How to increase brain capacity by electric shock?

बिजली के झटके से दिमाग की क्षमता कैसे बढ़ाएं?(How to increase brain capacity by electric shock?)-

1.दिमाग को बिजली का झटका देकर क्षमता बढ़ाई जा सकती है(Efficiency can be increased by giving electric shock to the brain)-


How to increase brain capacity by electric shock?

How to increase brain capacity by electric shock?

करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित अनुसंधान के मुताबिक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के तंत्रिका वैज्ञानिकों के अनुसार यह साबित हुआ है कि मस्तिष्क को एक विशेष दिशा में बिजली का मामूली सा झटका (1ma) देने से गणितीय क्षमताओं में बढ़ोतरी की जा सकती है ।डॉक्टर कोहेन कदोश और उनकी टीम द्वारा किए गए शोध में मामूली झटका देकर गणित की स्थाई क्षति को दूर किया जा सकता है।
इस शोध में 20 से 21 वर्ष के 15 विद्यार्थियों को शामिल किया गया‌। विद्यार्थियों को विभिन्न अंकों को प्रतिनिधित्व देने वाले चिन्ह सिखाए गए ।इसके बाद यह देखा गया कि इसके आधार पर कितनी जल्दी पहेलियों को सुलझा सकते हैं।
इसके पश्चात विद्यार्थियों के मस्तिष्क के पिछले हिस्से को दाहिने से बाएं और कुछ को बाएं से दाहिने दिशा में बिजली का मामूली झटका दिया गया।इसके बाद पाया गया कि दाएं से बाएं की ओर बिजली का झटका पाने वाले विद्यार्थियों में गणितीय क्षमता में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हो गई जबकि बाएं से दाएं दिशा में बिजली का झटका पाने वाले विद्यार्थियों में गणितीय क्षमता 6 वर्ष के बच्चों जैसी हो गई।
सामान्यतः जब हमें गणितीय समस्याओं का हल मिल जाता है या शिक्षक द्वारा बता दिया जाता है तो धीरे-धीरे हमारा मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है ।लेकिन किसी गणितीय क्षमता को हल करने पर उसका समाधान नहीं होता है और हम बार-बार दिमाग पर जोर डालते हैं तो दिमाग अधिक सक्रिय हो जाता है और हम जटिल गणितीय समस्याओं को हल कर देते हैं।
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2.गणित सीखने के लिए चींटियों से शिक्षा(Ants to learn math)-

How to increase brain capacity by electric shock?

How to increase brain capacity by electric shock?

गणित के जटिल प्रश्नों को हल करने में बड़े-बड़े गणितज्ञों के पसीने छूट जाते हैं।एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि चीटियां उन जटिल समस्याओं का हल निकाल सकती है और बेहतर सॉफ्टवेयर विकसित करने में कंप्यूटर वैज्ञानिकों की मदद कर सकती है।
जर्नल और एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी के अनुसार एक अंतर्राष्ट्रीय दल ने पाया है कि चींटियां गणित की जटिल पहेलियों का हल निकालने में सक्षम है।चीटियां उन समस्याओं को भी हल करने में सक्षम है जो इक्की-दुक्की कंम्प्यूटर कलन विधियां (एल्गोरिदम) कर सकती है। वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक का प्रयोग करते हुए जांच की की और गणित की कठिन पहेली टावर्स आफ हनोई को भूल भुलैया में तब्दील कर यह देखने की कोशिश की कि क्या चींटियां डाइनेमिक आप्टिमाइजेशन प्राब्लम का हल निकाल सकती है।सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता क्रिस रीड ने कहा कि प्रकृति से प्रेरित कंप्यूटर कलन विधियां अक्सर असली संसार का प्रतिनिधित्व नहीं करती क्योंकि वे स्थिर और एक तरह की समस्याओं का हल निकालने के लिए डिजाइन्ड होती है ।रीड ने कहा, हालांकि प्रकृति अप्रत्याशित बातों से भरी पड़ी है और एक हल सारी समस्याओं के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता। इसलिए हमने इस बात को देखने के लिए चीटियों का रुख किया कि बदलाव के प्रति समस्या का हल निकालने का उनका कौशल कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।
वैज्ञानिकों ने टॉवर्स आफ हनोई पहेली का तीन राॅड और तीन डिस्क संस्करण का प्रयोग कर चीटियों की जांच करने की कोशिश की। इस पहेली के तहत खिलाड़ियों को डिस्क को राॅड के बीच बढ़ाना होता है। इस दौरान कुछ नियमों का पालन करना होता है और कुछ संभावित कदमों का प्रयोग करना होता है। चींटियां डिस्क को इधर-उधर नहीं कर सकती इसलिए उन्होंने को एक भूल भुलैया में तब्दील कर दिया ।इसमें सबसे छोटा पथ हल के सदृश होता है।
चींटियां दूसरे छोर पर स्त्रोत को हासिल करने के लिए भूल भुलैया के प्रवेश बिंदु पर 32768 संभावित मार्गो को चुन सकती हैं। सिर्फ दो पथ सबसे छोटे होते हैं इसलिए यह सर्वश्रेष्ठ हल है।
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3.निष्कर्ष(Conclusion)-

भारतीय धर्म ग्रंथों में तो बहुत पुरानी परंपरा है कि मनुष्य सीखना चाहे तो पशु-पक्षियों से भी सीख सकता है। सीखने के लिए अपने विवेक का प्रयोग करना होता है। ज्ञान प्राप्ति के अन्दर अन्त:करण प्रत्येक व्यक्ति में विद्यमान है ।परंतु अंतकरण को काम क्रोध आदि से मुक्त होना आवश्यक है। यदि अंतरण को एक करने के लिए साधना करना आवश्यक ऐसा मनुष्य प्रत्येक व्यक्ति से ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों यहां तक की प्रकृति को देखकर भी गणित, धर्म और अध्यात्म का तत्वज्ञान सीख सकता है। हमारी गणितीय क्षमता को विकसित करने व बढ़ाने के लिए इन दोनों उदाहरणों के द्वारा यह बताया गया है कि हम हमारी गणितीय क्षमता को काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। बिजली का झटका का उदाहरण हमने इसलिए नहीं दिया है कि आप भी बिजली के झटके खाकर अपनी गणितीय क्षमता को बढ़ाएं।इस उदाहरण का तात्पर्य हमारे विचार से यही है कि दिमाग पर थोड़ा दबाव डालते है तो हमारा मस्तिष्क अत्यधिक सक्रिय हो जाता है और हम जटिल से जटिल गणितीय समस्याओं को हल कर पाते हैं। जब हमें गणित की समस्याएं हल की हुई मिल जाती है तो हमारा मस्तिष्क निष्क्रिय हो जाता है ।इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें सभी गणित की समस्याओं को स्वयं ही हल करना चाहिए। मस्तिष्क की क्षमता एक सीमा तक ही बढ़ाई जा सकती है तथा जब हमें किसी गणित की समस्या का समाधान नहीं मिलता है और दिमाग पर थोड़ा दबाव डालने से भी उसका समाधान नहीं होता है ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हर मनुष्य और विद्यार्थी की योग्यता ,क्षमता अलग-अलग होती है‌।हर गणितीय समस्याओं को हर एक मनुष्य व विद्यार्थी हल नहीं कर पाता है। गणितीय समस्या को हल करने का प्रयास करने तथा दिमाग पर जोर डालने पर भी हल नहीं निकलता है तो हमें मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। यदि इस स्टेज पर हमें गणित की समस्या का समाधान नहीं मिलता है तो हम निराश व हताश हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में गणित से घृणा होने लगती है ,गणित से डर लगने लगता है ।इस स्थिति से बचने के लिए हमें शिक्षक रूपी मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है।
इसी प्रकार चींटी से भी हम सीख सकते हैं कि चींटी लगातार परिश्रम करती रहती है बिना थके-हारे। गणित की जटिलता को सरलता में बदलने के लिए कठिन परिश्रम,लगन,उत्साह तथा धैर्य की जरूरत होती हैं। इस उदाहरण में चींटी के द्वारा यह समझाया गया है कि चींटी परिश्रम और अभ्यास के बल पर सबसे लघुतम मार्ग का चुनाव कर लेती है ।इसी प्रकार मनुष्य तथा विद्यार्थी को किसी विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है बल्कि कठिन परिश्रम और अभ्यास के बल पर गणित को सरल बना सकता है,यही उसके लिए प्रशिक्षण का काम करता है।उसको हल करने में शुरू में जितना समय लगता है ,बाद में उतना समय नहीं लगता है बल्कि कम समय में ही गणितीय समस्याओं को हल कर पाता है ‌।उसका मार्ग छोटा हो जाता है। लघुतम पथ के द्वारा ही वह गणितीय समस्याओं को हल कर सकता है।
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इसी प्रकार जीवन में बहुत से उदाहरण मिलते हैं यदि विवेकपूर्वक हम उनका विवेचन करें तो उनमें कोई न कोई गणित की समस्या के हल की झलक मिल जाएगी लेकिन प्रकृति की उन वस्तुओं और घटनाओं में गणित की समस्या का हल ढूंढने के लिए हमें हमारे विवेक और बुद्धि का प्रयोग करना होगा। जब तक हम दूसरों पर आश्रित रहकर, दूसरों की बुद्धि के बल पर किसी गणित की समस्या का हल करते हैं तब तक पराश्रित रहते हैं।इससे स्वयं की प्रतिभा विकसित नहीं होती है।अपनी बुद्धि और प्रतिभा को तराशने के लिए हमें हमारी बुद्धि का प्रयोग करना होगा। ज्यों-ज्यों हम हमारी बुद्धि बल व कौशल का प्रयोग करते जाएंगे त्यों-त्यों आगे बढ़ते जाएंगे।
प्रकृति की जिन घटनाओं, वस्तुओं,पशु-पक्षियों से सीखते हैं वे हमारे लिए ट्यूटर हैं। उनसे हम ट्यूशन ले सकते हैं। यदि सजग, सतर्क और चौकस रहें तो प्रकृति से बहुत कुछ सीख सकते हैं ।यदि हम ऐसा कर सके तो गणित हमें कठिन नहीं बल्कि सरल लगने लगेगा ।आवश्यकता है तो हमें हमारे दिमाग को खुला और विस्तृत करने की।यदि हम दिमाग को संकुचित कर लेंगे तब हम मनुष्य रूपी शिक्षक से ही सीखने की कोशिश करेंगे और दिमाग खुला और विस्तृत करने पर यह पूरी प्रकृति ही हमें शिक्षक नजर आने लगेगी।

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