Definitions of Mathematics

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1.गणित की परिभाषाएं का परिचय (Introduction of Definitions of Mathematics) -

इस आर्टिकल में विभिन्न विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषाओं का वर्णन किया गया है। गणित को शब्दों में परिभाषित करना बहुत मुश्किल है क्योंकि गणित सर्वत्र व्याप्त है और सार्वभौमिक है परन्तु व्यावहारिक रूप हमें समझने के लिए अपनी व्यक्तिगत राय के अनुसार परिभाषा देना हम इसलिए आवश्यक समझते हैं जिससे इसकी बेसिक जानकारी प्राप्त हो सके।
गणित स्थूल (concrete) और सूक्ष्म Abstract) दोनों ही गुणों से सम्पन्न है। यह सभी विषयों में व्याप्त है। यह कला(Art) और(science) दोनों है ।इसकी सीमाएं अनादि और अनन्त है। गणित के बिना किसी भी कला या विज्ञान की कल्पना नहीं की जा सकती। गणित को सभी विषयों का जनक और पोषक कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी। सभी विषय अपनी पूर्णता के लिए गणित पर आश्रित हैं। व्यक्तित्व के तीनों पक्षों शारीरिक (Physical), बौद्धिक Intellectual) और आध्यात्मिक( spiritual) के विकास के लिए गणित प्रमुख साधन है। यदि इसके बारे में ओर जानना चाहते हैं कि हमारा व्यक्तित्वका विकास  किस प्रकार गणित से हो सकता है तो हमारा आर्टिकल Importance of Mathematics part-2 पढ़ें। यद्यपि गणित को किसी परिभाषा की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता है तथापि गणित के आधारभूत अर्थात् बेसिक जानकारी के लिए परिभाषाओं (Definitions), प्रकृति, अध्ययन विधियों, आधारभूत तत्वों एवं क्षेत्र में अन्तर्दृष्टि (Insight) का विकास आवश्यक है।
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2.गणित की परिभाषाएं (Definitions of Mathematics) -

गणित का सरलतम अर्थ 'गणन द्वारा गणना' में प्रतिबिंबित होता है। मैथेमेटिक्स (Mathematics) को शिक्षा-शब्दकोश में लम्बाई-चौड़ाई (Magnitude) और संख्याओं (Numbers) का विज्ञान कहा गया है। इस प्रकार हिन्दी और अंग्रेजी दोनों ही शब्दों का अर्थ गिनने (counting), मापने (Measuring) और परिगणन (Computation) से है ।वास्तव में, गणित का उद्भव मानव की नैसर्गिक जिज्ञासा (curiosity) में समावेश (Involved) है।  अपने मानसिक विकास की प्रथम अवस्था में ही मानव मन में अपने पर्यावरण और आकाश को देखकर, शब्द सुनकर, स्पर्श आदि से प्रश्न उठे होंगे। क्या, कितने? फिर विकास के दूसरे स्तर पर उठने वाले सम्भावित प्रश्न हैं, कितना? किसी परिवर्तन को देखकर विस्मय से प्रश्न उठा होगा क्यों? इससे आध्यात्मिक विषयों का विकास हुआ जैसे दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, धर्म दर्शन, ज्ञान मीमांस इत्यादि ।जहाँ तक प्रथम स्तर का प्रश्न है इसका अनुभव तो निम्नस्तर के प्राणी को भी होता है। मानसिक जाँच में 'मापन' का अनुभव होता है। पशु-पक्षियों में भी इसकी मूल स्वाभाविक शक्ति होती है। इसी के कारण पक्षी सैकड़ों एवं हजारों किलोमीटर दूर तक ऋतु परिवर्तन के कारण प्रवास हेतु आते-जाते हैं। किन्तु इस स्तर पर मानव में उच्चस्तरीय गणना के लिए विशिष्ट बौद्धिक शक्ति होती है जो कि नैसर्गिक होने के साथ-साथ पर्यावरण द्वारा भी प्रभावित होती है। इस स्तर पर मनुष्य में अनुभवों (Experiences), अभ्यासों (Exercises), प्रशिक्षण (Training) से गणना की जटिल से जटिल प्रक्रियाओं में कौशल का विकास होता है। अन्तिम आध्यात्मिक स्तर पर धार्मिक, दार्शनिक मान्यताओं एवं उच्च गणितीय प्रक्रमों की व्युत्पत्ति होती है।
गणित सर्वत्र व्याप्त है। इसकी परिपूर्ण (perfect) परिभाषा देना सम्भव नहीं है। गणितज्ञों एवं वैज्ञानिकों ने अपनी व्यक्तिगत प्रकृत के अअनुसार जो अनुभव किया उसके अनुसार परिभाषाएं दी है। कुछ बिन्दुओं के अन्तर्गत उनकी परिभाषाएं प्रस्तुत करते हुए गणित की संकल्पना को स्पष्ट किया जा रहा है -

3.परिमाण और संख्याओं का विज्ञान (Science of Magnitude and Numbers) -

 गणित का आधारभूत तत्त्व संख्या है। विज्ञान प्रत्यक्ष अनुभवों का संचित कोष है। संख्याएँ प्रत्यक्ष जगत वस्तु-जगत के परिमाण का बोध कराती हैं। साथ ही वस्तु-जगत के स्वरूप, आकार-प्रकार को ये परिमाण के रूप में प्रस्तुत करती हैं। यह अपने आप में लक्ष्य नहीं है, अपितु किसी प्रयोजन के लिए आधारभूत सामग्रियों का निर्माण करती हैं। ये किसी जाँच प्रक्रिया (process of enquiry) के लिए आंकिक सूचनाएं उपलब्ध कराती हैं। यह जाँच प्रक्रिया मनुष्य की जिज्ञासाओं क्या, कितने, कितनी का तुष्टीकरण करती है। गणित की यह परिभाषा मानव सभ्यता की आदिम-व्यवस्था (primitive stage) से ही प्रचलित है। सम्भवतः आदिवासी अपने समूह के नेतृत्व का चयन उसकी सम्पन्नता के आधार पर करते थे। इसके लिए पशुधन संख्यात्मक परिमाण का उपयोग होता था। इस प्रकार गणित का प्रारम्भिक उपयोग गणन या गिनने में हुआ।
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4.गणित परिमाण और अन्तराल का विज्ञान (Mathematics as the science of quantity and space) -

विज्ञान की भाँति गणित भी ऐन्द्रिक अनुभवों (Empirical Experiences) के साथ-साथ उनका व्यवस्थित और क्रमबद्ध रूप है। इसमें भी अन्तराल से सम्बंधित संख्यात्मक तथ्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का अध्ययन होता है। इन तथ्यों के विश्लेषण, निर्वाचन और नियमीकरण में तार्किक चिन्तन ( Logical Reasoning) का स्वाभाविक उपयोग होता है जो कि किसी नवीन स्थिति में समस्या-समाधान में प्रयुक्त होता है। अपनी इस क्रियात्मक नियति (Processing Nature) के कारण गणित भौतिक अनुसंधान का एक प्रमुख साधन बन गया है।
बर्थलाॅट के अनुसार - "गणित भौतिक अनुसंधान का एक आवश्यक उपकरण है (Mathematics is the indispensable instrument for all physical researches)."
गणित के इस स्वरूप पर चिन्तन करने से स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान विषयों के लिए अभिव्यक्ति (Expression) का साधन गणित है। अन्तराल में होनेवाली घटनाएं (phenomena)  को समझने के लिए कार्य-कारण सम्बन्ध का स्थापन (Establishment) गणितीय तर्क पर ही आधारित है। इसीलिए काण्ट (kant) ने यहाँ तक कहा - "प्राकृतिक विज्ञान केवल तब तक ही विज्ञान है जब तक कि यह गणितीय है(A natural science is a science only in so for as it is mathematical)." काम्टे (comte) के विचार भी काण्ट के विचारों से मेल खाते हैं। काम्टे के अनुसार - "वह विज्ञान शिक्षा जो गणित के साथ आरम्भ नहीं होती, आवश्यक रूप से आधारभूत रूप में त्रुटिपूर्ण है ( A scientific education which does not commence with mathematics is, of necessity, defective at its foundation)."

5.गणित सामान्यीकरण का प्रमुख साधन (An important means of generalisation) -

विशिष्ट अनुभवों के आधार पर वस्तुओं (Objects) के प्रत्यक्षण (perception) और सामान्यीकरण के लिए गणित प्रमुख साधन है। यह आगमन तर्क (Induction reasoning) की स्वाभाविक प्रक्रिया है। इसीलिए हेनरी प्वयंकर (Henri Poincare) कहते हैं - "विभिन्न वस्तुओं को वही नाम देना ही गणित है(Mathematics is the giving of same name to different things)." हर्वार्ड कमेटी आॅफ 45 (Harvord committee of 45) के अनुसार - "गणित को अमूर्त स्वरूप के विज्ञान के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। किसी भौतिक व्यवस्था बोध में संरचना की तत्त्वदर्शिता की अनिवार्य आवश्यकता कला में लेप चित्रण और संगीत में संध्वनिकता की सराहना से कम नहीं है। वस्तुओं और घटनाओं द्वारा सामान्यीकृत रूप में यह अर्थशास्त्र में ज्योतिर्विज्ञान से कम नहीं है। गणित विशिष्ट वस्तुओं और घटनाओं द्वारा साररूप में सामान्यीकृत स्वरूप में प्रदर्शित क्रम का अध्ययन है - जनरल एजूकेशन इन ए फ्री सोसायटी (Mathematics may be defined as the science of abstracted from...... The discernment of structure is essential no less to the appreciation of a painting or a symphony than to understanding the behaviour of a physical system, no less in economics than in astronomy. Mathematics studies order obstructed from the particular objects and phenomena which exhibit it, and in a generalised form - General Education in a Free Society). "

6.विज्ञानों की अभिव्यक्ति के लिए प्रयुक्त विज्ञान (Applied Science for the Expression of Sciences) - 

भौतिक और जैव विज्ञानों (Physical and Biological Sciences) में ज्ञान ग्रहण और प्रस्तुतीकरण (Acquisition and Presentation of knowledge) के लिए गणित और गणितीय विधियाँ ही एकमात्र साधन हैं। इसके लिए गणित की प्रमुख भूमिका रोजर बैकन के इस कथन में प्रतिबिम्बित होती है - "गणित विज्ञानों का प्रवेशद्वार एवं कुंजी है। चूँकि जो मनुष्य गणित से अनभिज्ञ है वह विज्ञानों और विश्व की वस्तुओं की जानकारी प्राप्त नहीं कर सकता इसलिए गणित की उपेक्षा सम्पूर्ण ज्ञान के लिए घातक है। इससे भी अधिक खराब यह है कि ऐसे अनभिज्ञ मनुष्य न तो अपनी इस अनभिज्ञता को जानते हैं और न ही इसका उपचार कर सकते हैं ((Mathematics is the gate and key of the sciences...... Neglect of mathematics work injury to all knowledge, since he who is ignorant of it cannot know the other sciences or the things of the world. And what is worse, men who are thus ignorant are unable to perceive their ignorance and so do not seek a remedy. ")
सुलीवान (J. W. N. Suliwan - Atlantic monthly, March, 1933)भौतिकी में गणित की महत्ता को इस प्रकार दर्शाया -" जहाँ तक भौतिकी का प्रश्न है, यह प्रमाणित हो चुका है कि जिन सत्ताओं का विचार-विमर्श इसमें किया जाता है, हमें उनकी प्रकृति का ज्ञान नहीं बल्कि उनकी गणितीय संरचना के बोध की आवश्यकता है (It has become evident that, so far as the science of physics is concerned, we do not require to know the nature of the entities, we discuss, but only their mathematical structure) . "रसायन विज्ञान में मेल्लाॅर (J. W. Mellor) ने अपने कथन -" भौतिक और सामान्य रसायन उत्तरापेक्षित विकासों को उच्च गणित के कार्यकारी अभिज्ञ जन के बिना लगभग असंभव है (It is Almost impossible to follow the latter developments of physical or general chemistry without working knowledge of higher mathematics)." इसे रेखांकित किया गया है। जीव विज्ञान में गणित की अनिवार्यता काॅम्टे (A. Comte) के इस कथन से सिद्ध हो जाती है कि -" गणित में हम विवेक के आदिम स्रोत को पाते हैं और गणित को जैव विज्ञानियों के उस गन्तव्य के रूप में देखते हैं जहाँ वे अनुसंधान करते हैं। (In mathematics we find the primitive source of rationality and to mathematics must be the biologists resort for means to carry on their researches). "भौतिक विज्ञानों (physical sciences) में भौतिकी और रसायन विज्ञान के अतिरिक्त ज्योतिर्विज्ञान (Astronomy) भी सम्मिलित है। यह सर्वविदित है कि वर्तमान में ज्योतिर्विज्ञान स्वयं गणित की एक प्रमुख शाखा है। इसमें अंकगणित, ज्यामिति, त्रिकोत्रमिति, बीजगणित की प्रयुक्ति है। इस प्रकार गणित भौतिक और जीव विज्ञानों को अभिव्यक्ति और अस्तित्व प्रदान करने की सत्ता है।

7.गणित विभिन्न शास्त्रों की प्रगति की विधि (Mathematics as the method of progress of various subjects) - 

इवैन्स (G. L. Evans) द्वारा मैथेमेटिकल इण्ट्रोडक्शन टु इकोनॉमिक्स (Mathematics Introduction to Economics -, Mcgraw Hill Book Co. Inc. 1936) का कथन इस परिभाषा के लिए पर्याप्त स्पष्टीकरण है। इसमें स्पष्ट होता है कि अध्ययन का प्रत्येक शास्त्र अपने आपको विज्ञान कहने या मानने में सन्तुष्ट होता है। राजनीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र, सैन्यविज्ञान, भूगोल, इतिहास आदि ऐसा इसलिए कहते हैं कि वैज्ञानिक विधि इनके अध्ययन की प्रमुख विधि बन चुकी है, जो कि स्वयं गणित पर आधारित है।इन विषयों को प्राकृतिक और प्रयुक्त विज्ञानों (Natural and applied sciences) द्वारा स्पष्ट पहचान की दृष्टि से सैद्धान्तिक विज्ञान (Theoretical sciences) कहा गया है। इन विषयों के विकास तथा इन्हें पूर्णता की ओर बढ़ाने में गणित प्रमुख शक्ति है। इवैन्स, जैसा कि हम इसको प्राकृतिक और प्रयुक्त विज्ञानों से विशिष्ट पहचान के लिए पुकारते हैं, एक ऐसी प्रक्रिया है जो कि इस विषय के विकास क्रम में विलम्ब से आता है। प्रामाणिक रूप से यह देखा गया है कि ज्ञान के कुछ क्षेत्र मुश्किल से इसके लिए उद्यत हैं क्योंकि परिभाषाओं और प्राक्कल्पनाओं को निर्मित करने में इसकी स्वतन्त्र स्वेच्छ एक विशिष्टता है। यह मात्र तथ्यों की ही पहचान नहीं करता किन्तु जब हम यह भावना प्राक्कल्पना और परिभाषा के लिए पाते हैं तो निगमनात्मक तर्क की श्रृंखला में शामिल हो जाते हैं। हम निर्माण और विश्लेषण की एक अभिलाक्षणिक विधि में खिंचे जाते हैं। इस विधि को हम गणितीय विधि कहते हैं। यह प्रश्न नहीं है कि इस विषय में गणित वांछनीय है अथवा नहीं। वास्तव में, प्रगति के मार्ग में आगे बढ़ने के लिए गणितीय विधि को अपनाना एक अनिवार्य शर्त है।
(The systematization which occurs in a theoretical science, as we properly call it in order to distinguish it from a natural or an applied science, is a process which is apt to came late in the development of a subject. Everyday some fields of knowledge are hardly ready from it, for it is tyfied by a free spirit of making hypotheses and definitions rather than a mere recognition of facts. But when we find this feeling for hypotheses and definition and, in addition become involved in chains of deductive reasoning, we are driven to a characteristic method of construction and analysis which may be call the mathematical method. It is not a question whether mathematics is desirable or not in such subject. We are in fact forced to adopt the mathematical method as a condition of further progress). "

8.गणित निष्कर्ष एवं निर्णय पर पहुंचने का साधन (Mathematics as the means to draw conclusion and judgement)

स्पष्ट हो चुका है कि गणित आंकिक तथ्यों को एकत्रित करने (collection), वर्गीकरण (classification), विश्लेषण (Analysis) की प्रक्रिया है। यह सम्पूर्ण क्रिया निश्चित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सम्पन्न की जाती है। इसका उद्देश्य मूल रूप में प्राक्कल्पना का परीक्षण है। विश्लेषण के उपरान्त अनुमान (Inference), पुनः परीक्षण (Retesting), निर्वचन (Interpretation), निष्कर्ष (conclusion) एवं निर्णयन है। इस प्रकार गणित अपनी परम नियति में निष्कर्ष निकालने और निर्णयन का साधन है। बैन्जामिन पीर्स (Benjamin peirce 1809-1880) के अनुसार, "गणित ऐसा विज्ञान है जो आवश्यक निष्कर्ष पर पहुंचता है।"

9.गणित सामान्यीकरण की पूर्णता (Mathematics as the perception of generalisation) -

पूर्ण की स्थिति में विषयी (subject) असमंजस की स्थिति पर ही रहता है। गणित के सामान्यीकरण की ऐसी पूर्ण अवस्था है जिसमें व्यक्ति सामान्य भाषा में यह समझाने में स्वयं को असमर्थ पाता है कि वह किस विषय पर वार्ता कर रहा है अथवा जो कुछ कहा जा रहा है वह सत्य है। यही अनुभूति की परम अवस्था है। रसेल के अनुसार, "गणित एक ऐसा विषय है जिसमें यह कभी भी नहीं कहा जा सकता है कि किस विषय में बातचीत हो रही है या जो कुछ कहा जा रहा है वह सत्य है।

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