरती एम अग्निहोत्री). हाल ही में रिलीज हुई ऋतिक रोशन की फिल्म सुपर 30 चर्चा में है। बॉक्स ऑफिस पर अच्छा काम कर रही है। अधिक-से-अधिक बच्चे इस फिल्म को देखें। इसलिए 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इसे टैक्सफ्री कर दिया है। यह फिल्म बिहार के आनंद कुमार के जीवन पर बनी है। आनंद सुपर 30 संस्थान के संस्थपाक हैं जो अंडरप्रिविलिज बच्चों को साल 2002 से मुफ्त में शिक्षा दे रहा है।
सुपर 30 के अंतर्गत आनंद ने 510 बच्चों को कोचिंग दी, जिसमें से 440 आईआईटी तक पहुंचे। इस फिल्म में ऋतिक रोशन ने काम किया है। आनंद के रूप में ढलने के लिए ऋतिक ने इनका 150 घंटे का वीडियो बनाया जिसे उन्होंने दिन रात देखा। एक साल तक बिहार की भाषा को सीखा, अपने मसल कम किए। इसके बाद वो इस किरदार में फिट हुए। शुक्रवार को आनंद पीयू पहुंचे। यहीं उनसे बातचीत हुई।
सवाल: फिल्म के बाद जीवन में क्या बदलाव आए?
जवाब: इसमें कोई दो राय नहीं कि पेरेंट्स वीकेंड्स पर बच्चों को यह फिल्म दिखा रहे हैं ताकि उनमें पढ़ाई करने का जज्बा बढ़े। इसके अलावा भी लोगों की मुझसे उम्मीदें बढ़ गई हैं। 5वीं या 6वीं में पढ़ने वाले बच्चों के पेरेंट्स भी आकर कहने लगे हैं कि हमारे बच्चे को अपने पास रख लो। किसी के पति पर कोई अत्याचार करे तो पत्नी मुझसे मदद की उम्मीद करने लगी है। अमीर लोग अपने बच्चों को पढ़ाने की बात करते हैं। मैं मना करता हूं तो कहते हैं कि हमने अमीर होकर क्या गलती कर दी?
सवाल: फिल्म से मिली पॉपुलेरिटी से खुद को क्या फायदा लेना चाहोगे? क्या राजनीति में आने का विचार है?
जवाब: राजनीति के लिए लंबा अनुभव चाहिए और मेरा अनुभव पढ़ाने का है। मैं अब चाहूंगा कि ज्यादा-से-ज्यादा बच्चों को फायदा दे सकूं। फिल्म का चाव तो अगस्त तक रहेगा। अब 6वीं से 12वीं क्लास तक का एक बड़ा स्कूल खोलना चाहता हूं। जिसमें देशभर से डेडिकेटेड बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा होगा। जरूरी नहीं ये बच्चे आईआईटी करना चाहते हों। ये बच्चे डॉक्टर, टीचर, पत्रकार जो भी बनना चाहते होंगे, उसमें इन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी।
सवाल: फिल्म के बाद कई प्राइवेट कंपनियों ने आपको फंड्स की मदद के लिए कहा पर आपने इंकार कर दिया? क्यों? कहां से फंड्स मैनेज करते हैं?
जवाब: 10 साल पहले मुझे देश के तत्कालीन मंत्री मनमोहन सिंह ने मदद देने की बात की। मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मदद के लिए ऑफर किया। बिहार के तत्कालीन सीएम नितीश कुमार और मुकेश अंबानी ने भी मदद की बात की थी। पर मैंने मना कर दिया क्योंकि मैं सेल्फ ससटेनेबल होना चाहता हूं। कोई एक बार फंड देने के बाद दोबारा फंड न दे तो फंड्स के लिए उसे कब तक फॉलो करूंगा? मेरी पत्नी आईआईटियन हैं, मैथेमेटिशियन हैं। हम ट्यूशंस करके जो कमाते हैं उन्हीं से परिवार और अपने स्टूडेंट्स का खर्च चलाता हूं।
सवाल: जिस स्तर का काम आप कर रहे हैं, क्या हमारी सरकारें इस स्तर का काम नहीं कर सकतीं?
जवाब: देश के सरकारी स्कूलों के हालात अच्चे नहीं हैं। हमारे देश की शिक्षा दो स्तर पर काम कर रही है। एक वो जहां अमीरों के बच्चे 5 स्टार होटल्स जैसे स्कूल्स में पढ़ते हैं। वहीं गरीब बच्चों के लिए स्कूलों में कंप्यूटर तक नहीं हैं। मुझे लगता है कि सरकारों को अपने सिस्टम को दुरुस्त करने की जरूरत है। शिक्षकों के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है। इससे भी ज्यादा मुझे लगता है कि ये काम सरकार से ज्यादा समाजिक स्तर पर होना चाहिए। शिक्षक अपना काम ईमानदारी से करें। दूसरा हर पेरेंट्स चाहते हैं कि मेरे बच्चों को बेस्ट टीचर मिलें पर कोई नहीं चाहता कि उनका बच्चा टीचर बने। हमें अपनी सोच बदलने की जरूरत है। इस फिल्म के बाद कई पेरेंट्स ने ट्वीट करके कहा है कि हम अपने बच्चे को टीचर बनाएंगे।
सवाल: मैथेमैटिक्स ही आपका फेवरिट सब्जेक्ट क्यों? इसे लेकर खुद पर कितना काम किया? मैथेमैटिक्स में क्या जरूरी है?
जवाब: इस विषय में सबसे जरूरी है कैसे और क्यों? इसी सिद्धांत पर हमारा जीवन भी चलता है। मैंने मैथेमैटिक्स को लेकर, उसके सॉल्युशंस निकालने को लेकर काफी काम किया है। यह सब्जेक्ट मेरा फेवरिट इसलिए है क्योंकि यह हमें सभी समस्याओं को अनलॉक करना सिखाता है। हम लॉजिकल हो जाते हैं, हममें पेशेंस आ जाती है। जज्बा, जुनून, संघर्ष सब सिखाता है। समाज में कैसे आगे बढ़ना है, कैसे लड़ना है वो सब लॉजिक सिखाता है।
सवाल: आप अलग-अलग इंस्टीट्यूशंस में लेक्चर के लिए जाते हैं। स्टूडेंट्स के क्या कॉमन सवाल होते हैं और उनका जवाब क्या होता है?
जवाब: अलग-अलग स्तर पर अलग सवाल होते हैं। 12वीं क्लास या उससे कम में पढ़ने वाले बच्चे हमेशा पूछते हैं कि पढ़ाई का बोझ कम कैसे करें? स्कूल से आते हैं कोचिंग पर चले जाते हैं। खुद पढ़ने का वक्त ही नहीं होता। इसपर मेरा जवाब सही होता है कि अगर आप डेप्थ से पढ़ोगे और पढा़ई को प्रैक्टिकल लाइफ से जोड़ोगे तो आपको कोचिंग जाने की जरूरत नहीं। वहीं आईआईटी के स्टूडेंट्स स्टार्टअप्स को लेकर चैलेंजेस और उन्हें कैसे फेस करें इस पर सवाल करते हैं। एमआईटी और यूबीसी जैसे संस्थानों में मेरी टीचिंग टेक्नीक्स पर सवाल किए जाते हैं।
No. | Social Media | Url |
---|---|---|
1. | click here | |
2. | you tube | click here |
3. | click here | |
4. | click here |
जवाब: मेरे पढ़ाए बच्चों को उन स्टूडेंट्स के साथ कोपअप करना होता है जो 5 स्टार होटल जैसे स्कूलों में पढ़कर आते हैं। पर मेरे पास कोचिंग करते-करते उनका कॉन्फिडेंस लेवल काफी बढा दिया जाता है। इसलिए कोपअप करने में दिक्कत नहीं आती।
0 Comments: