If you are afraid of mathematics then follow this formula
January 17, 2020
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If you are afraid of mathematics, then follow this formula, learn the tricks of mathematics in a pinch
1.मैथमैटिक्स से डर लगता है तो ये फॉर्मूला अपनाएं, गणित के गुर चुटकियों में सीखें(If you are afraid of mathematics, then follow this formula, learn the tricks of mathematics in a pinch)
If you are afraid of mathematics then follow this formula |
समय के साथ कदमताल मिलाते हुए गणित में भी नवीन अनुसंधान,रिसर्च तथा तरीके खोजे जा रहे हैं जिससे गणित को सीखना आसान हो।हर व्यक्ति की प्रकृति भिन्न-2 होती है।इस दृष्टिकोण के कारण गणित को सीखने के नए-नए तरीके ईजाद किए जा रहे हैं।गणित में इस प्रकार की विविधता से गणित का सौंदर्य बढ़ता है और गणित को सीखने में रुचि व जिज्ञासा जागृत होती है।इस आर्टिकल में हम आपका परिचय एक ऐसी संस्था से करा रहे हैं जिसने गणित का भय बालकों में दूर करने के लिए थिएटर अर्थात नाटक का प्रयोग किया गया है।
इससे पूर्व गणित में रुचि व जिज्ञासा जागृत करने के लिए कविता,पहेलियों,मॉडल्स,संगीत के बारे में पढ़ चुके हैं।किसी बालक की कविता में रुचि होती है तो वह गणित को कविता के माध्यम से सीख सकता है।किसी बालक की पहेलियां में रुचि होती है तो उसको पहेलियों के माध्यम से गणित को सिखाया जा सकता है।इस प्रकार की विविधता से गणित का सौंदर्य निखरता है।बच्चों को जब हम इनके माध्यम से पढ़ाते हैं तो उनकी रुचि बढ़ती है।किसी भी विषय में महारत हासिल करने के लिए आत्म-विश्वास, रुचि व जिज्ञासा सबसे प्रथम फैक्टर होता है।थिएटर एजुकेशन का यह नया फाॅर्मूला चंडीगढ़ में लेकर आई है जिसका परिचय है" चिल्ड्रन थिएटर अकादमी आर्ट फितूर",इसकी निदेशक है मालविका भास्कर। मालविका भास्कर को जब लगा कि बच्चे गणित विषय से घबराते हैं और दूर भागते हैं तो उनके दिमाग में यह आइडिया आया कि क्यों न थिएटर के माध्यम से बच्चों को गणित विषय प्रस्तुत किया जाए।इसके दो फायदे हैं बच्चा थिएटर में तो प्रवीण होता ही है साथ में गणित भी सीखता है।बच्चों को बच्चे के तरीके से सिखाया जाए,बच्चों के तरीके से सिखाने का तात्पर्य है कि बच्चों की स्वाभाविक रुचि खेलकूद ,संगीत, पहेलियों, मॉडल्स,कविता,थिएटर इत्यादि में होती है।इसलिए इनके जरिए सिखाया जाए तो बालक गणित में जल्दी से पकड़ कर लेते हैं।गणित से उनका धीरे-धीरे भय खत्म होता जाता है।एक बार भय खत्म हो जाए और गणित में नींव लग जाए तो आगे की कक्षाओं में बालकों की गणित में रुचि बढ़ती जाती है।परंतु जब नींव ही कमजोर हो तो आगे की कक्षाओं में ज्यादा कुछ सुधार नहीं किया जा सकता है।नींव जितनी मजबूत होती है भवन उतना ही मजबूत और दीर्घजीवी होता है।इसी प्रकार बच्चों की गणित में नींव पक्की हो तो फिर आगे की कक्षाओं में ऐसा कोई कारण नहीं है कि बच्चा गणित में कमजोर रह जाए।बच्चों की परवरिश में शुरू में ज्यादा मेहनत करने तथा ध्यान देने की जरूरत होती है।यदि बच्चों को शुरू में बिल्कुल स्वच्छन्द छोड़ दिया जाए तो उनमें गणित की नींव कमजोर रह जाती है।इसलिए गणित में बच्चों को शुरू से ही प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
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अक्सर देखने में आता है कि माता-पिता तथा अभिभावक बच्चों को शुरू से ध्यान नहीं देते हैं तथा बड़ा हो जाता है तब उसकी पढ़ाई व अध्ययन के प्रति चिंतित रहते हैं।शुरू में बालक समझकर उसकी कमजोरियों पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं।हम यह सोचते हैं कि अभी तो बच्चा है बाद में सीख जाएगा।हमारी यह लापरवाही अत्यंत घातक होती है।
मालविका भास्कर ने थिएटर के माध्यम से यह उदाहरण प्रस्तुत किया है कि बालकों को इस विधि से भी गणित में कमजोरी दूर की जा सकती है,उनको पढ़ाया जा सकता है।वे अंकगणित की किसी भी समस्या पर ऑन द स्पॉट लाइव करैक्टर स्टोरी बनाती है जिससे विद्यार्थी खुद उसमें शामिल हो जाता है और आसानी से हल निकाल लेता है।गणित जैसे विषय को सरल करने के भिन्न-भिन्न तरीके विभिन्न व्यक्तियों ने अपने अपने तरीके से सरल करने के प्रयास किए हैं।आप यदि इनका इस्तेमाल ही नहीं करेंगे तो वह तरीके आपके लिए किस काम के हैं? फिर आप यह शिकायत करते फिरे कि क्या करें हमारे बच्चे को गणित विषय कठिन लगता है उस की कठिनाई को कैसे दूर करें?
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2.मैथमैटिक्स से डर लगता है तो ये फॉर्मूला अपनाएं, गणित के गुर चुटकियों में सीखें(If you are afraid of mathematics, then follow this formula, learn the tricks of mathematics in a pinch)-
Fri, 26 May 2017Malvika Bhaskar |
आर्ट फितूर की निदेशक मालविका भास्कर ने बताया कि देखा यह जाता है कि ज्यादातर बच्चे गणित के साथ ही कई अन्य विषय से घबराते हैं। इन विषयों को ही नाटक के रूप में तैयार करके जब बच्चों को सिखाया जाता है तो बच्चे अपने विषय को समझते ही हैं साथ ही थिएटर में भी माहिर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि आमतौर पर देखा जाता है कि अंकगणित के सवालों में बच्चे उलझ जाते हैं।
ऐसे में अंकगणित के सवाल की आन द स्पाट लाइव कैरेक्टर स्टोरी बना दिया जाता है जिससे स्टूडेंट खुद उसमें शामिल हो जाता है और आसानी से हल निकाल लेता है। मालविका भास्कर ने बताया कि लिविंग और नान लिविंग, सोलर सिस्टम और सामाजिक विज्ञान के लिंगानुपात, स्वच्छता, माइग्रेशन जैसे चैप्टरों पर उन्होंने काम किया और उसके अच्छे रिजल्ट सामने आए। मालविका भास्कर के साथ ही नवप्रीत नेशनल स्कूल आफ ड्रामा के पास आउट हैं।
पांच जून से लगेगी वर्कशॉप
मालविका भास्कर ने बताया श्री गुरु ग्रंथ साहब भवन सेक्टर-28 ए में पांच जून से वर्कशॉप का आयोजन किया जाएगा। इस वर्कशॉप के दौरान बच्चों को क्रिएटिविटी, इमेजिनेशन, एक्टिंग के साथ ही एजूकेशन फ्रेंडली सेशन होंगे। इसमें संस्कृत थिएटर के युवा और इमर्जिंग थिएटर डायरेक्टर मनोज मिश्रा और एनएसडी पासआउट मंदीप सिंह विजिटिंग फैकल्टी होंगे।
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