Emma Haruka breaks world record in 'pie' calculation
December 12, 2019
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Google employee Emma Haruka breaks world record in 'pie' calculation
1.'पाई' की गणना में गूगल कर्मचारी एमा हारुका ने तोड़ा विश्व रिकॉर्ड का परिचय (Introduction to Google employee Emma Haruka breaks world record in 'pie' calculation)-
Emma Haruka breaks world record in 'pie' calculation |
पाई की गणना करने में एम हारुका जो कि गूगल कर्मचारी है, ने विश्व रिकॉर्ड बनाया है। एक तरफ बहुत से लोगों को गणित के नाम से कंपकंपी छूट जाती है दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कि गणित की समस्याओं को हल करना एक खेल की तरह समझते हैं। ऐसा आखिर क्यों होता हैं इसे जरा समझें।
जब हम किसी विषय को मन से जोड़कर पढ़ते हैं तो एक समय बाद हमें बार-बार वही विषय पढ़ते-पढ़ते बोरियत होने लगती है। मन से जब हम किसी विषय को पढ़ते हैं तो मन की एक आदत होती है कि कोई चीज नई-नई होती है तो मन उसमें रस लेने लगता है लेकिन एक सीमा के बाद मन उकता जाता है, मन भर जाता है। जैसे मन कलाकन्द खाने में रस लेने लगे तो हम बार-बार ओर कलाकन्द की माँग करते जाएंगे और खाते जाएंगे एक सीमा बाद हमारा मन भर जाएगा और वही कलाकन्द हमें अच्छा नहीं लगेगा। प्रश्न उठता है कि हम कोई भी कार्य तभी तो कर सकेंगे जब हमारे साथ मन होगा, मन के बिना हम कोई कार्य कर ही नहीं सकेंगे परन्तु हम आगे बताएंगे कि किस प्रकार मन के न होने की अनुभूति करेंगे और कैसे मन को कोई कार्य करने के लिए तैयार करेंगे।यदि आर्टिकल पसन्द आए तो अपने मित्रों के साथ शेयर और लाईक करें जिससे वे भी लाभ उठाए ।आपकी कोई समस्या हो या कोई सुझाव देना चाहते हैं तो कमेंट करके बताएं। इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
Also Read This Article-K Sivan became chairman of ISRO on the basis of maths(1.)मन की सहायता के बिना कोई भी ज्ञानेन्द्रियाँ काम नहीं कर सकती है। मन के कार्यों के उचित-अनुचित होने के विषय में निर्णय लेने का काम बुद्धि का है। हमें अपने आप का बोध होना अर्थात् मैं हूँ इसका बोध होना अहंकार है। अहंकार का सम्बन्ध चित्त और जीवात्मा से रहता है। बुद्धि का सहायक मन है और चित्त के सभी कार्यों में सहायक अहंकार है। आसक्ति, ममत्व, स्वार्थ, राग, द्वेष, काम, क्रोध, अभिमान, लोभ इत्यादि सब अहंकार के कारण ही उत्पन्न होते हैं और बढ़ते जाते हैं। अहंकार, बुद्धि और विवेक को नष्ट करने वाला होता है। हमारी स्मृतियों का भण्डार और संस्कारों का आधार यह चित्त ही है। हमारी आदतो को प्रेरणा देना और सक्रिय करना चित्त का ही काम है। इस चित्त के व्यवहार को नियन्त्रित रखने से ही मन एकाग्र और संयमित रहता है। चित्तवृत्ति को रोकना और अ-मन अवस्था को उपलब्ध होना ही योग है। ध्यान में भी अमनी अवस्था उपलब्ध होती है और जब चित्तवृत्ति का निरोध (नियन्त्रण) हो जाता है तभी हम आत्मा की तरफ यानी खुद की तरफ मुड़ते हैं और परमात्मा से जुड़ते हैं। इसी जोड़ का नाम योग है।
(2.)जो मनुष्य अपने उत्थान और विकास के लिए विषयों का अध्ययन करते हैं और बार-बार एक ही टाॅपिक को दोहराने से बोरियत महसूस करते हैं, वे मन के अधीन होते हैं। ऐसे लोगों का मन चंचल और रुग्ण होता है जिससे उनकी मानसिकता रुग्ण हो जाती है। रुग्ण मानसिकता वाले लोगों को अपने लिए हितकारी विषयों को पढ़ना और पढ़ाना अच्छा नहीं लगता है। अच्छा और ज्ञानवर्धक साहित्य पढ़ना और पढ़ाना मस्तिष्क के लिए जरूरी है क्योंकि यह विवेक और सद्बुद्धि की खुराक है। हमारी प्रज्ञा और बुद्धि का भण्डार बढ़ता रहे ताकि हम अपने अंतःकरण का ठीक-ठीक उपयोग कर सके। इसके लिए हमें नित्यप्रति अच्छा साहित्य जैसे आध्यात्मिक, धार्मिक, दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक, स्वास्थ्य इत्यादि से सम्बन्धित नियमपूर्वक पढ़ते रहना चाहिए।
हम कई कार्य बार-बार करते हैं परन्तु उससे बोरियत नहीं होती है। हम नित्यप्रति दोनों वक्त भोजन करते हैं, स्नान रोजाना करते हैं, शौच जाते हैं इत्यादि से हमें बोरियत नहीं होती है। यदि हम मन के गुलाम रहेंगे, मन पर नियंत्रण नहीं रखेंगे तो बोरियत भी होगी और कोई भी कार्य बार-बार नहीं कर सकेंगे। हम मन के अधीन होकर कार्य करेंगे तो यही स्थिति होगी। परन्तु यदि हम किसी कार्य को कर्त्तव्य समझकर करेंगे तो हमें उस कार्य में आनन्द भी आएगा और उसको बार-बार करने में उकताहट या बोरियत नहीं होगी। इसी प्रकार यदि हम दाब-दबाव या मजबूरी वश कोई कार्य करते हैं तो यदि वह सही कार्य है तो भी अच्छा ही है कम से कम दाब-दबाव की वजह से तो सही कार्य कर रहे हैं परन्तु दाब-दबाव या मजबूरी में कोई गलत कार्य कर रहे हैं ऐसा करना गलत है। इस प्रकार हम कार्य कई प्रकार से करते हैं मन के वश में होकर, कर्त्तव्य समझकर अर्थात् मन को नियन्त्रण में रखकर, और दबाव व मजबूरीवश। इनमें कर्त्तव्य समझकर किया गया कार्य ही उत्तम व श्रेष्ठ है।कर्त्तव्य समझकर कार्य तभी किया कर सकते हैं जब हम अ-मन की भाव दशा को प्राप्त हो जाएं।
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(3.)अत: हमें मन पर नियंत्रण रखना होगा। मन को दबाने या कुचलने के बजाय मन को अच्छे कार्यों में व्यस्त रखा जाए। रोजाना ध्यान व योग का अभ्यास करें। जब कभी भी मन गलत कार्य की ओर अग्रसर हो तो फौरन सतर्क होकर उसकी दिशा को अच्छे कार्य की तरफ मोड़ दें। गलत कार्य को कम्पनी न दें, गलत कार्य मन में प्रवेश करते ही उसको भगा दें। मन पर विवेक का नियन्त्रण होना जरूरी है। विवेक, आत्मा का गुण है। विवेक, आत्मा से प्राप्त होता है अर्थात् विवेक आत्मा का स्वाभाविक गुण है, विवेक आत्मा से निर्देशित होता है। विवेक, धैर्य और साहस इन तीन गुणों से मन को वश में रखा जा सकता है। मन का दमन करने से कुण्ठा और घुटन पैदा होती है। जिस कामना का दमन करते हैं, वह कामना हम से ही शक्ति पाकर और बलवान हो जाती है और पहले से भी ज्यादा ताकत से हम पर हमला कर देती है और हम कामना के वशीभूत हो जाते हैं।
महापुरुष और ज्ञानी व्यक्ति इतने महान् कार्य इसलिए कर पाते हैं कि वे विवेक, धैर्य और साहस का साथ कभी नहीं छोड़ते हैं चाहे कैसी भी परिस्थिति हो, कैसा भी समय हो, कोई भी साथ न हो।
(4.)गणित में एम हारुका द्वारा इस प्रकार का चमत्कार करना हमारे लिए आश्चर्य हो सकता है परन्तु इस प्रकार के कार्यो के प्रति उनकी कितनी लगन, निष्ठा और जुनून व समर्पण होता है यह किसी को दिखाई नहीं देता है। यदि हम भी अपनी सद्बबुद्धि और विवेक को काम में ले तो कोई कारण नहीं होगा कि हमें गणित से डर लगे। बल्कि गणित को या अन्य किसी विषय को बार-बार हल करने पर हमें आनन्द की अनुभूति होगी। एक बार दृढ़संकल्प करके ध्यान, योग शुरू करें फिर देखे कि यही मन हमारे लिए कितना उपयोगी हो जाएगा। शर्त यही है कि मन की बागडोर, विवेक के पास रखें। मन को मालिक न बनने दें, बल्कि मन को विवेक के नियन्त्रण में रखे, विवेक को मालिक बनाएं।
2.'पाई' की गणना में गूगल कर्मचारी एमा हारुका ने तोड़ा विश्व रिकॉर्ड(Google employee Emma Haruka breaks world record in 'pie' calculation) -
14 Mar 2019Emma Haruka breaks world record in 'pie' calculation |
इस गणना के लिए 170 टेराबाईट (टीबी) डेटा की आवश्यकता पड़ी। इसके अलावा 25 वर्चुअल मशीनों की सहायता से 121 दिन में पूरी गणना हो सकी। बता दें कि एक टीबी डाटा में करीब दो लाख गाने सुरक्षित रखे जा सकते हैं।
पाई वह संख्या होती है जो वृत्त की परिधि को इसके व्यास से भाग देने पर पाई जाती है। इसके शुरुआती अंक 3.14 सर्वविदित हैं लेकिन इसके पूरे मान में अंकों की संख्या बहुत ज्यादा है। पाई में अंकों के ज्ञात अनुक्रम का विस्तार करना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह किसी निर्धारित क्रम या पैटर्न का पालन नहीं करता है।
पाई का प्रयोग इंजीनियरिंग, फिजिक्स, सुपर कंप्यूटिंग और अंतरिक्ष अनुसंधानों में किया जाता है क्योंकि इसका प्रयोग तरंगों की गणना, वृत्तों और बेलन (सिलिंडर) की गणना में किया जा सकता है।
पाई के और विस्तार पर कार्य करती रहूंगी : एमा
पाई के विस्तृत स्वरूप की गणना करना गणितज्ञों के बीच लंबे समय से प्रचलित रहा है। एमा के मुताबिक पाई की ओर वह बचपन से ही आकर्षित रही थीं। एमा ने कहा, 'मैं बहुत आश्चर्यचकित हूं। मैं अब भी वास्तविकता को समझने की कोशिश कर रही हूं। विश्व रिकॉर्ड बनाना बेहद कठिन कार्य था।' एमा ने कहा, 'पाई का कोई अंत नहीं है, मैं इसका और विस्तार करने की कोशिश करूंगी।'
गूगल ने इस समाचार को एक ब्लॉग के माध्यम से पाई दिवस (14 मार्च) को साझा किया। पाई के मान 3.14 के चलते इसे 14 मार्च को मनाया जाता है। पाई के मान का पहला अंक 3, साल के तीसरे महीने मार्च और दशमलव के बाद आने वाला 14 तारीख को प्रदर्शित करता है।
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