Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question

Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question

1.दावा: सरजी ने सॉल्व किया Math का 160 साल पुराना Questionका परिचय ( Introduction to Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question)-

गणित एक ऐसा विषय है जिससे बहुत से विद्यार्थियों के कंपकंपी छूट जाती है और दसवीं तक वे जैसे-तैसे उसको उत्तीर्ण करके पीछा छुड़ाना चाहते हैं परंतु कुछ लोग गणित को एक खेल की भांति समझते हैं वे लोग गणित की कई अनसुलझी पहेलियां ,समस्याओं को चुटकियों में हल कर देते हैं ।अन्य लोग उनके इस कार्य की प्रशंसा करते हैं तथा आश्चर्यचकित रह जाते हैं ।ऐसे लोग अति प्रतिभाशाली तथा प्रतिभाशाली होते हैं। आज़ हम ऐसी शख्सियत का परिचय करा रहें हैं वे हैं मशहूर गणितज्ञ सर माइकल एटियो ।सर माइकल एटियो को गणित के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार फील्ड्स मेडल और एबेल प्राइज मिल चुके हैं ।अब उन्होंने गणित के रहस्य जो 160 साल से रहस्य बना हुआ है को हल करने का दावा  किया है वह हाइपोथिसिस है रीमान हाइपोथिसिस ।सीएमआई ने गणित के 7 अनसुलझे समीकरणों को 'मिलेनियम प्राइज' की श्रेणी  में रखा है।रीमान हाइपोथिसिस इन्हीं में से एक है। रीमान हाइपोथिसिस को बहुत जटिल माना जाता है। इसको 1859 में सबसे पहले बर्नहार्ड रीमान ने प्रस्तुत किया था।यह हाइपोथिसिस बताता है कि प्राइम नम्बर (केवल ख़ुद से विभाजित होने वाली संख्या 2,3,5,7आदि) संख्या रेखा पर अनियमित ढंग से वितरित नहीं होते हैं बल्कि एक खास पेटर्न का पालन कर सकते हैं ।समझा जाता है कि विश्व के कई गणितज्ञों ने इसे सुलझाने का प्रयास किया है लेकिन नाकाम रहे हैं। अब देखना यह है कि सर माइकल का दावा कितना सच्चा है यह तो परीक्षण से ही पता चलेगा ।परंतु मन में एक प्रश्न तो उठता ही है कि कुछ लोग गणित को एक खेल समझते हैं जबकि कुछ लोगों के लिए लोहे के चने चबाने के समान है ।मनोविज्ञान के अनुसार कुछ लोग जन्मजात प्रतिभा के धनी होते हैं ।भारतीय दर्शन के अनुसार प्रत्येक मनुष्य जन्म लेने के साथ पिछले जन्मों के कर्म और संस्कार लेकर आता है ।वे कर्म और संस्कार सुप्त अवस्था में रहते हैं ।परंतु यदि उनकी इस प्रतिभा को पहचान कर उसे जागृत किया जाए तो उस प्रतिभा के कार्य आश्चर्यचकित करने वाले होते हैं। पूर्व जन्म के अच्छे कर्म होते हैं और इस जन्म में भी अच्छे कर्म हों अर्थात् भाग्य उसके अनुकूल हो और पुरुषार्थ प्रबल और भाग्य के अनुकूल हो तो ऐसी स्थिति में इनके कार्य आश्चर्यचकित करने वाले होते हैं ।परंतु यदि स्थिति उल्टी हो यानी आपका भाग्य कमजोर हैं तथा वर्तमान में अच्छे कर्म प्रबल हो तो ऐसी स्थिति देखने को नहीं मिलती है। ऐसे मनुष्य अपने पूर्व जन्म के बुरे कर्मों के फल भुगत रहा होता है और जीवन में बहुत कड़ा संघर्ष करने के बाद में सफलता मिलती है । पूर्व जन्म का पुरुषार्थ प्रबल हो अर्थात अच्छे कर्म हो और वर्तमान जन्म में दुर्बल पुरुषार्थ हो तो भी ऐसी उत्तम स्थिति देखने को नहीं मिलती है अर्थात् कड़े संघर्ष के बाद ही सफलता मिलती है ।पूर्व जन्म तथा वर्तमान जन्म दोनों के कर्म दुर्बल हो अर्थात पूर्व जन्म में भी  बुरे कर्म किए हैं तथा इस जन्म में भी बुरे कर्म ज्यादा कर रहा हो तो ऐसा मनुष्य पाप कर्मों में लिप्त पाया जाता है।वास्तविकता यह है कि कर्म के रहस्य को बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों के लिए ही अबूझ पहेली बने हुए हैं तो हमारा जैसा सामान्य मनुष्य कहां लगता है ।लेकिन हमने भारतीय धर्म दर्शन तथा अन्य ग्रंथों को पढ़ने के बाद अपनी मोटी बुद्धि से यह विवरण प्रस्तुत किया है ।
सर माइकल एक महान गणितज्ञ है तथा उन्होंने गणित में नोबेल पुरस्कार कहे जानेवाले फील्ड्स मेडल तथा एबेल प्राइज प्राप्त कर चुके हैं। इसके आधार पर यह तो कहा ही जा सकता है कि गणित में उन्होंने अद्भुत कार्य किया है। इसलिए इस लिहाज से भी पाठकों को हम ऐसी प्रतिभा से परिचित कराना जरूरी समझते हैं। हमारे पास जो भी जानकारी होती है या हमें जो भी ज्ञान है हम पाठकों को उसकी जानकारी तत्काल देना चाहते हैं ताकि उनको भी प्रेरणा मिल सके ।
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गणित को कठिन समझने वालों की मानसिकता में परिवर्तन हो सकता है और उनको ऐसी प्रतिभाओं से परिचय कराने पर प्रेरणा मिल सकती है ।हमारा काम आप तक इस ज्ञान को पहुंचाना है बाकी आप इससे कितना लाभ उठा पाते हैं, उठा सकते हैं यह हम आप पर छोड़ते हैं क्योंकि हमारे हाथ में इतना ही है। ऐसी अद्भुत जानकारी ज्योंही  हमें मिलती है हम तत्काल उसको आप तक पहुंचाते हैं ।आशा है आप इसे लाभ उठाएंगे।

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2.दावा: सरजी ने सॉल्व किया Math का 160 साल पुराना Question(Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question)-

 Published: Sep 30, 2018
Michael Atiyah,Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question
Michael Atiyah,Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question
गण‍ित एक ऐसा विषय है, जिससे अध‍िकतर लोग स्‍कूल के दिनों से ही खौफ खाते हैं। लेकिन कुछ जीनियस ऐसे भी हैं, जो अंकों से खेलते हैं और उसी में जिंदगी बसर करते हैं। ऐसे ही एक मशहूर गण‍ितज्ञ हैं सर माइकल एटियो। जनाब 89 साल के हैं और गण‍ित की दुनिया में दो सबसे सम्‍मान फील्‍ड्स मेडल और एबेल प्राइज पा चुके हैं।

3.सच हुआ दावा तो मिलेंगे 7 करोड़ रुपये(7 crores will be claimed if the claim is true)-

सर माइकल ने हाल ही जर्मनी में आयोजित हेडेलबर्ग लॉरेट फोरम में दावा किया है कि उन्‍होंने गण‍ित के एक और रहस्‍य को सुलझा लिया है। उनका दावा है कि उन्‍होंने रीमान हाइपोथ‍िसिस (परिकल्पना) को सॉल्‍व कर लिया है। दिलचस्‍प बात यह है कि यह हाइपोथ‍िसिस 160 साल से गण‍ित की दुनिया के लिए रहस्‍यमई रहा है। जबकि यदि माइकल का दावा सही निकलता है तो वह 1 मिलियन डॉलर यानी आज की तारीख में 7 करोड़ 25 लाख रुपये के इनाम के हकदार बन जाएंगे।

4.प्राइम नंबर्स कैसे तय होते हैं?(How are prime numbers decided?)-

रीमान हाइपोथिसिस बहुत ही जटिल माना जाता रहा है। यदि सर माइकल का दावा सही निकलता है, तो हम प्राइम नंबर (प्रधान संख्‍या) की उपस्‍थ‍िति की भविष्यवाणी कर पाएंगे। अब तक तथ्य यह है कि प्राइम नंबर संख्या रेखा पर अनियमित ढंग से वितरित किए जाते हैं। सर माइकल के दावे की दूसरे वैज्ञानिक और गण‍ितज्ञ जांच करेंगे, जिसके बाद उन्‍हें कैम्‍ब्र‍िज स्‍थ‍ित क्‍ले मैथेमेटिक्‍स इंस्‍ट‍िट्यूट (सीएमआई) से 1 मिलियन डॉलर का पुरस्‍कार म‍िल सकता है।
Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question
Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question
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5.1859 में बर्नहार्ड रीमान ने दिया था तर्क(Bernhard Reeman argued in 1859)

Bernhard Reeman,Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question

Bernhard Reeman,Claim: Sarji Solved Math's 160 Year Old Question

सीएमआई ने गण‍ित के 7 अनसुलझे समीकरणों को ‘मिलेनियम प्राइज’ की श्रेणी में रखा है। रीमान हाइपोथ‍िसिस इन्‍हीं में से एक है। साल 1859 में सबसे पहले बर्नहार्ड रीमान ने इस हाइपोथ‍िसिस को प्रजेंट किया था। यह बताता है कि प्राइम नंबर (केवल खुद से विभाजित होनी वाली संख्‍या 2,3,5,7 आदि) संख्‍या रेखा पर अनियमित ढंग से वितरित नहीं होते है, बल्‍क‍ि एक खास पैटर्न का पालन कर सकते हैं। समझा जाता है कि तब से अब तक बड़े-बड़े गण‍ितज्ञों ने करोड़ों बार इस होइपोथ‍िसिस को सुलझाने की कोश‍िश की, लेकिन नाकाम रहे।



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