Mathematics Teacher in Hindi ||गणित अध्यापक
April 20, 2019
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satyam coaching centre
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Mathematics Teacher
गणित अध्यापक(Mathematics Teacher)
Mathematics Teacher |
आधुनिक युग में पाठ्यक्रम, विद्यार्थी तथा अध्यापक तीनों का शिक्षण कार्य में महत्वपूर्ण स्थान तथा महत्त्व है. परन्तु इन तीनों में अध्यापक का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि विद्यार्थी को पाठ्यक्रम व विषयवस्तु को समझाने और प्रस्तुत करने का दायित्व अध्यापक का ही होता है. प्रत्येक अध्यापक में कुछ न कुछ गुण व विशेषताएं अवश्य होनी चाहिए ताकि उस विषय को पढ़ने में विद्यार्थी रुचि ले सके. परन्तु गणित विषय अन्य विषयों की तुलना में अत्यधिक जटिल विषय है तथा उसको समझाने, समझने के लिए उच्च स्तर की तार्किक क्षमता, चिंतन, कल्पना शक्ति तथा निर्णय शक्ति की आवश्यकता होती है.
गणित एक ऐसा विषय है जिसके अध्ययन के लिए शिक्षक में उक्त गुणों के साथ साथ उच्च बौद्धिक क्षमता, धैर्य, एकाग्रता, समर्पण भाव की आवश्यकता होती है. गणित शिक्षक(Mathematics Teacher) में यदि सूझबूझ, विषय का गहराई से ज्ञान, छात्रों की कठिनाइयों से परिचित हो तो वह गणित को अत्यंत रोचक बना सकता है तथा छात्रों में तार्किक क्षमता एवं मानसिक शक्ति का विकास कर सकता है. इसके अतिरिक्त गणित के शिक्षक में सफल शिक्षण के लिए निम्न गुणों का होना आवश्यक है -
(1.)गणित विषय का गहराई से ज्ञान (Deep knowledge of Mathematics):-
आज का युग तकनीकी युग है अतः विषय सामग्री में नयी नयी खोजे हो रही है तथा पाठ्यक्रमों में निरन्तर परिवर्तन कर दिया जाता है. अतः गणित अध्यापक को विषय का गहराई से तभी ज्ञान हो सकता है जबकि उसकी अध्ययन की प्रवृत्ति हो तथा नवीन ज्ञान सीखने की रूचि हो. इसलिए गणित अध्यापक को नई नई पुस्तकें, पत्रिकाओं को पढ़ते रहना चाहिए और ज्ञान व जानकारी में uptodate रहना चाहिए.
(2.) सकारात्मक दृष्टिकोण(Positive perspective): -
यदि गणित के प्रति अध्यापक का सकारात्मक दृष्टिकोण होगा तो अध्यापक गणित को आवश्यक, उपयोगी एवं महत्वपूर्ण बना सकता है. विद्यार्थियों का सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकता है.
(3.)व्यावसायिक दृष्टिकोण(Professional perspective) :-
आज का युग आर्थिक, तकनीकी और वैज्ञानिक युग है अतः गणित तथा विज्ञान का देश के आर्थिक, तकनीकी और विज्ञान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है. अतः जो अथ्यापक गणित को पढ़ाना मजबूरी समझते हैं वे विद्यार्थियों की गणित विषय में रुचि जाग्रत नहीं कर सकते हैं जिन अध्यापकों की अपने व्यवसाय में निष्ठा होती है वे अपने कार्य को कर्मठता से करते हैं वे विद्यार्थियों में अध्ययन के प्रति रूचि उत्पन्न कर देते हैं.(4.)गणित को पढ़ाने का अनुभव(Experience to Teach Mathematics) :-
जिन अध्यापकों को गणित पढ़ाने का अनुभव होता है वे गणित विषय को सरल रुप में विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं. यदि अध्यापक को अनुभव नहीं होता है तो तो अध्यापक की त्रुटियों का विद्यार्थियों के सीखने पर प्रभाव पड़ता है. इसलिए गणित के शिक्षक को व्यापक और गहरा ज्ञान होना चाहिए तथा हमेशा ज्ञान ग्रहण करते रहना चाहिए.
(5.)अन्य विषयों का ज्ञान(Knowledge of Other Subjects) :-
गणित का सम्बन्ध अन्य विषयों से भी होता है. जैसे रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान इत्यादि. अतः विद्यार्थी अन्य विषयों से संबंधित प्रश्न पूछे तो उसका समाधान करना चाहिए. भौतिक विषयों के अतिरिक्त नैतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकों का ज्ञान भी होना चाहिए जिससे विद्यार्थियों के जीवन से सम्बंधित समस्याओं का समाधान कर सके.
(6.)मनोविज्ञान का ज्ञान (Knowledge of Psychology):-
गणित के शिक्षक को मनोविज्ञान का व्यावहारिक ज्ञान भी आवश्यक है क्योंकि एक ही कक्षा में विभिन्न बौद्धिक स्तर के विद्यार्थी होते हैं. किसी विद्यार्थी को संक्षेप में समझ में आ जाता है तथा किसी को विस्तृत रूप से समझाने पर समझ में आता है. प्रत्येक विद्यार्थी के सीखने की मानसिक क्षमता अथवा स्तर समान नहीं होता है. अतः अधिक मेधावी, मध्यम तथा मन्दबुद्धि बालकों की पढ़ने में रूचि का विकास तभी किया जा सकता है जबकि अध्यापक को मनोविज्ञान का ज्ञान होगा.
(7.)सदाचार युक्त जीवन(Life containing Virtue) :-
गणित के शिक्षक का जीवन सदाचार युक्त होगा अर्थात् शिक्षक का जीवन पवित्र, शुद्ध, विनम्रता युक्त, धैर्यवान्, साहसी, विवेकवान इत्यादि गुण होंगे तो विद्यार्थियों को प्रभावी ढंग से शिक्षण कार्य करायेगा. यो ये गुण अन्य विषय के अध्यापक में भी मौजूद होते हैं परन्तु गणित जैसे जटिल विषय के पढ़ाने वाले अध्यापक में ये गुण आवश्यक रूप से होने चाहिए विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए प्रेरणा मिले.
(8.)गणित के व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी(Practical Knowledge of Mathematics) :-
गणित का व्यवहार में कहाँ-कहाँ किस रूप में प्रयोग किया जाता या किया जा सकता है। जैसे घर का बजट बनाने, आय, मजदूरी, वस्तुओं के तौलते समय, घड़ी में समय देखते समय, बस का किराया देते समय, गणना करने में या अनुपात औसत निकालते समय इत्यादि विभिन्न कार्यों में गणित का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार का ज्ञान होने से छात्रों को उसकी व्यावहारिक उपयोगिता बताई जा सकती है।
(9.)नवीन तकनीकी का ज्ञान (Knowledge of new Technology):-
विश्व के नागरिकों को निकट लाने में तकनीकी ज्ञान की आज के युग में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। आज तकनीकी ज्ञान के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गणित के ज्ञान के प्रसार का लैपटॉप, मोबाइल, कम्प्यूटर व इंटरनेट के माध्यम से आसानी से हो तथा तीव्र गति से हो रहा है। शिक्षक घर बैठे कई समस्याओं का समाधान इनके माध्यम से छात्रों को आसानी से कभी भी, कहीं पर भी उपलब्ध करा सकता है। आज समाज की आर्थिक प्रगति तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करती है जिसके कारण हमें जीवन में आनन्द, सुख और समृद्धि उपलब्ध हो सकता है। भावी जीवन में भी गणित के अधिक उपयोग की सम्भावना है।
(10.)गणित की शिक्षण विधियों का ज्ञान(Knowledge of Mathematics Teaching Method) :-
गणित के अध्यापक को गणित के ज्ञान के साथ-साथ गणित की अध्यापन विधियों जैसे आगमन-निगमन विधि ( Inductive-Deductive method), संश्लेषण-विश्लेषण (synthetic-analytic method), अनुसंधान विधि (Heuristic method), प्रयोगशाला विधि ( Laboratory method), समस्या निवारण विधि (problem solving method) का ज्ञान होना आवश्यक है. अक्सर गणित की विषय सामग्री का ज्ञान तो होता है परन्तु विधि का ज्ञान न होने से गणित का अध्यापक पारम्परिक तरीके से गणित को पढ़ाते हैं. गणित के अध्यापक को यह ज्ञात होना चाहिए कि किस गणित तथा किस समस्या में कौनसी विधि का प्रयोग उचित होगा. यदि इसका ज्ञान होगा और उसका प्रयोग करेगा तभी वह शिक्षण में सफल हो सकेगा.
वस्तुतः गणित की अनेक शाखाएं जैसे बीजगणित, अंकगणित, ज्यामिति, त्रिकोणमिति इत्यादि इन सभी का गणित के अध्यापक को अध्यापन कराना होता है परन्तु इनकी विषय सामग्री में आपस में ज्यादा समानता नहीं है.इसलिए उसको समझना होगा कि गणित की किस शाखा में कौनसी विधि उपयुक्त रहेगी. गणित के अध्यापक(Mathematics Teacher) को यह ध्यान रखना होगा कि विद्यार्थियों के मस्तिष्क में यह विचार पैदा नहीं होने देना चाहिए कि इनका आपस में कोई सम्बन्ध नहीं है बल्कि उसे यह अनुभव कराना चाहिए कि इनका आपस में सम्बन्ध है तथा इन सभी का ज्ञान आवश्यक है.
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