Development of Modern Mathematics in hindi

आधुनिक गणित का विकास (Development of Modern Mathematics)-

 (1.)प्राचीनकाल में गणित का विकास (Development of Mathematics in Ancient Time)-

Development of Modern Mathematics

Development of Modern Mathematics

आदिकाल से ही मानव तथा गणित का अटूट सम्बन्ध रहा है तथा मानव जीवन से सम्बंधित समस्याओं को हल करने में इस विषय ने विभिन्न प्रकार से महत्त्वपूर्ण सहायता की है ।गणित मनुष्य की प्रकृति का भाग है तथा शनैः शनैः मनुष्य ने स्वयं की प्रकृति को समझने में गणित का विकास किया एवं दैनिक जीवन सम्बन्धी जटिल परिस्थितियों को सुधारने में भी उसका उपयोग किया है ।
 गणना (calculation) शब्द का जन्म लैटिन भाषा के 'केलकुली' (calculi) से हुआ है जिसका अर्थ है कंकड(pebbles) ।प्राचीन काल में गणित का विषय अधिक विकसित नहीं था ।मानव दिन-प्रतिदिन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपक्व (crude) गणित का प्रयोग करते थे ।उदाहरणार्थ गणना करने के लिए उंगलियों, कंकड़, गोलियों का प्रयोग किया जाता था ।
 आधुनिक गणित का विकास मन्दगति से हुआ है तथा इसका वर्तमान स्वरूप एक लम्बी अवधि के सतत प्रयासों का फल है ।मनुष्य ने सर्वप्रथम अंकों का प्रयोग करना कब सीखा यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता परन्तु यह अवश्य निश्चित है कि गिनने का ज्ञान मनुष्य को अति प्राचीन काल में भी था ।वह अपने हाथ की ऊँगलियों से या ऊँगलियों पर बने निशानों से तुलना करके अपने पशुओं तथा अन्य वस्तुओं को गिना करता था, धीरे-धीरे गिनती सीखने के बहुत दिनों के बाद मनुष्य को ठीक-ठीक गणना करने का ज्ञान हुआ ।इसके महत्त्व को समझने में कई सदियाँ बीत गई होंगी तत्पश्चात् गणित का विस्तार विश्व की समस्त जातियों में फैलने लगा ।भारत, चीन, मैसोपोटामिया और मिश्र आदि में इसका विकास सभ्यता के उदय से पूर्व हो चुका था, अरब तथा यूरोप के विद्वानों ने इसे सीखकर इसका पुन: निर्माण करके आधुनिक युग में प्रतिस्थापित किया ।

 (2.)मध्यकालीन गणित का विकास (Development of Mediaeval Mathematics)-

आज गणित की चार प्रमुख शाखाएँ हैं - ज्यामिति (ज्योमेट्री), बीजगणित (अलजेबरा), गणितीय विश्लेषण (मैथेमेटिकल अनालिसिस) तथा संख्या सिद्धान्त (नंबर थ्योरी) ।इसके अतिरिक्त इसे और भी कई छोटी-छोटी शाखाओं में बाँटा जा चुका है ।विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के अतिरिक्त आज इसका उपयोग अर्थशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, समाजशास्त्र तथा मनोविज्ञान आदि में किया जाता है ।प्राचीन गणित से आधुनिक गणित तक पहुँचने में जिन गणितज्ञों को अथक परिश्रम करना पड़ा उनमें पाइथागोरस, यूक्लिड, न्यूटन, गाउंस, रीमान, जोन्स गैलवा आदि के नाम उल्लेखनीय हैं ।फोर्क्स, जोन्स बोलिए, कार्ल फ्रेडरिक, गाऊंस तथा लोवाच्वस्की आदि गणितज्ञों ने नाॅन-यूक्लिडयन ज्यामिति का आविष्कार किया तथा गाउस ने complex Number सम्बन्धी बीजगणित का विकास किया ।

(3.)आधुनिक गणित का विकास (Development of Modern Mathematics)-

 आज जो गणित का रूप बन चुका है उसका विस्तारपूर्वक अध्ययन करना बहुत कठिन हो गया है ।आज गणित में जो भी शोधकार्य किया जा रहा है वह इतना गूढ़ होता जा रहा है कि उसे देखकर लगता है कि भविष्य में गणित की विभिन्न शाखाओं में होनेवाले कार्य को केवल उसका शोधकर्ता ही समझ पाएगा ।
 आधुनिक गणित में मुख्यत: आधुनिक बीजगणित को सबसे अधिक महत्त्व दिया जा रहा है ।आधुनिक बीजगणित से पहले गणित का मुख्य भाग ज्यामिति पर ही आधारित था तथा ज्यामितीय व्याख्या देकर ही अधिक से अधिक सिद्धान्तों को सिद्ध किया जाता था ।ईसा पूर्व से लेकर न्यूटन के समय तक यूक्लिड की ज्यामिति का ही बोलबाला रहा ।अल्बर्ट आंइनस्टीन ने अपने सापेक्षवाद के सिद्धान्त में भले ही यूक्लिड की ज्यामिति की उपेक्षा की और इसके विरुद्ध विद्रोह किया परन्तु फिर भी उन्होंने बीजगणित को वह महत्त्व नहीं दिया जो रिमानी ज्यामिति को ।
Development of Modern Mathematics

Bust of Boole at University College Cork


 सर्वविदित है कि आंइनस्टीन ने अपने सापेक्षवाद में ज्यामिति का उपयोग ब्रह्माण्ड की संरचना तथा विस्तार में जहाँ तक हो सका किया और उसमें पूरी तरह सफल भी रहे ।जबकि इसके विपरीत 19वीं शताब्दी के शुरू में ही कुछ गणितज्ञों ने यह अनुभव किया कि बीजगणित ज्यामिति से अधिक उपयोगी सिद्ध हो सकता है ।इसमें संदेह नहीं कि बीजगणित का कुछ भाग जिसे'लीनियर एलजेबरा' कहते हैं, विज्ञान की विभिन्न शाखाओं में काफी सहायक सिद्ध होता रहा है।फलस्वरुप दैनिक जीवन में भी बीजगणित का उपयोग आसानी से किया जाने लगा ।महान् गणितज्ञ 'डेस्कार्ट' ने निर्देशांक ज्यामिति की समस्याओं में बीजगणित का उपयोग करके उसे ज्यामिति से दूर तथा बीजगणित के पास लाने का प्रयास किया ।इसी प्रकार जार्ज बूल ने 19वीं शताब्दी में बीजगणित पर आधारित अनेक सिद्धान्त प्रस्तुत किए ।उनका विश्वास था कि वह अपने बीजगणितीय सिद्धान्तों से महान् अरस्तू के उन तर्को का समाधान प्रस्तुत कर देंगे जिन्हें उसने केवल ज्यामिति द्वारा हल किया था ।बूल ने अपने सिद्धान्तों को एक श्र्ंखला से बांधकर नये बीजगणित की स्थापना की जो आगे चलकर बुलियन एलजेबरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ ।आज इलेक्ट्राॅनिक कम्प्यूटर बनाने में बुलियन बीजगणित की व्यावहारिक उपयोगिता को मानने से इन्कार नहीं किया जा सकता है ।
 इस प्रकार हम देखते हैं कि गणित का जो आधुनिक रूप बन चुका है वह पूरी तरह तर्कसंगत होते हुए भी यथार्थवादी तथा व्यावहारिक है ।आज महान् गणितज्ञ कैण्टर, बूल, गैलवा नहीं हैं लेकिन गणित के क्षेत्र में उनकी महान देन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है ।गणित एक सच्चाई है, हर वस्तु को मापने की एक सच्ची कसौटी है ।इसकी कला एक दार्शनिकता है, विचारों को संक्षेप में कहने, सुनने और लिखने की अद्भुत क्षमता /भाषा है ।यह वह ज्ञान, अनुभव, अनुभूति शक्ति तथा विचार शक्ति है जो सभी विज्ञानों के महान् लक्ष्य को स्पर्श करती है ।प्रस्तावनाओं की संपुष्टि, वैज्ञानिक सिद्धान्तों का एकीकरण न केवल विज्ञान की बल्कि मानव बुद्धि की भी चिर आकांक्षा रही है जिसे आज गणित ही तर्क के आधार पर सुचारु रूप से संगठित करता है ।

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