Interesting and Effective Learning in Mathematics in hindi

Interesting and Effective Learning in Mathematics

गणित में रोचक और प्रभावी अधिगम ( Interesting and Effective Learning in Mathematics)

Interesting and Effective Learning in Mathematics

Interesting and Effective Learning in Mathematics

(1.)भूमिका (Introduction) :-

यह दुर्भाग्य ही है कि विद्यार्थियों और शिक्षित लोगों के मध्य गणित को अत्यंत रोचक विषय के बजाय एक कठिन विषय के रूप में जाना और समझा जाता है. इसका कारण यह है कि विद्यार्थियों की इस विषय में रूचि और जिज्ञासा की कमी, सीखने की ललक न होना और अध्यापकों द्वारा ठीक तरह से न पढ़ाना प्रमुख है. यह एक मनोवैज्ञानिक सत्य है कि विद्यार्थी की जिस विषय में रूचि व जिज्ञासा होती है और अध्यापक स्वेच्छा से अध्यापन के कार्य को चुनता है तो दोनों ही उस विषय में कठिन परिश्रम करते हैं. विद्यार्थी, अध्यापक द्वारा पढ़ाए गए पाठ से निरन्तर और ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने की कोशिश करता है. यही बात गणित के सीखने(Learning of Mathematics) को स्थायित्व प्रदान करती है. इसलिए सर्वप्रथम अध्यापकों को यही चिन्तन करना है कि किस ढंग और युक्ति से गणित को रूचिकर और प्रभावी सीखने (Interesting and Effective Learning of Mathematics) का विषय बनाया जा सकता है.

(2.)गणित में रूचि को स्थायित्व प्रदान करना(Maintain Interest in Mathematics) :-

यह कटु सत्य है कि विद्यार्थी की रूचि (Interest) व लगन जिस विषय में होती है, विद्यार्थी उस विषय को निरन्तर पढ़ता है और निरन्तरता से स्थायित्व आता है. प्रारम्भिक कक्षाओं में अध्यापकों का यह कर्त्तव्य है कि विद्यार्थियों में गणित के प्रति रूचि (Interest in Mathematics) का निर्माण करना और उसमें स्थायित्व प्रदान करना सबसे प्रमुख कर्त्तव्य है. विद्यार्थियों की रूचि में स्थायित्व तभी आता है जबकि गणित शिक्षण में नवीनता का समावेश भी रहता है क्योंकि नवीनता के समाप्त हो जाने से रूचि व जिज्ञासा समाप्त हो जाती है.
सामान्यतः विद्यार्थी ऐसे विषय में रूचि रखने लगते हैं जो नवीन हो और उनके मस्तिष्क को सोचने व झकझोरने को प्रेरित करता है, साथ ही जो व्यावहारिक दृष्टि से भी उपयोगी और महत्वपूर्ण हो. इस प्रकार रूचि को बनाए रखने में नवीनता, उपयोगिता, जिज्ञासा और जीवन में उसकी व्यावहारिक महत्त्वता आधारभूत तत्त्व हैं. ये तत्त्व नहीं होते हैं तो विद्यार्थियों की रूचि (Interest) को बनाए रखना बहुत मुश्किल है. इसके साथ ही जिस विषय या पाठ को विद्यार्थी समझते हैं या उनके समझ में आ जाता है तो उस विषय या पाठ को सफलतापूर्वक सीख (Learning) सकते हैं और उनकी रूचि(Interest) निरन्तर बनी रहती है. इसके विपरीत जो विषय समझ में नहीं आता है या जिस विषय व पाठ को विद्यार्थी को ठीक से समझाया नहीं जाता है तो उस विषय से विद्यार्थी का ध्यान हट जाता है फलस्वरूप विद्यार्थियों की रूचि (Interest) उस विषय में कम हो जाता है.

(3.)गणित में अन्त:प्रेरणा और प्रोत्साहन का विश्लेषण(Analysis Intrinsic and Incentives):-

कुछ विद्यार्थियों में जन्मजात अन्त:प्रेरणा होती है जिसके आधार पर उनको थोड़ी सी भी मदद मिलती है या न भी मिले तो भी वे कठिनाईयों, विपत्तियों तथा समस्याओं को स्वत:प्रेरणा के आधार पर हल करते जाते हैं और आगे बढ़ते जाते हैं, इस प्रकार के विद्यार्थी आगे जाकर महामानव बनते हैं और जिस क्षेत्र में भी जाते हैं महान कार्य खड़ा कर देते हैं. जैसे महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजम जो गणित में इतने तल्लीन रहते थे कि गणित के सिवाय किसी भी काम से उनको कोई मतलब नहीं था और अन्त में वे गणित में विश्वविख्यात हो गए.
कुछ विद्यार्थियों को बाहर से प्रेरित किया जाता है और उनकी अन्त:प्रज्ञा को जगाना पड़ता है. ज्यादातर विद्यार्थियों को प्रोत्साहन और प्रेरणा से तैयार करना होता है और इसमें अध्यापकों तथा अभिभावकों की बहुत बड़ी भूमिका होती है. अन्त:प्रेरणा तथा प्रोत्साहन दोनों का उद्देश्य समान है अर्थात् गणित में रूचि (Interest in Mathematics) का निर्माण करना.
प्रोत्साहन तथा बाह्य प्रेरणा के आधार पर जिन विद्यार्थियों को तैयार किया जाता है यदि उनके सामने कोई कठिन समस्या आ जाती है और उस समय उनको कोई मदद नहीं मिलती है तो वे तनावग्रस्त हो जाते हैं और गणित उनका ध्यान भंग हो जाता है. सही समय पर उचित समाधान मिल जाए तो विद्यार्थियों में तनाव की स्थिति को समाप्त किया जा सकता है.
इस प्रकार सही ढंग से सीखाया जाए तो विद्यार्थियों में चिन्तन शक्ति का विकास होता है जिसके आधार पर विद्यार्थी समस्याओं के समाधान ढूँढ लेता है और समाधान मिलने से उनको सन्तुष्टि (satisfication) व आनन्द की अनुभूति होती है. गणित में रूचि (Interest in Mathematics) को बनाए रखने के लिए कई युक्तियां हैं जैसे गणितीय पहेलियां (Mathematics puzzles),  प्रतियोगिताएं, प्रसिद्ध गणितज्ञों के इतिहास का परिचय आदि.

(4.)सोशल मीडिया का गणित की रूचि में वृद्धि के लिए योगदान(Contribution of Social Media for Progress of Interest in Mathematics ) :-

आज का युग तकनीकी युग है अतः अध्यापन तथा शिक्षण में इतना परिवर्तन आ गया है कि जिसकी आज से पचास वर्ष पूर्व कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. आज विद्यार्थी के शिक्षण हेतु केवल शिक्षा संस्थानों पर ही निर्भरता नहीं रह गई है बल्कि सोशल मीडिया जैसे यूट्यूब(youtube), फेसबुक (Facebook),वेबसाइट (website) ,लिंकडईन (LinkedIn), ट्विटर (twitter) जैसे अनेक माध्यम हैं जिनके आधार पर विद्यार्थी गणित को घर बैठे सीख(Learning) सकते हैं और अध्ययन कर सकते हैं. इस प्रकार गणित के शिक्षण में सोशल मीडिया का अपूर्व योगदान है इसलिए विद्यार्थियों को इनसे भरपूर लाभ उठाना चाहिए.

(5.)गणित अधिगम में अन्य विषयों की भूमिका(Role of Other Subjects in Learning Mathematics) :-

गणित अधिगम ( Learning Mathematics) का बहुत विस्तार हो चुका है. गणित के बिना आज भौतिक विज्ञान, रसायन शास्त्र, इंजीनियरिंग की विभिन्न शाखाओं में शिक्षण अधिगम (Learning) की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. आज स्थिति यह है कि जीव विज्ञान (Biology), शरीर विज्ञान(Physiology), चिकित्सा विज्ञान (Medical science)आदि भी गणित को अपना आधार बना चुके हैं. शिक्षा (Education), मनोविज्ञान (Psychology),दर्शनशास्त्र (Philosophy) आदि गणित के सहारे विकसित हो रहे हैं. यह गणित अधिगम (Learning Mathematics) के लिए अच्छी बात है क्योंकि इससे विद्यार्थियों में गणित के महत्त्व का पता चलता है और गणित के अधिगम (Learning Mathematics) में उनकी रूचि जाग्रत होती है.

(6.) गणित अधिगम में अन्य व्यवसायों का योगदान(Contribution of Other Profession in Learning Mathematics) :-

शिक्षा का लक्ष्य आधुनिक युग में आत्म-निर्भरता बन चुका है. इसके लिए विद्यार्थी अपने लिए किसी व्यवसाय का चयन करते हैं. गणित अधिगम (Learning Mathematics) में  रूचि के विकास के लिए जैसे कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि व्यापार गणित (Business Mathematics),विद्युत कर्मियों के लिए गणित (Mathematics of Electricians), कृषि के लिए गणित (Mathematics of Agriculture),बैंक, इंजीनियरिंग, चिकित्सा, प्रशासन आदि सेवाओं में गणित की आवश्यकता सर्वविदित है. इलेक्ट्रॉनिकी और कम्प्यूटर गणित के महत्त्व तो स्वयंसिद्ध है.

(7.)गणित एक व्यवसाय के रूप में (Mathematics as a Career) :-

 व्यवसाय के रूप में गणित का आज बहुत महत्त्व बढ़ गया है. कोई भी Competition जैसे R. A. S, I. A. S., Accountant, SSC, Bank, Clerk इत्यादि सभी में गणित का Test लिया जाता है. इन तथा अन्य व्यवसाय जैसे व्यापार व उद्योग में गणित में प्रशिक्षित व्यक्तियों की माँग ( Demand),आपूर्ति (Supply)की अपेक्षा बढ़ती जा रही है. व्यावसायिक प्रशिक्षण गणित में रोचक और प्रभावी अधिगम ( Interesting and Effective Learning in Mathematics)वर्तमान समय तकनीकी का युग है इसलिए हर क्षेत्र में जीवन मूल्य तेजी से परिवर्तित हो रहे हैं. ये परिवर्तन हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं इसलिए हर विद्यार्थी को इन्हें समझना चाहिए हालांकि इनको समझना इतना आसान नहीं है क्योंकि शिक्षा में चारित्रिक व नैतिक शिक्षा का अभाव है, इनको हमारे पाठ्यक्रम में शामिल नहीं किया गया है. विद्यार्थियों को बोध होना चाहिए कि इन सभी सांस्कृतिक और शैक्षिक मूल्यों में परिवर्तन की व्याख्या उन वैज्ञानिक सिद्धान्तों के आधार पर की जा सकती है जो कि स्वयं गणित पर आधारित है.
दर्शन और तर्कशास्त्र, ज्ञान मीमांसा, मूल्य मीमांसा में गणित का उपयोग जाना जा सकता है. विद्यार्थी को इन सब बातों की जानकारी होनी चाहिए. इनकी अनभिज्ञता के कारण ही गणित जैसे तथ्यात्मक और तार्किक विषय को कठिन समझा जाता है.

(8.)प्रारम्भिक जिज्ञासा (Primary Curiosity) :-

वर्तमान शिक्षा प्रणाली, पाठ्यक्रम और शिक्षा संस्थानों की व्यवस्था में जिज्ञासा की उपेक्षा हो रही है. गणित विषय के प्रति आकर्षण जिज्ञासा के माध्यम से बढ़ाया जा सकता है. कैसे, क्यों, क्या प्रश्न आवश्यक है. क्या, क्यों के उत्तर तो विज्ञान आसानी से देता है किन्तु 'कैसे' का उत्तर बहुत कठिन है, इसका उत्तर गणित के माध्यम से ही दिया जा सकता है.

(9.)समीक्षा (Review) :-

सामान्यतः गणित विषय को एक कठिन विषय के रूप में जाना और समझा जाता है. प्राथमिक स्तर से ही विद्यार्थियों के मस्तिष्क में ऐसी भावना बैठा दी जाती है और इसके लिए शिक्षक, माता-पिता और अभिभावक जिम्मेदार हैं. दूसरी ओर स्थिति यह है कि गणित विषय की ओर काफी संख्या में विद्यार्थी आकर्षित होते हैं. इस विरोधाभास का कारण यह है कि इसकी व्यावहारिक उपयोगिता (practical utility) है. जीवन में गणित के महत्त्व को सभी जानते और समझते हैं. फिर भी इसकी उपयोगिता इसको आकर्षक नहीं बना सकी है. गणित प्रतीकों का शास्त्र है तथा अमूर्त चिन्तन का विषय है. विद्यार्थी अन्य विषयों के ज्ञान को तो आसानी से जान लेता है और समझ भी जाता है किन्तु गणित जैसे अमूर्त विषय को समझना उसके लिए कठिन प्रतीत होता है. दूसरी बात यह है कि इसमें मनोरंजक सामग्री बहुत कम मिलती है. अतः गणित में आकर्षण और रूचि बढ़ाने के लिए इसमें मनोरंजक पहेलियों को शामिल किया जाना चाहिए.

वस्तुतः सभी विद्यार्थी खेलों और क्रीड़ाओं को पसन्द करते हैं जिनमें रहस्य, कौतूहल और आश्चर्य के तत्त्व मौजूद हो. गणितीय पहेलियों, कूट प्रश्नों और प्रतिस्पर्धाओं में ये तत्व मौजूद होते हैं. यदि विद्यार्थियों को इनका अधिगम (Learning) कराया जाए तथा पाठ्यक्रम में इनको शामिल किया जाए तो इनकी सहायता से विद्यार्थियों की जिज्ञासा और रूचि (Interest) को गणित में बढ़ाया जा सकता है.

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