Students of Mathematics Will be Able to Study Through Digital Board

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1.साइंस और गणित के विद्यार्थी अब डिजिटल बोर्ड के माध्यम से कर सकेंगे पढ़ाई(Students of science and mathematics will now be able to study through digital board)-


    आज बढ़ते हुए वैज्ञानिक एवं तकनीकी प्रभाव ने मानव के दृष्टिकोण को बिल्कुल परिवर्तित कर दिया है। समाज ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान व तकनीकी का प्रयोग प्रारम्भ कर दिया है। इस बढ़ते हुए तकनीकी का ही प्रभाव है शिक्षा में भी तकनीकी का प्रयोग हो गया है जिसे शैक्षिक तकनीकी कहा जाता है।
    शिक्षा के क्षेत्र में आज आधुनिकतम शिक्षण मशीनों, रेडियो, दूरदर्शन, टेपरिकार्डर, ग्रामोफोन, कम्प्यूटर, प्रयोगशाला, उपग्रहों द्वारा शिक्षण आदि के प्रयोग ने शिक्षा प्रक्रिया का मशीनीकरण कर दिया है। इनके प्रयोग से एक प्रभावशाली शिक्षक विद्यार्थियों के बड़े से बड़े समूह को अपने ज्ञान और कौशल से लाभान्वित करा सकता है। इस प्रकार शैक्षिक तकनीकी एक विज्ञान है जिसके आधार पर शिक्षा के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तकनीकी विधियों का निर्माण किया जाता है। शैक्षिक तकनीकी शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है शिक्षा तथा तकनीकी। शैक्षिक तकनीकी को समझने से पूर्व शिक्षा और तकनीकी को अलग-अलग समझना आवश्यक है।

    2.शिक्षा का स्वरूप(Nature of Education) -

    शिक्षा मानव जीवन को सभ्य और सुसंस्कृत बनाती है। शिक्षा मानव जीवन का आभूषण है, शिक्षा ही गति है, शिक्षा ही विकास है, शिक्षा ही जीवन शक्ति है। यह समाज के विभिन्न वर्गों के लिए, विभिन्न आयु के लोगों के लिए एक विशेष सहारा प्रदान करती है। शिक्षा युवकों के लिए एक शानदार सन्तुलन है, वृद्धों के लिए बड़ी संतोषप्रद है, निर्धनों का धन है और धनवानों का आभूषण है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है - आगे बढ़ाना अथवा विकास करना। इस प्रकार शिक्षा का अर्थ है बालक की जन्मजात शक्तियों को अन्दर से बाहर की ओर विकसित करना। शिक्षा चेतन अथवा अचेतन रूप से विद्यार्थी की व्यक्तिगत रूचियों, आदतों, क्षमताओं, योग्यताओं तथा सामाजिक आदर्शों एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार भौतिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के अनुकूल बना लेता है।

    3.तकनीकी का अर्थ(Meaning of Technology)-

    तकनीकी विज्ञान का कला में प्रयोग है। इस प्रकार तकनीकी का आधार विज्ञान है तथा इसका कार्य प्रयोगात्मक कला का विकास करना है। विज्ञान उस विशिष्ट ज्ञान को कहते हैं जो किसी वस्तु का क्रमबद्ध ज्ञान इस प्रकार करवाता है जिसे मानव स्वयं परीक्षण तथा अनुभव द्वारा प्राप्त करता है। विज्ञान ने रचनात्मकता तथा निर्माण को जितना अधिक बढ़ावा दिया है, वह सब तकनीकी के माध्यम से ही सम्भव हुआ है। विज्ञान तथा तकनीकी एक दूसरे से सम्बद्ध है। विज्ञान हमें यह बताता है कि किसी वस्तु को क्यों जानना चाहिए तथा तकनीकी इस बात को स्पष्ट करती है कि उस वस्तु तथा सिद्धांत को कैसे जाना जाए? दूसरे शब्दों में विज्ञान सैद्धान्तिक पक्ष पर बल देता है जबकि तकनीकी व्यावहारिक पक्ष पर बल देती है। इसलिए विज्ञान के साथ तकनीकी ज्ञान देना अत्यन्त आवश्यक है।
    शैक्षिक तकनीकी ने शिक्षण की क्रियाओं का यान्त्रिकीकरण करना आरम्भ कर दिया है जैसे-जैसे वैज्ञानिक युग में मशीनों का आविष्कार हुआ है वैसे-वैसे उनका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जाने लगा है। इन मशीनों का शिक्षा में उपयोग मुख्यतः तीन रूपों में देखने को मिलता है -

    (1.)ज्ञान से संचित करना(Accumulate with knowledge)-

    वैज्ञानिक युग में छपाई मशीनों का आविष्कार हुआ, इससे पूर्व प्रत्येक विषय की सामग्री को संचित कर सुरक्षित रूप से रखना कठिन था। अधिकांश ज्ञान कंठस्थ ही करवाया जाता था परन्तु मशीनों के प्रयोग से ज्ञान को पुस्तक का रूप प्रदान किया गया तथा पुस्तकालयों में सुरक्षित रखा जाने लगाए। टेपरिकार्डर, वीडियो, फिल्मस के माध्यम से हावभाव सहित शिक्षक की भाषा शैली व विषयवस्तु को संचित किया जाने लगा जिसका उपयोग आवश्यकतानुसार किया जा सकता है।

    (2.)ज्ञान का प्रसार करना(Spread knowledge) -

    शिक्षण मशीनों, रेडियो, दूरदर्शन, पत्राचार-पाठ्यक्रमों के माध्यम से आज खुले विश्वविद्यालयों व विद्यालयों के सहयोग से जन-जन तक दूर-दराज के क्षेत्रों में भी प्रसार किया जा रहा है। शिक्षा तकनीकी ने भाषा प्रयोगशाला, कम्प्यूटर पर आधारित शिक्षण मशीनों के प्रयोग से सभी विद्यार्थियों को अपने ढंग से सीखने का अवसर प्रदान किया है।

    (3.)ज्ञान का विकास करना(Developing knowledge) -

    आधुनिक युग में वैज्ञानिक शोध कार्यों को अधिक महत्त्व दिया जा रहा है। शोध कार्यों में आँकड़ों का संकलन तथा उनका विश्लेषण करना मुख्य कार्य है। इसके लिए कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर तथा बिजली की मशीनों का प्रयोग किया जाता है। इसी प्रकार फोटोस्टेट की मशीनों के आविष्कार से शोधकर्ता को विभिन्न पुस्तकों से विषय एकत्रित करने में सुविधा होती है।

    4.डिजीटल बोर्ड द्वारा गणित शिक्षा(Mathematics Education by Digital Board)-

    अभी तक रेडियो, टेपरिकार्डर, ग्रामोफोन, टेलीविजन, प्रोजेक्टर, स्लाइड्स, कम्प्यूटर, बन्द सर्किट टेलीविजन, इलेक्ट्रॉनिक विडियो टेप आदि शिक्षण मशीनों का प्रयोग किया जाता रहा है। इनका अधिकाधिक उपयोग मुक्त विद्यालयों (Open Schools), मुक्त विश्वविद्यालयों (Open Universities), पत्राचार पाठ्यक्रमों (Correspondence Courses) के द्वारा तीव्रगति से किया जाता रहा है। परन्तु गणित शिक्षा के लिए अब डिजीटल बोर्ड का प्रयोग करके शिक्षण तकनीकी को नई दिशा दी जा रही है। दरअसल शिक्षा प्रगतिशील, शिक्षा के नवाचार एवं नवीन प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने पर ही आधुनिक युग की जरूरतों को पूरा कर सकती है। डिजिटल बोर्ड पर कम्प्यूटर के द्वारा शिक्षण दर्शाया जाएगा तथा इसके द्वारा एक बड़े समूह को गणित शिक्षण कराया जा सकता है। पाठ्यक्रम भी डिजिटल होगा जो विडियो व वाईस के स्वरूप का होगा। दरअसल शिक्षा का स्वरूप गतिशील तथा नवीनता लिए हुए होता है तो वह शिक्षा जीवन्त होती है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है। यह परिवर्तन केवल प्रकृति तक ही सीमित नहीं है परन्तु समाज में भी परिवर्तन हो रहा है। पुरानी मान्यताओं का स्थान नवीन मान्यताएं ले रही है। पुरातन विचार जा रहे हैं और नए-नए विचार व प्रयोग आ रहे हैं। पुराने मूल्यों के स्थान पर नए मूल्य ग्रहण किए जा रहे हैं। जल स्थिर रहेगा तो सड़ेगा ही। जल का प्रवाह जारी रहेगा अर्थात् पुराने जल का स्थान नया जल लेता रहेगा तो जल शुद्ध बना रहेगा। इसी प्रकार जो समाज स्थिर, यथावत स्थिति में बना रहना चाहता है, नवीन विचारों को ग्रहण नहीं करता, वह जीवित नहीं रह सकता है। नए-नए विचारों को ग्रहण करने से समाज को नया जीवन प्राप्त होता है। उसमें नयी स्फूर्ति आती है और वह सदा अग्रणी स्थान प्राप्त करता है।


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    5.प्रदेश के 10 जिलों के साइंस और गणित के विद्यार्थी अब डिजिटल बोर्ड के माध्यम से कर सकेंगे पढ़ाई का परिचय (Introduction to Students of science and mathematics will now be able to study through digital board)-

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    जींद. प्रदेश के 150 सरकारी स्कूलों के नौवीं से बारहवीं कक्षा के बच्चे अब डिजिटल तरीके से पढ़ेंगे। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा पहले फेज में प्रदेश के उन सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड लगवाए जाएंगे, जहां पर साइंस व गणित इंग्लिश मीडियम में पढ़ाया जा रहा है। इसका पाठ्यक्रम भी डिजिटल होगा। पूरा पाठ्यक्रम वीडियो व वाइस के जरिये डिजिटल बोर्ड पर चलेगा। इसमें आसानी से बच्चे देख सकेंगे।
    शिक्षा विभाग द्वारा डिजिटल बोर्ड लगाने के लिए एजेंसी को टेंडर जारी कर दिया है। जल्द ही इन 150 सरकारी स्कूलों में बोर्ड लगाने का काम पूरा होगा। डिजिटल बोर्ड से पढ़ाने के लिए विभाग द्वारा जरूरी पाठ्यक्रम भी तैयार किया जा रहे हैं। यह पाठ्यक्रम वीडियो के स्वरूप में होगा। इससे जिले के सरकारी स्कूलों के छात्रों को संबंधित विषयों को समझने में सहायता होगी। जींद जिले के भी 14 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें यह डिजिटल बोर्ड लगाए जाएंगे। यह डिजिटल बोर्ड सरकारी स्कूलों में कक्षा 9वीं से 12वीं कक्षा के साइंस व गणित के विद्यार्थियों के लिए लगाए जाएंगे।
    विभाग ने जारी किया टेंडर
    चयनित सरकारी स्कूलों में डिजिटल बोर्ड लगाने के लिए विभाग ने टेंडर जारी किया हुआ है। जींद जिले में 14 स्कूलों में यह बोर्ड लगेंगे जबकि पूरे प्रदेश के 10 जिलों के 150 सरकारी स्कूलों में यह लगाए जाएंगे। इससे साइंस व गणित के विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा।
    -रणधीर लोहान, जिला विज्ञान विशेषज्ञ, जींद
    जींद जिले के इन स्कूलों में लगाए जाएंगे डिजिटल बोर्ड
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल निडानी
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल दालमवाला
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल डिफेंस काॅलोनी जींद
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल मालवी
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल बडऩपुर
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल जींद
    राजकीय हाई स्कूल बाल आश्रम
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल नरवाना
    राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल नरवाना
    राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल उचाना मंडी
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल जुलाना
    राजकीय कन्या सीनियर सेकेंडरी स्कूल सफीदों
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल पिल्लूखेड़ा
    राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल सफीदों

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