Mathematics and Teacher in hindi (part-1)||गणित और शिक्षक
December 18, 2018
By
satyam coaching centre
Text Math.
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Mathematics and Teacher (part-1)
गणित और शिक्षक(Mathematics and Teacher):-
Mathematics and Teacher |
(2.)गणित विषय का गहराई से ज्ञान - आज का युग तकनीकी युग है अतः विषय सामग्री में नयी नयी खोजे हो रही है तथा पाठ्यक्रमों में परिवर्तन कर दिया जाता है अतः गणित शिक्षक को गहराई से जब ही ज्ञान हो सकता है जबकि उसकी अध्ययन की प्रवृत्ति हो तथा नवीन ज्ञान सीखने की रूचि हो ।
(3.)सकारात्मक दृष्टिकोण - यदि गणित के प्रति अध्यापक का सकारात्मक दृष्टिकोण होगा तो अध्यापक गणित को आवश्यक, उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण मानते है ।ऐसा अध्यापक गणित के प्रति विद्यार्थियों का सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित कर सकता है ।
(3.)व्यावसायिक दृष्टिकोण - आज का युग आर्थिक युग है अतः गणित तथा विज्ञान का देश के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान है ।अतः जो अध्यापक गणित को पढ़ाना मजबूरी समझते हैं वे छात्रों की गणित विषय के प्रति रूचि जाग्रत नहीं कर सकते हैं परन्तु जो अध्यापक व्यवसाय के प्रति निष्ठा होती है तो अपने कार्य को कर्मठता से करते हैं वे छात्रों में रूचि उत्पन्न कर देते हैं ।
(5.)गणित को पढ़ाने का अनुभव - जिन अध्यापकों गणित पढ़ाने का अनुभव होता है वे गणित विषय को सरल रूप में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करते हैं ।यदि अध्यापक को अनुभव नहीं होता है तो अध्यापक की त्रुटियों का छात्रों के सीखने पर प्रभाव पड़ता है ।गणित के शिक्षक को व्यापक और गहरा ज्ञान होना ही चाहिए ।हमेशा ग्रहण करते रहना चाहिए ।
(6.)अन्य विषयों का ज्ञान - गणित का सम्बन्ध अन्य विषयों से भी होता है ।जैसे रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान इत्यादि ।अतः छात्र अन्य विषयों से सम्बंधित प्रश्न पूछे तो उसका समाधान करना चाहिए ।भौतिक विषयों के अतिरिक्त नैतिक, धार्मिक व आध्यात्मिक पुस्तकों का ज्ञान भी होना चाहिए जिससे छात्रों के जीवन से सम्बंधित समस्याओं का समाधान कर सके ।
(7)मनोविज्ञान का ज्ञान - गणित के शिक्षक को मनोविज्ञान का व्यावहारिक ज्ञान भी आवश्यक है क्योंकि एक ही कक्षा के विभिन्न बौद्धिक स्तर के विद्यार्थी होते हैं ।किसी विद्यार्थी को संक्षेप में समझ में आ जाता है ।प्रत्येक विद्यार्थी के सीखने की मानसिक क्षमता अथवा स्तर समान नहीं होता है ।अतः अधिक मेधावी, मध्यम तथा मन्दबुद्धि बालकों की पढ़ने में रूचि का विकास तभी किया जा सकता है जबकि अध्यापक को मनोविज्ञान का ज्ञान होगा ।
[ ] क्रमश: शेष अगली पोस्ट में
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