How Students Can Improve Their Skills Through a Mathematics Project

How Students Can Improve Their Skills Through a Mathematics Project

गणित प्रोजेक्ट के द्वारा कैसे निखार सकते हैं विद्यार्थियों का हुनर(How Students Can Improve Their Skills Through a Mathematics Project) -

How Students Can Improve Their Skills Through a Mathematics Project
How Students Can Improve Their Skills Through a Mathematics Project 
1.गणित माॅडल प्रतियोगिता(Math model competition) - 
विद्यार्थियों में रचनात्मकता की प्रवृत्ति होती है। इस रचनात्मकता का उपयोग गणित के माॅडल बनाने में किया जा सकता है। कक्षा के विद्यार्थियों को गणित विषय से जुड़े प्रोजेक्ट को लेकर प्रतियोगिता आयोजित की जानी चाहिए। विद्यार्थी प्रतियोगिता में गणित से सम्बन्धित माॅडल बनाकर प्रदर्शित कर सकेंगे। इससे विद्यार्थियों में गणित के प्रति रुचि बढ़ेगी। उनके हुनर को निखारने में मदद मिलेगी। प्रतियोगिता में गणित के प्रमेय, समीकरण, सूत्र, सिद्धान्त आदि से जुड़े माॅडल बनाकर प्रस्तुत करवाएं जाएं। जिन विद्यार्थियों का माॅडल अच्छा हो, उनका चुनाव करके सम्मानित किया जाना चाहिए तथा अच्छे माॅडल के लिए उनकी प्रशंसा करनी चाहिए। इससे विद्यार्थियों की गणित में रुचि बढ़ने के साथ-साथ उनको प्रेरणा भी मिलेगी।
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2. विद्यार्थियों के अन्दर के वैज्ञानिक का उद्घाटन(Inauguration of scientist inside students) - 

माॅडल प्रतियोगिता से विद्यार्थियों में कुछ अलग हटकर तथा नया करने की प्रेरणा मिलेगी। विद्यार्थियों के अन्दर जो गणितीय प्रतिभा है, उसको निखारने के लिए माॅडल प्रतियोगिता एक अच्छा टूल साबित हो सकता है। विद्यार्थियों के अन्दर के वैज्ञानिक का विकास होता है। कुछ नवीन अनुसंधान करने की जिज्ञासा पैदा होती है। भिन्न-भिन्न विद्यार्थियों के माॅडल को देखकर वे एक-दूसरे से सीखते हैं तथा एक-दूसरे से श्रेष्ठ माॅडल बनाने की प्रेरणा मिलती है।
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3.याददाश्त स्थायी रहती है(Memory lasts) - 

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विद्यार्थी माॅडल में गणित के जिन प्रत्ययों का प्रयोग करता है तो वे प्रत्यय विद्यार्थियों को जीवन भर माॅडल के द्वारा याद रहते हैं। जिन सिद्धान्तों, समीकरणों तथा सवालों के माॅडल तैयार किए गए हैं उनको रटने की जरुरत नहीं होती है। इस प्रकार का आयोजन विद्यार्थियों के हित में परिणाम देता है। विद्यार्थियों की याददाश्त स्थायी हो जाती है। जबकि विद्यार्थी रटकर याद करते हैं तो कुछ समय बाद वे भूल जाते हैं। परन्तु रचनात्मकता तथा माॅडल के द्वारा सवालों को रटना नहीं पड़ता है और सवाल जीवन भर याद रहते हैं।

4.वर्तमान गणित के शिक्षण की स्थिति(Current math teaching status) - 

सभी विद्यार्थियों को एक ही विधि से कक्षा में पढ़ाया जाता है जबकि प्रत्येक विद्यार्थी की मानसिक स्थिति, योग्यता भिन्न-भिन्न होती है। शिक्षक प्रत्येक विद्यार्थी पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान नहीं दे पाता है। इसलिए इस प्रकार की शिक्षा बाल केन्द्रित न होकर ज्ञान केन्द्रित होती है। माॅडल प्रतियोगिता के द्वारा विद्यार्थियों के व्यक्तिगत हुनर का विकास किया जा सकता है। विद्यार्थी अपनी योग्यता व क्षमता के अनुसार गणित के माॅडल तैयार करते हैं। उनमें सुधार के लिए निर्देश दिए जा सकते हैं। इसलिए शिक्षा संस्थानों में माॅडल प्रतियोगिता को बढ़ावा देना चाहिए जिससे उनकी व्यक्तिगत प्रतिभा को निखारा जा सके। गणितीय प्रतिभा को निखारने का यह एक अच्छा माध्यम हो सकता है।
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5.निष्कर्ष (Conclusion) -

विद्यार्थियों को गणित से डर लगता है इसका सबसे बड़ा प्रमाण, CBSE बोर्ड द्वारा सैकण्डरी में गणित के दो पेपर करने पर विद्यार्थियों द्वारा दोनों पेपर में से एक पेपर के चयन करने पर मिला। गणित के दो पेपर हैं-बेसिक मैथ और स्टैंडर्ड मैथ। विद्यार्थियों को इनमें से किसी भी एक पेपर का चुनाव करना था। बेसिक मैथ के पेपर का डिफीकल्टी लेवल, स्टैंडर्ड मैथ के पेपर से सरल था। बेसिक मैथ का पेपर देने वाले विद्यार्थी आगे अध्ययन जारी रखने के लिए ऐच्छिक गणित का चुनाव नहीं कर सकते हैं तथा स्टैंडर्ड मैथ का पेपर देने वाले विद्यार्थी ही आगे गणित का चयन कर सकते हैं। बेसिक मैथ लेने वाले विद्यार्थी यदि आगे गणित विषय का चुनाव करना चाहे तो उन्हें कम्पार्टमेंट के साथ स्टैंडर्ड मैथ का पेपर देना होगा। इसी प्रकार स्टैंडर्ड मैथ लेकर परीक्षा देने वाले विद्यार्थी यदि असफल हो जाते हैं तो कम्पार्टमेंट के साथ बेसिक मैथ का पेपर दे सकते हैं। ऐसी वैकल्पिक व्यवस्था करने के बावजूद रिजल्ट खराब होने के डर से लगभग 70% विद्यार्थियों ने बेसिक मैथ का चयन किया है। यह स्थिति शिक्षकों, विद्यार्थियों और हमारे लिए अच्छी नहीं है। इसलिए गणित के भय को दूर करने तथा उसे सरल करने के लिए माॅडल प्रतियोगिता जैसे रचनात्मक आयोजन किए जाएं तथा विद्यार्थियों की मानसिकता को परिवर्तित किया जाए जिससे विद्यार्थियों में गणित के भय को दूर किया जा सके और गणित रुचि जाग्रत की जा सके। 
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