Essay type examination in hindi
January 11, 2019
By
satyam coaching centre
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Essay type examination
निबन्धात्मक परीक्षा(Essay Type Examination)
Essay type examination |
(1.)लाभ (Merit) :-
(i) लिखित परीक्षाओं में विद्यार्थियों को उत्तर लिखित में देना होता है। निबन्धात्मक परीक्षा लिखित परीक्षा है। इसके द्वारा विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाता है। इस परीक्षा में उत्तर विस्तार से दिया जाता है।(ii.)निबन्धात्मक परीक्षा में विषय से संबंधित प्रश्न दिए जाते हैं जिनका उत्तर विद्यार्थियों को विस्तारपूर्वक देना होता है। यह व्यवस्था सयय से चल रही है।
(iii.)इस परीक्षा के प्रश्नों के उत्तर लिखने पर विद्यार्थियों की लेखन शक्ति का विकास होता है और इनका उत्तर विद्यार्थी अनुमान के आधार पर नहीं दे सकते हैं। इस प्रकार की परीक्षाओं में विद्यार्थियों की स्मरणशक्ति एवं कुशलता का सहज ही मूल्यांकन किया जा सकता है।
(iv.)इस प्रकार की परीक्षा पद्धति से विद्यार्थियों के तथ्यात्मक ज्ञान तथा तर्कशक्ति अर्थात् विचार करने की क्षमता का पता लगता है।
(v.)विद्यार्थियों तथा अध्यापकों दोनों के लिए ही य। यह परीक्षा पद्धति उपयोगी है।।।
(2.)दोष( Demerit) :-
(i.)इस परीक्षा पद्धति में प्रश्नों का उत्तर बहुत बड़ा व विस्तारपूर्वक दिया जाता है जिससे विद्यार्थियों को याद करना बहुत कठिन है।(ii.)इस परीक्षा पद्धति में विद्यार्थियों में रटने की प्रवृत्ति पैदा होती है। इसलिए इससे केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही होता है, व्यावहारिक ज्ञान नहीं होता है।
(iii.)इस प्रकार की परीक्षा पद्धति में अंक देने असमानता रहती है। एक ही प्रश्न के उत्तर में किसी विद्यार्थी के कम अंक तथा किसी विद्यार्थी को ज्यादा अंक दे दिए जाते हैं।
(iv.)इसमें प्रश्न पत्र बहुत छोटा अर्थात् 5-6 प्रश्न ही दिए जाते हैं जिससे सम्पूर्ण पाठ्यक्रम शामिल नहीं होता है। अतः विद्यार्थी का व्यापक मूल्यांकन नहीं हो पाता है।
(3.)सुझाव (Suggestion) :-
उपर्युक्त दोषों के होते हुए भी वर्तमान में इस परीक्षा की प्रासंगिकता है यदि इसमें कुछ सुधार कर दिए जाए तो यह परीक्षा पद्धति उपयोगी हो सकती है :-(i.)निबन्धात्मक प्रश्नों के साथ - साथ लघुत्तरात्मक तथा अतिलघुत्तरात्मक प्रश्नों को शामिल किया जाए अर्थात् प्रश्न पत्र का ओर अधिक विस्तार किया जाए।
(ii.)प्रश्न जटिल तथा उलझे हुए न हो बल्कि सरल तथा स्पष्ट होने चाहिए।
(iii.)प्रश्नपत्रों की जाँच करने हेतु परीक्षकों को प्रशिक्षण तथा निर्देश दिए जाए कि उत्तरपुस्तिका किस प्रकार जाँचनी है। जिससे जाँच करने में वस्तुनिष्ठता रहे अर्थात् आत्मनिष्ठता कम से कम रहे।
(iv.)प्रश्नपत्र में प्रश्न विविध प्रकार के देने चाहिए। बार बार महत्त्वपूर्ण प्रश्नों को देने से विद्यार्थी परीक्षा के लिए छोटी सी सीरिज व पासबुक से उन प्रश्नों के उत्तरों को रट लेते हैं जो हर वर्ष repeat होते हैं ।और उनकों रटकर पास हो जाते हैं।
(v.)लम्बे उत्तर के बजाए स्पष्ट व संक्षिप्त उत्तरों को महत्त्व दिया जाना चाहिए।
(vi.)ऐसे प्रश्न भी दिए जाने चाहिए जिनके उत्तर ग्राफ, चित्र, रेखाचित्र बनवाने से सम्बंधित हो।
(vii.)उत्तरपुस्तिका योग्य अध्यापकों से ही जाँच करवानी चाहिए।
(viii.)परीक्षा केन्द्रों की औचक निरीक्षण करवाने की व्यवस्था भी होनी चाहिए।
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