Mathematics and Teacher( Part-2)
गणित और शिक्षक(Mathematics and Teacher)
(7.)सदाचार युक्त जीवन :-
गणित के शिक्षक का जीवन युक्त होगा अर्थात् शिक्षक का जीवन पवित्र, शुद्ध व विनम्रता युक्त, धैर्यवान, साहसी, विवेकयुक्त होगा तो छात्रों को प्रभावी ढंग से शिक्षण कार्य करायेगा। यो ये गुण अन्य विषय के अध्यापक में भी मौजूद होने चाहिए परन्तु गणित जैसे जटिल विषय को पढ़ाने वाले अध्यापक में आवश्यक रूप से होने चाहिए जिससे छात्रों को पढ़ने के लिए प्रेरणा मिले।
(8.)गणित के व्यावहारिक ज्ञान की जानकारी :-
गणित का व्यवहार में कहाँ-कहाँ किस रूप में प्रयोग किया जाता या किया जा सकता है। जैसे घर का बजट बनाने, आय, मजदूरी, वस्तुओं के तौलते समय, घड़ी में समय देखते समय, बस का किराया देते समय, गणना करने में या अनुपात औसत निकालते समय इत्यादि विभिन्न कार्यों में गणित का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार का ज्ञान होने से छात्रों को उसकी व्यावहारिक उपयोगिता बताई जा सकती है।
(9.)नवीन तकनीकी का ज्ञान :-
विश्व के नागरिकों को निकट लाने में तकनीकी ज्ञान की आज के युग में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। आज तकनीकी ज्ञान के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती है। गणित के ज्ञान के प्रसार का लैपटॉप, मोबाइल, कम्प्यूटर व इंटरनेट के माध्यम से आसानी से हो तथा तीव्र गति से हो रहा है। शिक्षक घर बैठे कई समस्याओं का समाधान इनके माध्यम से छात्रों को आसानी से कभी भी, कहीं पर भी उपलब्ध करा सकता है। आज समाज की आर्थिक प्रगति तकनीकी ज्ञान पर निर्भर करती है जिसके कारण हमें जीवन में आनन्द, सुख और समृद्धि उपलब्ध हो सकता है। भावी जीवन में भी गणित के अधिक उपयोग की सम्भावना है।
समीक्षा :-
गणित का सफल अध्यापक वही हो सकता है जिसमें ज्ञान की हमेशा प्यास हो, जीवन में सादगी हो। अध्यात्म, नैतिकता व सदाचरण से युक्त जीवन हो। वस्तुतः अध्यात्म व गणित (विज्ञान) एक दूसरे के पूरक हैं। दोनों के ज्ञान से व्यक्ति में पूर्णता आती है। ऐसा अध्यापक ही छात्रों को गणित विषय में रूचि का विकास कर सकता है व प्रेरित कर सकता है शर्त यही है कि अध्यापक के सिद्धांत और व्यवहार में अन्तर न हो। कई शिक्षकों को गणित का गहरा और विशद ज्ञान होता है परन्तु उनका चरित्र उज्ज्वल नहीं होता है, छात्रों पर ऐसे अध्यापक का विपरीत प्रभाव पड़ता है। अध्यापक का शुद्ध व पवित्र आचरण छात्रों को वैसा ही करने को प्रेरित करता है।
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