Mathematics library
गणित का पुस्तकालय (Mathematics Library ):-
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(1.)कक्षा में गणित का विस्तृत तथा गहराई से अध्ययन कराया जाना सम्भव नहीं है। आधुनिक युग में गणित की कई शाखाएं तथा प्रशाखाएं हो गई है तथा उसका विस्तार बहुत हो गया है। आज हर काॅम्पीटिशन में गणित की परीक्षा ली जाती है, इसी से गणित की उपयोगिता और महत्त्व को समझा जा सकता है।
(2.)गणित की पाठ्य पुस्तक को पढ़कर विस्तृत और गहराई से ज्ञान प्राप्त करना सम्भव नहीं है इसलिए विद्यार्थियों को सहायक पुस्तकों का अध्ययन भी करना चाहिए। सभी विद्यार्थी सहायक पुस्तकें खरीदने में सक्षम नहीं है, ऐसी स्थिति में सभी शिक्षण संस्थानों तथा सार्वजनिक पुस्तकालयों का अवलोकन किया जाए तो उनमें गणित की प्रचुर पुस्तकें उपलब्ध होनी चाहिए। वर्तमान समय में यदि पुस्तकालयों का अवलोकन किया जाए तो उनमें पर्याप्त संख्या में पुस्तकें उपलब्ध नहीं है यदि उपलब्ध हैं भी तो पाठ्य पुस्तक से सम्बन्धित पुस्तकें उपलब्ध हैं। अतः विद्यार्थियों और शिक्षकों को ध्यान में रखकर सहायक तथा सन्दर्भ पुस्तकें, गणित परिभाषा कोश, डिक्शनरी प्रचुर मात्रा में होनी चाहिए। केवल पाठ्य पुस्तकें पढ़ने से विद्यार्थियों का ज्ञान सीमित रह जाता है जिससे विद्यार्थी गणित के व्यावहारिक एवं व्यावसायिक ज्ञान से वंचित रह जाते हैं।(3.)गणित की सहायक पुस्तकें पढ़ने से विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें समझने में सहायता मिलती है तथा ज्ञान विस्तृत व व्यापक होता है। गणित के बारे में ऐसी अनेक रूचिकारक व मनोरंजक बातें हैं जिनको समयाभाव के कारण शिक्षक विद्यार्थियों को नहीं बता पाते हैं। इन सब बातों की जानकारी पुस्तकालयों में उपलब्ध सहायक पुस्तकों से मिल सकती है।
(4.)गणित विषय में रुचि का विकास करने में पुस्तकालयों में उपलब्ध पुस्तकों का महत्त्वपूर्ण योगदान हो सकता है, आवश्यकता इस बात की है कि शिक्षा संस्थानों के संचालकों, निदेशकों एवं प्रधानाध्यापकों को इसकी जानकारी हो जिससे आवश्यक पुस्तकें पुस्तकालय के लिए क्रय की जा सके।
(5.)गणित के शिक्षक के लिए भी यह आवश्यक है कि वह गणित में नवीन ज्ञान, नयी खोजों, आविष्कारों तथा विषय के व्यापक स्वरूप को समझकर विद्यार्थियों को बताएं। इसके लिए पुस्तकालयों में सहायक पुस्तकों का अध्ययन करे।
(6.)पुस्तकालय में प्रसिद्ध गणितज्ञों द्वारा गणित की विषय सामग्री पर लिखी गई गणित के इतिहास, गणित की मनोरंजन, खेल, चमत्कार, पहेली से सम्बंधित, उच्च गणित, गणित की चित्रमय, गणित की पत्रिकाएं, गणित की विभिन्न पाठ्य पुस्तकें तथा गणित व गणित अध्यापन पर प्रकाशित देशी व विदेशी पुस्तकें होनी चाहिए।
(7.)अध्यापक को विद्यार्थियों को पढ़ाते समय सम्बन्धित सामग्री की पुस्तकों के नाम, विवरण व विशेषताएं बता देनी चाहिए तथा इन पुस्तकों की सामग्री का कक्षा में उपयोग करना चाहिए तथा विद्यार्थियों को को इन पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
(8.)पुस्तकालय के संचालक को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि गणित की पुस्तकें पुस्तकालय में पर्याप्त मात्रा में हो तथा विद्यार्थियों को पुस्तकें प्राप्त करने में कोई कठिनाई न हो। पुस्तकालय में कम्प्यूटर भी उपलब्ध हो और पुस्तकों की सूची भी टँगी हो तो ज्यादा अच्छा होगा।

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