How to achieve better students performance in mathematics

How to achieve better students performance in mathematics?

1.गणित में विद्यार्थियों का बेहतर प्रदर्शन कैसे हासिल की जाए? का परिचय(Introduction to How achieve better students performance in mathematics? )-

How to achieve better students performance in mathematics
How to achieve better students performance in mathematics
अक्सर यह समझा जाता है कि कक्षाओं में गणित के बेहतर प्रदर्शन के लिए विद्यार्थियों की संख्या सीमित रखनी चाहिए ।अर्थात एक कक्षा में 30-40 बच्चे होने चाहिए। यह बात कुछ हद तक ही सही है ।गणित में विद्यार्थियों के बेहतर प्रदर्शन के लिए कई फैक्टर्स का योगदान होता है। यदि उन सभी फैक्टर्स का पालन किया जाए तो ही अच्छा परिणाम देखने को मिलता है ।अक्सर यह आलोचना की जाती है कि कक्षा में बहुत से बालकों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंस दिया जाता है जिससे विद्यार्थियों को गणित में समझाया हुआ कुछ भी समझ में नहीं आता है। गणित में बच्चों के बेहतर प्रदर्शन के लिए निम्न फैक्टर्स पर ध्यान दिया जाए तो परिणाम आशा जनक दिखाई दे सकते हैं।

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2.योग्य गणित शिक्षक की नियुक्ति (Appointment of qualified mathematics teacher)-

अक्सर अधिकांश निजी शिक्षण संस्थानों में अप्रशिक्षित तथा अनुभवहीन गणित शिक्षकों को नियुक्त कर दिया जाता है,जो बालकों के मानसिक स्तर व मनोविज्ञान को नहीं समझ पाते हैं। वे जो पाठ घर पर तैयार करके आते हैं उसे आकर पढ़ा सकते हैं यदि कोई विद्यार्थी प्रश्न पूछता है तो या तो टालमटोल कर देते हैं या यह कह देते हैं कि यह प्रश्न टॉपिक से संबंधित नहीं है ,जिससे विद्यार्थी मायूस हो जाते हैं और उनकी जिज्ञासा समाप्त हो जाती है तथा गणित पढ़ने में विद्यार्थियों की रुचि नहीं रहती है। विद्यार्थी अपने माता-पिता या स्कूल प्रशासन से शिकायत करता है तो उल्टा विद्यार्थियों में ही कमी निकाल देते हैं और विद्यार्थियों के लिए कहा जाता है कि वह मन लगाकर कक्षा में नहीं पढ़ता है ।इसलिए कक्षा विशेषकर गणित कक्षा में प्रशिक्षित व अनुभवी अध्यापकों की नियुक्ति की जानी चाहिए।
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3.गणित विषय के लिए गणित शिक्षक की नियुक्ति करें(Appoint math teacher for maths subject)-

बहुत सी सरकारी स्कूलों में गणित अध्यापक नहीं होते हैं। कई निजी स्कूलों में भी गणित अध्यापक इसलिए नियुक्त नहीं किए जाते हैं क्योंकि गणित अध्यापक को अधिक वेतनमान देना पड़ता है ।अन्य विषयों के अध्यापकों को गणित का ज्ञान नहीं होता है ।वे केवल खानापूर्ति करने के लिए कक्षा में गणित पढ़ाने जाते हैं जबकि गणित जैसा विषय पढ़ाने के लिए उच्च बौद्धिक स्तर व दक्षता होनी चाहिए ।अन्य विषयों के अध्यापकों के बजाय गणित के लिएउच्च बौद्धिक स्तर व दक्षता होनी चाहिए तभी गणित विषय को ठीक से पढ़ाया जा सकता है तथा विद्यार्थियों को सन्तुष्ट किया जा सकता है। इसलिए अन्य विषयों के अध्यापकों के बजाय गणित के लिए गणित विषय के अध्यापकों की ही नियुक्ति करनी चाहिए।

4.उचित भौतिक उपकरणों की व्यवस्था(Proper physical equipment arrangement)-

अक्सर कई स्कूलों में ठीक से ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड की व्यवस्था नहीं है ।कहीं पर उचित भवन ,खिड़कियों तथा पंखों की व्यवस्था नहीं है जिससे विद्यार्थियों को पढ़ने में मन नहीं लगता है ।अच्छा भवन खिड़कियां तथा पंखे की व्यवस्था हो तथा ब्लैकबोर्ड अच्छी कंडीशन में हो तो वहां विद्यार्थियों का मन पढ़ने में लगेगा। साथ ही वातावरण स्वच्छ होगा तो बालकों के मन में उच्चाटन नहीं होगा इसके अलावा शिक्षा संस्थानों को भीड़भाड़ वाली जगह न होकर शांत वातावरण में व साफ सुथरी जगह पर होना चाहिए। आसपास में गंदगी का ढेर लगा हुआ नहीं होना चाहिेए।

5.उचित मॉनिटरिंग(Proper monitoring)-

संस्था के शीर्ष अधिकारी ,निदेशक द्वारा शिक्षा संस्थानों का औचक परीक्षण करके इस बात की जांच करते रहना चाहिए कि विद्यार्थियों को गणित ठीक ढंग से पढ़ाई जा रही है या नहीं ।यदि गणित पढ़ाने के तरीके में कोई कमी नजर आए तो उचित निर्देश दिए जाने चाहिए। उचित मानिटरिंग व निरीक्षण से अध्यापकों के मन में हमेशा सचेत ,सजग व चौकस रहने की आदत का निर्माण होगा ।विद्यार्थियों को तन मन से पढ़ाने का मन होगा।
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6.गणित अध्यापकों को उचित वेतन व समय पर भुगतान करना(6. Paying arithmetic teachers proper pay and on time)-

अक्सर बहुत से निजी शिक्षा संस्थानों में गणित शिक्षक को उचित वेतन नहीं देते हैं तथा जो वेतन देते हैं वह भी समय पर नहीं देते हैं। आज का युग आर्थिक युग है इसलिए हर अध्यापक यह चाहता है कि उसकी आवश्यकताएं पूरी हो। परंतु स्कूलों में गणित के अध्यापक को इतना कम वेतन दिया जाता है जिससे पाकर वे अपनी जरूरतें पूरी नहीं कर सकते हैं इसलिए वे गणित को मन लगाकर नहीं पढ़ाते हैं बल्कि वे इस जुगाड़ में रहते हैं कि बच्चों को ट्यूशन कराकर पढ़ाया जाए और बच्चे ट्यूशन तभी पढ़ेंगे जबकि उनकों गणित ठीक से समझ में नहीं आ रही हो। इसलिए सरकार को शिक्षकों के लिए उचित योग्यता व वेतनमान का मानदंड तय करना चाहिए और उसे सख्ती से पालन कराया जाए जिससे शिक्षा की दशा और दिशा दोनों बदले।

7.गणित कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या सीमित हो(The number of students in the math class is limited)-

शिक्षा का व्यवसायीकरण होने से अधिकांश शिक्षा संस्थानों का ध्यान मात्र धनार्जन करना रह गया है। इसलिए वे एक ही कक्षा में 80 से अधिक बच्चों को भेड़-बकरियों की तरह भर देते हैं ।गणित अध्यापक इतने अधिक बच्चों को अकेला न तो संतुष्ट कर सकता है और न अनुशासन कायम कर सकता है ।अधिक विद्यार्थियों के होने के कारण कक्षा में विद्यार्थी शोरगुल करते रहते हैं ।अध्यापक पढ़ा कर चला जाता है, उसको कोई मतलब नहीं है कि विद्यार्थियों के समझ में आ रहा है या नहीं। इसलिए कक्षा में 30-40 के लगभग विद्यार्थी रहें तो उनको बेहतर तरीके से गणित पढ़ाया जा सकता है।

8.गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाए(Provide quality education)-

शिक्षा का व्यवसायीकरण होने से शिक्षा संस्थानों के संचालकों का शिक्षा की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान केंद्रित न होकर धनार्जन पर हो गया है।इसलिए शिक्षा को व्यवसाय मान भी लिया जाए तो भी विद्यार्थियों के हितों व कल्याण का पूरा ध्यान रखा जाए ।अर्थात विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जाए। समय-समय पर टेस्ट लेकर प्रत्येक विद्यार्थी की परफोर्मेंस की जांच करनी चाहिए तथा विद्यार्थियों के माता-पिता ,अभिभावकों को विद्यार्थियों की परफॉर्मेंस से अवगत कराते रहना चाहिए ।यदि किसी विद्यार्थी की परफोर्मेंस गिर रही हो तो उसका कारण जानकर उसे दूर किया जाए तथा विद्यार्थियों को भी उचित दिशा निर्देश दिया जाना चाहिए।
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9.अभिभावक-शिक्षक परिषद का गठन(Formation of Parent-Teacher Council)-
अभिभावकों तथा शिक्षकों की परिषद का गठन करना चाहिए और समय-समय पर उसकी मीटिंग आयोजित करनी चाहिए ।विद्यार्थियों के बारे में आपस की अर्थात् विद्यार्थियों से संबंधित कोई समस्या हो तो विचार विमर्श करके उसका हल निकालना चाहिए ।परिषद गठन व मीटिंग आयोजित करने से आपस में घनिष्ठता,निकटता तथा आत्मीयता बढ़ती है ।यदि ज्यादा समय न हो तो महीने या दो महीने में तो कम से कम एक बार अवश्य मीटिंग आयोजित करनी चाहिए।

10.विद्यार्थियों के अनुपस्थित होने पर संपर्क(Contact when students are absent)-

यदि अचानक विद्यार्थी अनुपस्थित हो तो उनके अभिभावकों से संपर्क करके जानना चाहिए कि विद्यार्थी अनुपस्थित क्यों है? यदि कोई दुर्घटना घटित हो गई हो तो सहानुभूति प्रगट करनी चाहिए और उनसे पूछना चाहिए कि उनसे संबंधित कोई कार्य हो तो बताएं और कोई क्या कार्य हो सकता है? यही कि अनुपस्थित रहने के दिनों में बालक गणित में पिछड़ जाता है ।इसलिए जो टॉपिक बालक ने नहीं पढ़े उसे अतिरिक्त कक्षा लेकर पूरा कराया जाए।
11.गणित में कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षा व्यवस्था की व्यवस्था करनी चाहिए। उनको जिस टॉपिक पर अधिक परेशानी आती है उसे दूर करना चाहिए।

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