Development of mental and intellectual ability from mathematics in hindi

Development of mental and intellectual ability from mathematics

गणित से मानसिक व बौद्धिक क्षमता का विकास

(Development of mental and intellectual ability from mathematics):-

Development of mental and intellectual ability from mathematics

Development of mental and intellectual ability from mathematics

(1.)बौद्धिक क्षमता का विकास :- गणित के अध्ययन से छात्र-छात्राओं की बौद्धिक क्षमता और एकाग्रता बढ़ती है क्योंकि गणित की समस्याओं को हल करने के लिए अच्छी बौद्धिक क्षमता व एकाग्रता की आवश्यकता होती है। गणित के नियमित अध्ययन से बौद्धिक क्षमता व एकाग्रता का विकास होता है।
(2.)काल्पनिक क्षमता व विवेक का विकास :- गणित की समस्याओं, प्रश्नों, प्रमेयों व कठिन सिद्धान्तों को समझने के काल्पनिक क्षमता व विवेक की आवश्यकता होती है। छात्र-छात्राओं को यह सोचना होता है कि कब, किस सूत्र तथा विधि से से सही हल किया जा सकता है। इससे उनमें विवेक शक्ति जाग्रत होती है।
(3.)आत्मविश्वास में वृद्धि :- गणित के सतत अध्ययन से तथा समस्याओं के हल करते जाने से छात्र-छात्राओं में आत्म-विश्वास बढ़ता है। पुस्तकीय ज्ञान के बजाए चिन्तन, मनन करने की क्षमता बढ़ती जाती है।
(4.)सतत कर्म करने की आदत का विकास :- गणित विषय ऐसा विषय नहीं है जो परीक्षा के दिनों में रटकर या याद करके सफल हुआ जा सकता है। इसे शुरू से ही निरन्तर अध्ययन करना होता है। कठिन परिश्रम व लगातार प्रयासों से इसमें सफलता अर्जित की जा सकती है।
(5.)तर्क शक्ति का विकास :- गणित को समझने के लिए अमूर्त चिन्तन, तर्क वितर्क करना पड़ता है जो नवीन खोज या आविष्कार में सहायक है।
नीचे वीडियो में मस्तिष्क को गणित के द्वारा किस प्रकार विकसित किया जा सकता है इसका उपाय बताया गया -

(6.)कठिन परिश्रम करने की आदत का विकास :- गणित विषय के सिद्धान्तों, नियमों, प्रमेयों तथा समस्याओं को हल करने के लिए कठिन परिश्रम करने की आवश्यकता होती है। जितने भी गणितज्ञ हुए हैं उन सबके पीछे कठिन परिश्रम व लगन का ही हाथ है। इससे छात्र-छात्राओं में चरित्र का निर्माण होता है तथा स्वच्छता एवं शुद्धता से कार्य करने की आदत का विकास होता है।
(7.)सरलता व सादगी का विकास :- जीवन में सरलता, सादगी तथा विभिन्न मानवीय गुणों की आवश्यकता होती है। इन गुणों का छात्र-छात्राओं में सहजता से ही विकास हो जाता है। गणित की समस्या, प्रमेयों या सिद्धान्तों को सीखने की विधि सरलता से कठिनता की ओर होती हैं जिससे इन गुणों का विकास होता है।
(8.)स्पष्टता का विकास :- गणित में स्पष्टता का विकास होता है क्योंकि गणित ऐसा विषय है कि जिसमें छात्र-छात्राएं अपने वाक्जाल व शब्दाडम्बरो से छिपा नहीं सकता है। विद्यार्थी को समस्या का सही हल प्राप्त करने के लिए हर पहलू के औचित्य पर विचार करना पड़ता है।
(9.)मानवीय गुणों का विकास :- निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि छात्र-छात्राओं में चिंतन, मनन, बौद्धिक क्षमता, तर्क-वितर्क, कल्पना करने की क्षमता, सत्य-असत्य का निर्णय करने की क्षमता, स्मृति का विकास, स्पष्टता, सरलता, नियमितता, कठिन परिश्रम, अध्यवसाय जैसे गुणों का विकास होता है। गणित का एक अच्छा विद्यार्थी छल-कपट, झूठ, धोखा एवं आडम्बर को पसंद नहीं करता है। गणित का दर्शनशास्त्र जैसे से घनिष्ठ सम्बन्ध जो हमें पारलौकिक ज्ञान प्रदान करता है। संसार के प्रसिध्द गणितज्ञ बट्रैण्ड, रसेल, प्लेटो, अरस्तू, आइन्सटीन आदि गणितज्ञ दर्शनशास्त्री भी थे। दर्शनशास्त्र से अमूर्त आत्मा, परमात्मा जैसे विषयों का ज्ञान होता है। गणित के द्वारा इन विषयों को समझने में सरलता होती है तथा दर्शनशास्त्र जैसे विषयों में रुचि उत्पन्न होती है और समझने में कठिनाई नहीं होती है।

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