Math revolution in the modern age in hindi

Math revolution in the modern age :Modern Mathematics 

(1.)आधुनिक गणित (Modern Mathematics) :-

Math revolution in the modern age

Math revolution in the modern age

औद्योगिक और वैज्ञानिक युग की आवश्यकताओं के कारण गणित के परम्परागत पाठ्यक्रम के विरुद्ध एक आन्दोलन का जन्म हुआ जिसके कारण आधुनिक गणित में पाठ्यक्रम का विकास हुआ। गणित शिक्षा के जगत् में आधुनिक गणित को अधिक उपयोगी पाया गया। नई बीजगणित भाषा ने गणित को एकदम नया स्वरूप प्रदान कर गणित को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया। विश्वभर में प्रगतिशील गणितज्ञों ने गोष्ठियाँ कर आधुनिक गणित के स्वरूप को निर्धारित किया एवं पाठ्यक्रमों में वांछित परिवर्तन किये। भारत में गणित के पाठ्यक्रमों में परिवर्तन करने में बहुत विलम्ब हुआ। हमारे पिछड़ेपन का कारण हमारे शिक्षा प्रशासक रहे। इन्होंने आधुनिक गणित के पाठ्यक्रम को तब स्वीकार किया जब रूस, अमेरिका, जापान आदि प्रगतिशील देशों ने आधुनिक गणित के पाठ्यक्रम को लाभप्रद ही नहीं वरन प्रगति के लिए अनिवार्य माना। विश्वभर में औद्योगिक प्रगति का आधार आधुनिक गणित को ही माना जाता है। नवीन पाठ्यक्रमों का विश्व में प्रचार किया गया।
Famous mathematician Sophie Germain

Famous mathematician Sophie Germain


(2.)प्राथमिक स्तर से गणित में क्रांति (Math revolution from primary stage)-

विकास के किसी भी स्तर पर कोई भी विषय बौद्धिक ईमानदारी से किसी भी बालक को प्रभावी ढंग से पढाया जा सकता है। गणित के इस विचार के कारण गणित अध्यापन जगत को एक नई दृष्टि मिली। गणितज्ञों ने इस बात को स्वीकार कर लिया कि छोटी कक्षाओं में भी आधुनिक गणित की विषयवस्तु को सफलता के साथ पढ़ाया जा सकता है। आधुनिक गणित पिछले 100 वर्षों के अनुसंधान की देन है। समय की माँग और मनोवैज्ञानिक संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए आधुनिक गणित का एकीकृत पाठ्यक्रम तैयार किया गया।
आधुनिक गणित के बारे में विश्वभर में चिंतन तब शुरू हुआ जब रूस ने 1957 ई. में सफलतापूर्वक स्पूतनिक अन्तरिक्ष में भेज दिया। अमेरिका, इंग्लैंड, जापान तथा अन्य प्रगतिशील देशों ने रूस के सफल अन्तरिक्ष अभियान के कारण स्वीकार किया कि अवश्य उनका गणित का पाठ्यक्रम पुराना ही नहीं वरन् अनुपयोगी एवं प्रगति में बाधक सिद्ध हुआ है। इन देशों ने अपने यहाँ गणित के पाठ्यक्रमों को आधुनिक बनाने हेतु सफल प्रयत्न किए। उन्होंने पुरानी गणित में नवीन संरचनाओं का समावेश कर गणित को नवीन भाषा एवं विषयवस्तु प्रदान की। इंग्लैंड में School Mathematics Study Group की स्थापना कर परम्परागत गणित के स्थान पर शिक्षा संस्थानों में आधुनिक गणित का अध्यापन शुरू किया गया । परम्परागत ज्यामिति का बहिष्कार कर 'Euclid must go' का नारा दिया गया। नवीन महत्त्वपूर्ण उपविषयों तथा उनके अनुप्रयोगों के महत्त्व को समझकर गणित के पाठ्यक्रमों में प्रगतिशील एवं आधुनिक गणित को सारगर्भित आधार प्रदान किया।

(3.)गणित में नवीन खोजें (New Innovation in Mathematics)-

गणित में समुच्चय भाषा का प्रयोग कर नई संकल्पनाओं को गणित पाठ्यक्रमों में सम्मिलित किया गया। समुच्चय, समूह, रिंग, सदिश, रेखिक प्रोग्रामन, प्रायिकता माॅडल, ग्राफ सिद्धान्त आदि उपविषयों को नवीन पाठ्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण स्थान दिया गया। गणना करने की योग्यता (जोड़, बाकी, गुणा, भाग करने की क्षमता) को महत्त्वपूर्ण नहीं माना गया। ऐसे क्षेत्रों का पता लगाया गया जहाँ आधुनिक गणित का निर्माण कर व्यावहारिक समस्याओं को हल करना अपेक्षित है। यह पाया गया कि आणविक शक्ति, कम्प्यूटर, आकाशीय उड़ान, संक्रिया शोध, औद्योगिक व्यवस्थापन आदि ऐसे क्षेत्र हैं जहां समस्याओं का हल आधुनिक गणित के अनुप्रयोग से ही सम्भव है। गूढ़ चिंतन एवं अनुसंधान के कारण गणित की संरचना में मूलभूत परिवर्तन किये गये। नई शब्दावली, प्रतीकों, चिन्हों, प्रविधियों, परिकल्पनाओं, उपपत्तियों, गुणधर्मों, क्रियाविधियों, संरचनाओं का निर्माण कर पारम्परिक गणित को आधुनिक स्वरूप प्रदान किया गया। नवीन गणित में अनुभवपरकता तथा वस्तुगत ज्ञान को जीवन तथा गतिशीलता प्रदान करने वाले तत्त्व माने गए हैं।
आधुनिक गणित के विकास में हमारी कक्षाओं में व्याप्त दुखदायी एवं निरर्थक अध्यापन प्रक्रिया के प्रति विद्रोह का योगदान रहा है। परम्परागत गणित की कक्षाओं में विद्यार्थियों में गणित के प्रति नफरत एवं घुटन साधारण बात थी। पुराने गणित के अध्यापक गणना पर अधिक जोर देते थे तथा कक्षा का वातावरण निरन्तर प्रेरणाहीन बना रहता था। इसके कारण देश में विश्वस्तरीय गणितज्ञों की कमी खटकती रही। कक्षा में चिंतन, प्रत्यक्षीकरण, आगमन, सामान्यीकरण जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं का घातक अभाव था। परम्परागत गणित के अध्यापक विषयवस्तु से भी अनभिज्ञ पाये जाते रहे हैं। उनको प्रश्नों के उत्तर तक याद रहते थे किन्तु प्रक्रियाओं की वैज्ञानिक विधियों का ज्ञान उन्हें नहीं था। ब्लैक बोर्ड पर अर्थपूर्ण चित्र, कक्षा में माॅडल, गणित इतिहास की परिचर्चा आदि जैसी महत्वपूर्ण विधायें परम्परागत अध्यापकों में लोकप्रिय नहीं थी।
आधुनिक गणित के कारण नागरिकों में गणितीय साक्षरता का विकास सम्भव होगा। उनमें तर्क, समस्या हल करने की क्षमता, गणितीय संरचनाओं का जीवन की स्थितियों में उपयोजन आदि क्षमताओं का विकास होगा। आधुनिक गणित ने गणित को एकीकृत स्वरूप प्रदान किया है। अब गणित का स्वरूप 'एक पक्षीय' नहीं रहा है। अंकगणित तथा ज्यामिति को एकीकृत स्वरूप प्रदान किया जा चुका है। अब संख्या रेखा, निर्देशांक, समुच्चय, प्रतिच्छेदन, लघुत्तम तथा महत्तम आदि उपविषयों को परस्पर सम्बन्धित कर एकीकृत रूप प्रदान किया गया है। यह स्पष्ट हो गया है कि गणित में केवल अभ्यास हानिकारक होता है।
कक्षाओं में विषयवस्तु के प्रसार के रूप में समुच्चय तथा तार्किक संकल्पनायें, प्रतिचित्रण, फलन, समीकरण तथा असमीकरण, निगमनात्मक तर्क की व्याकरण आदि का पढ़ाया जाना नवीन गणित के पाठ्यक्रमों में एक सफल उपलब्धि है।हमें छोटी कक्षाओं में ही अधिक और अधिक गणित तथा बीजगणितीय आधार को आधुनिक गणित के सूत्र मानकर अध्यापन करना चाहिए।
लघुगुणक, क्रमचय तथा संचय, घातांकी फलन, प्रायिकता, फलनों का विश्लेषण, विश्लेषणात्मक ज्यामिति, स्थान विज्ञान, दीर्घवृत्तीय फलन, बहुपद, क्रम, बीजीय संरचनाएं, आकलन, बूलीयन बीजगणित, रूपांतरण, कम्प्यूटर्स, संख्या प्रणाली, सांख्यिकी, रैखिक प्रोग्रामन आदि आधुनिक उपविषयों का विद्यालयों में परम्परागत विषय लाभ-हानि, प्रतिशत, औसत, यूक्लिड ज्यामिति, ब्याज, समय तथा दूरी आदि ही पढ़ाए जाते रहते। इस प्रकार हमारे विद्यार्थी एक छोटी गणना मशीन बनकर ही रह जाते।
इस युग के गणित अध्यापकों को निरन्तर गणित में समावेश नवीन विचारों का अध्ययन करते रहना चाहिए क्योंकि प्रति 10-15 वर्षों में गणित में नई क्रांति का आगमन होता है। गणित में हो रहे परिवर्तनों के साथ-साथ अध्यापन के आयामों तथा विधियों में भी परिवर्तन आवश्यक है।


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