Mathematics education in hindi

Mathematics education

गणित शिक्षा(Mathematics education):-

Mathematics education

Mathematics education

(1.)शरीर, मन और आत्मा का संतुलित विकास ही व्यक्ति का विकास समझा जाता है जिसे कर्म, ज्ञान और भक्ति की संज्ञा दी जाती है ।इसको मन, वचन और कर्म का समन्वय भी कह सकते हैं ।गणित की शिक्षा से बालक के चिन्तन, तर्क, विश्लेषण करने की योग्यता का विकास होता है जिससे व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा के सन्तुलित विकास में सहायता मिलती है ।गणित के अध्ययन से अभ्यास, एकाग्रता और आत्म संतुष्टि जैसे गुणों का विकास होता है ।चिन्तन, तर्क, एकाग्रता, अभ्यास से व्यक्ति सत्य और असत्य का निर्णय करने में सक्षम होता है ।उसे सत्य का बोध होता है ।(2.) आज का युग वैज्ञानिक युग है तथा विज्ञान में गणित एक प्रमुख एवं मुख्य विषय है ।यह विज्ञान की रीढ़ की हड्डी के समान है ।जो व्यक्ति गणित से परिचित नहीं है उसके लिए विज्ञान व विश्व की जानकारी प्राप्त करना कठिन है
(3.)भारत तथा विश्व में जो महान् दार्शनिक भी थे ।भारत में आर्यभट्ट द्वितीय, ब्रह्मगुप्त, महावीराचार्य, भास्कराचार्य तथा आधुनिक काल में श्री निवास रामानुजम, डाॅ. गणेश प्रसाद जैसे गणितज्ञ हुए हैं तथा पाश्चात्य शिक्षा शास्त्रियों में हर्बर्ट, फ्राबेल, पेस्टालाॅजी, डाॅ. मेरिया माण्टेसरी, टी. पी. नन का गणित के क्षेत्र में स्तुत्य योगदान रहा है ।

(4.)गणित विषय पढ़ा हुआ व्यक्ति दर्शनशास्त्र, तर्कशास्त्र, वेद, उपनिषद् जैसे विषयों को आसानी से समझ सकता है ।
(5.)गणित की इतनी महता तथा जीवन के विभिन्न विषयों से अन्त: संबंध होने के बावजूद यह प्रश्न उठाया जा रहा है कि गणित विषय को पाठ्यक्रम से हटा दिया जाए या फिर ऐच्छिक विषय के रूप में रखा जाए ।गणित विषय का व्यावहारिक जीवन, आध्यात्मिक जीवन तथा हमारे व्यव साय में महत्त्वपूर्ण योगदान है ।यह विषय इतना महत्त्वपूर्ण होते हुए भी इसको हटाने या ऐच्छिक करने की माँग क्यों उठ रही है, इसका कारण है कि मानव की प्रकृति है कि उसके सामने कोई कठिनाई या समस्या न आए तथा सीधे सरल तरीके से उसका काम हो जाए ।हमारे जीवन से धर्म अध्यात्म जैसी बातें इसलिए लोप होती जा रही है ।इसका दुष्परिणाम भी हमारे सामने है ।आज मानव तनावग्रस्त है, भाई-बंधुओ में झगड़ें, भ्रष्टाचार, दुराचार, नारी उत्पीड़न, चोरी, बेईमानी अर्थात् चारोंओर असंतोष पनप रहा है ।जबकि अध्यात्म को जीवन में अपनाने से मानसिक संतोष तो प्राप्त होता ही है साथ ही जीवन की कई समस्याओं का समाधान भी होता है ।इसलिए प्राचीन काल में भारत में बुराई कम थी, लोग बुरे कर्म नहीं करते थे ।लोगों में स्नेह, सहयोग, भाईचारा, संवेदना, दया, करुणा, प्रेम, आत्मीयता के कारण शांति रहती थी।
(6)तात्पर्य यह है कि यदि गणित विषय कठिन है तो इसका जीवन बहुत ही उपयोगिता हैं ।इसलिए इसे हटाने के बजाए इसमे उपस्थित होने वाली समस्याओं व कठिनाईयों का हल करना है ।यदि समस्याएं स्वयं के प्रयास करने पर भी हल नहीं होती है तो शिक्षक की सहायता से हल हो सकती है ।विद्यालय में पर्याप्त समय नहीं मिलता है तो कोचिंग, विडियो या इंटरनेट के माध्यम से हल कर सकते हैं ।
(7.)चुनोतिया, समस्याएं तथा मुसीबतें एक दृष्टि से हमारे लिए अच्छी होती है क्योंकि विपत्ति में हम, हमारा मस्तिष्क अधिक सक्रिय होता है तथा एकाग्रता बढ़ती है उस समय हमें हर पल परमात्मा की याद आती है ।ऐसी स्थिति में समस्याओं का समाधान कुछ न कुछ जरूर निकलता है ।विपत्तियों में व्यक्ति निखरता है जिस प्रकार सोने को बार बार तपाने और कूटने से उसकी अशुद्धता दूर होती है उसी प्रकार विपत्तियों में हमारे अशुभ कर्मों का क्षय होता है और हमारा हृदय पवित्र और शुद्ध हो जाता है ।अस्तु गणित शिक्षा का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है ।


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