How to Overcome Mathematics Phobia in Students
How to Overcome Mathematics Phobia in Students
1.विद्यार्थियों में गणित फोबिया को कैसे दूर करें(How to Overcome Mathematics Phobia in Students)-
How to Overcome Mathematics Phobia in Students |
2.गणित को मनोरंजन के तरीके से पढ़ाएं(Teach Math in a Fun Way)-
छोटे बच्चों को संगीत व खेल-खेल के जरिए गणित का अभ्यास कराया जाए। बड़े बच्चों को पहेलियों (पजल) के जरिए गणित में रुचि जाग्रत करें। मनोरंजन, खेलकूद, संगीत, पजल व पहेलियों में सभी को आनन्द आता है इसलिए इनके जरिए पढ़ाने पर गणित में जिज्ञासा जाग्रत होने के साथ-साथ गणित विषय आनन्ददायक भी लगेगा।Also Read This Article-How Students Can Improve Their Skills Through a Mathematics Project
3.विद्यार्थियों की मानसिकता को परिवर्तित करें(Change Students' Mindset)-
विद्यार्थियों के मन में यह मानसिकता घर कर गई है कि गणित विषय बहुत कठिन है। ऐसी मानसिकता इसलिए हो जाती है कि हम सुनी सुनाई बातों पर विश्वास कर लेते हैं। गणित के प्रति एक रोमर चल चुका है और यह डर पैदा कर दिया गया है कि गणित विषय कठिन है। सभी विद्यार्थियों में इतनी परिपक्वता नहीं होती है और वे सुनी सुनाई बातों पर विश्वास कर लेते हैं। जब हमारी मानसिक स्थिति गणित के प्रति नकारात्मक हो जाती है तो गणित विषय को हल करने में हमारी हिम्मत टूट जाती है। कहावत भी है कि हिम्मते मरदा मद्दे खुदा यानि भगवान भी उसी की सहायता करता है जो हिम्मत रखता है। यदि हम मन से हार मान लेते हैं तो गणित को हल करने की हमारी शक्ति आधी ही रह जाती है।इसलिए विद्यार्थियों को सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए बल्कि गणित में आनेवाली समस्याओं का सामना डटकर करना चाहिए। माता-पिता, अभिभावकों, शिक्षकों तथा प्रबुद्धजनों को विद्यार्थियों की इस मानसिकता को परिवर्तन करने का प्रयास करना चाहिए, उन्हें हौसला बंधाना चाहिए तथा यदि विद्यार्थियों की मदद कर सकते हैं तो हर सम्भव मदद करे।
4.अध्यापकों का कर्त्तव्य(Teacher Duties)-
गणित विषय को परम्परागत तरीके से न पढ़ाकर आधुनिक तरीके से तथा बालकों के मानसिक स्तर को ध्यान में रखते हुए गणित का अध्यापन कराना चाहिए। ज्यादा अच्छा है कि उन्हें सरल से कठिन की पद्धति से पढ़ाएं। इसका अर्थ है कि बालक को पहले सरल टाॅपिक का ज्ञान देना चाहिए, फिर कठिन की ओर अग्रसर होना चाहिए। यहाँ सरल से तात्पर्य यह है कि बालक को, प्रथम वह सीखना चाहिए जो वह सरलता से सीख सके। फिर जैसे-जैसे उन्नति करे, उसे कठिन या जटिल की ओर ले जाना चाहिए। पुन:स्पष्ट है कि यहाँ सरल से तात्पर्य यह है कि जो बालक के दृष्टिकोण से सरल हो न कि शिक्षक या प्रबुद्ध व्यक्ति के दृष्टिकोण से सरल हो। प्रायः जो टाॅपिक शिक्षकों व प्रबुद्ध जनों को सरल लगता है वह बालकों के लिए कठिन होता है। इसलिए अध्यापकों को सरल व कठिन का निर्णय करने में सावधानी बरतनी चाहिए। किसी टाॅपिक की मोटी-मोटी बातें शीघ्र समझ लेता है परन्तु यदि उसको विस्तार में पढ़ने पर बल दिया जाए तो बालक के लिए जटिल हो जाएगा। हमारे देश का सारा इतिहास छोटी-छोटी कहानियों के रूप में सरल लगेगा परन्तु यदि यही इतिहास राजाओं का शासन प्रबन्ध, युद्धों के वर्णन इत्यादि को विस्तृत रूप में पढ़ाया जाए तो अत्यन्त जटिल हो जाएगा।सरल से जटिल के सिद्धान्त को ध्यान में रखकर जब शिक्षा दी जाती है तो बालकों की रुचि विषय में बढ़ जाती है। वे एक बात को सीखकर दूसरी को सीखने के लिए तैयार हो जाते हैं। अध्यापकों को चाहिए कि सारे पाठ्यक्रम को इस प्रकार से विभाजित करे कि बालक क्रमानुसार ज्ञान प्राप्त करता जाए। वह सरल से सीखना प्रारम्भ करे और जटिल की ओर बढ़ता जाए।
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5.विशेष कालांश की व्यवस्था(Special Period system)-
जो विद्यार्थी गणित विषय में कमजोर हैं या जिन विद्यार्थियों को गणित जल्दी से समझ में नहीं आता है उन्हें गणित विषय के लिए अतिरिक्त कालांश की व्यवस्था की जाए। क्योंकि सभी विद्यार्थियों के साथ पढ़ने में उन्हें कठिनाई आती है और अपनी कठिनाई को सबके सामने पूछने में झिझक भी होती है। परन्तु जब सभी बच्चे अतिरिक्त कालांश एक ही स्तर के होंगे तो उन्हें झिझक नहीं होगी। उन्हें कोई भी टाॅपिक धीरे-धीरे व आसान तरीके से पढ़ाया जा सकेगा। इन कुछ विद्यार्थियों पर अध्यापक का भी फोकस रहेगा।6.माता-पिता व अभिभावकों की भूमिका(Role of Parents and Guardians)-
माता-पिता व अभिभावक को अपने बालकों के साथ बैठकर अध्ययन करना चाहिए और उनके सामने आनेवाली कठिनाइयों का निराकरण करना चाहिए। माता-पिता बच्चों के साथ घंटा-दो घंटा उनके साथ अध्ययन करेंगे तो उनको प्रेरणा मिलेगी। गणित में आनेवाली समस्याएं माता-पिता हल कर सकते हैं तो करें अन्यथा ट्यूटर, कोचिंग इत्यादि की व्यवस्था करनी चाहिए। इस प्रकार बच्चों की गणित सम्बन्धी कठिनाइयों का निराकरण होगा तो उनके मन से डर खत्म होने लगेगा।7.सोशल मीडिया का प्रयोग(Use of Social Media)-
बालकों को इन्टरनेट पर फालतू समय व्यतीत न करके इन प्लेटफॉर्म का प्रयोग अपनी गणित सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करने में लगाना चाहिए। ऐसी बहुत सी वेबसाइट्स व यूट्यूब चैनल हैं जो गणित सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करने में बालकों की मदद करती है। बालकों को अपना समय इन वेबसाइट्स पर अपने विषयों से सम्बन्धित समस्याओं को हल करने में लगाना चाहिए। याद रखें अपने समय को फालतू के कार्यों में नष्ट न करें। यदि आप अपने समय को फालतू के कार्यों में नष्ट न करें। यदि आप अपने समय को फालतू के कार्य में नष्ट करेंगे तो समय आपको नष्ट कर देगा।8.आपस में वार्ता के द्वारा समाधान(Solution by Negotiation)-
बालकों को अपने मित्रों के साथ गणित सम्बन्धी समस्याओं को हल करने के लिए वार्ता करनी चाहिए। हमारा काफी समय मित्रों के साथ व्यतीत होता है। अतः हमेशा ऐसे मित्र ही बनाएं जो आपकी समस्याओं के समाधान कर सकें तथा उसमें रुचि लें। अर्थात् अपने गुण-कर्म-स्वभाव के अनुसार ही मित्र बनाएं।ऐसे मित्रों से दूर रहें जो हमेशा आपके समय को फालतू के कार्य में, गपशप करने में लगाते हों।इस प्रकार इन टिप्स का प्रयोग करके गणित का डर खत्म किया जा सकता है।
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9.बच्चों में मैथमैटिक्स का खौफ खत्म करेगा ये तरीका, आप भी अपना सकते हैं(This Method will Eliminate the Fear of Mathematics in Children, You Can also Adopt)-
भिवानी(हरियाणा) Updated Fri, 17 Mar 2017How to Overcome Mathematics Phobia in Students |
इस शैक्षणिक सत्र से केवल नौंवी कक्षा के बच्चों को वैदिक मैथ पढ़ाया जाएगा। दरअसल, प्रदेश के स्कूलों में वैदिक मैथ पढ़ाने जाने की मांग पिछले साल रिटायर्ड जज व वैदिक मैथ के पहले पीएचडी डा. एसके कपूर ने सीएम मनोहरलाल खट्टर को मेल भेजकर की थी। इसके बाद हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड हरकत में आया और शिक्षा भारती सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रोहतक के गणित प्रवक्ता राकेश भाटिया को रिसोर्स पर्सन के तौर पर अध्ययन की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इसके बाद सभी जिलों के डीईओ से मशविरा और विशेषज्ञों के साथ मंथन के बाद वैदिक मैथ पढ़ाए जाने की रजामंदी हुई। इसके बाद पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई। सूत्र बताते हैं कि कमेटी ने इसी शैक्षणिक सत्र से पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर मैथ पढ़ाए जाने की संस्तुति दी है। कमेटी ने पहले चरण में प्रदेश के 120 खंडों के एक-एक स्कूल में नौंवी कक्षा के बच्चों को वैदिक मैथ पढ़ाए जाने के लिए राज्य सरकार को लिखा है।
बोर्ड की ओर से नियुक्त रिसोर्स पर्सन गणित प्रवक्ता राकेश भाटिया ने बताया कि वैदिक मैथ इसी सत्र से नौंवी कक्षा के बच्चों को पढ़ाए जाने की तैयारी पूरी हो गई है। केवल सरकार की हां का इंतजार है। कमेटी ने पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है। एससीईआरटी शिक्षकों को तीन दिन ट्रेनिंग देगी।
10.ये हैं कमेटी के एक्सपर्ट(These are the Experts of the Committee)-
वैदिक मैथ पढ़ाने जाने की रुपरेखा तैयार करने वाली कमेटी में वैदिक मैथ के पहले पीएचडी डा. एसके कपूर, विद्या भारती संस्था के प्रमुख देवेंद्र देशमुख, हरियाणा प्रमुख राकेश भाटिया, सह प्रमुख गुलशन छाबड़ा व एससीईआरटी से एचओडी सुनील बजाज शामिल हैं।11.इसलिए वैदिक मैथ पढ़ाए जाने की सिफारिश(Hence the Recommendation to Teach Vedic Math)-
फिलहाल चल रहे मैथड में गुणा करने का केवल एक तरीका है। जबकि, वैदिक मैथ में गुणा करने के 15 आसान तरीके हैं। शिक्षा बोर्ड के रिसोर्स पर्सन राकेश भाटिया ने बताया कि जिस फार्मूले से मिनट लगती हैं, वैदिक मैथ में सेकेंड्स में काम होता है। कहा जा सकता है कि वैदिक मैथ पढने वाला बच्चा ज्यादा तेजी से सवालों के जवाब दे सकता है। गुणा, भाग, पहाड़े, स्क्वेयर, क्यूब रूट, गुणननखंड आदि को बच्चा मौखिक बता सकता है।वैदिक मैथ पढ़ाए जाने के प्रस्ताव को शिक्षा बोर्ड ने अनुमोदित कर दिया है। सिलेबस भी तैयार करा लिया है। अब सरकार की अनुमति का इंतजार है।
डा. जगबीर सिंह
- चेयरमैन, हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड
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